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भरतपुर में शाकुंतलम : दंपती ने घर के परिसर में बसा दिया पूरा जंगल..जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण बेमिसाल - Keoladeo National Park in Bharatpur

वन्य जीव प्रेमी डॉ सत्य प्रकाश मेहरा और डॉ सरिता मेहरा ने अपने घर को जंगल बना दिया. प्रकृति प्रेमी दंपति ने अपनी अपनी जमीन पर शाकुंतलम (shakuntlam in bharatpur) नाम का जंगल तैयार किया है. इस छोटी सी जमीन पर दर्जनों प्रजातियों के पेड़ पौधों, कई प्रजातियों के पक्षी, तितलियां, मेंढक, सर्प और मकड़ियां मौजूद हैं. शाकुंतलम परिसर में मेहरा दंपति ने न केवल जैव विविधता का बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ख्याल रखा है.

rajputana shakuntlam bharatpur
भरतपुर में शाकुंतलम
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Published : Dec 13, 2021, 3:47 PM IST

Updated : Dec 13, 2021, 9:02 PM IST

भरतपुर. उदयपुर निवासी पर्यावरणविद डॉ सत्य प्रकाश मेहरा (Environmentalist Dr Satya Prakash Mehra) ने वर्ष 2012 में भरतपुर शहर से 5 किमी दूर रामनगर गांव में शाकुंतलम हाउस (shakuntlam house in bharatpur) की नींव रखी थी. उन्होंने शाकुंतलम के परिसर में करीब 250 प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाए. इनमें से करीब 149 प्रजाति के पेड़ पौधे यहां लहलहा रहे हैं. इसी परिसर में इको फ्रेंडली मकान का भी निर्माण किया गया है. यह मकान आर्किटेक्ट लॉरी बेकर की होलो टेक्निक पर तैयार किया गया है.

पर्यावरणविद डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि आज शाकुंतलम में 149 प्रजातियों के करीब 400 पेड़ पौधे मौजूद हैं. भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित शाकुंतलम परिसर पूरी तरह से पेड़ पौधों से आच्छादित है. यही वजह है कि यहां कई प्रकार के देसी और विदेशी पक्षी भी पहुंच जाते हैं. डॉ मेहरा ने बताया कि परिसर में अब तक 134 प्रजाति के पक्षी चिह्नित किए जा चुके हैं.

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने घर को बना दिया जंगल

पढ़ें- Keoladeo National Park: साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह, प्रदूषित पानी बड़ी वजह

वाटर हार्वेस्टिंग से जल संग्रहण

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि यहां पर पहले काफी खारा और फ्लोराइड युक्त पानी था. ऐसे में भूमिगत जल स्तर को ठीक करने के लिए परिसर के अंदर ही वाटर हार्वेस्टिंग का भी प्रावधान किया. यही वजह है कि आज शाकुंतलम परिसर के भूमिगत जल का टीडीएस लेवल सामान्य स्तर पर पहुंच गया है.

शाकुंतलम में पर्यावरण और जैव विविधता

rajputana shakuntlam bharatpur
भरतपुर में शाकुंतलम

गोबर गैस और सोलर प्लांट

परिसर में गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किया गया है. जिससे रसोई गैस के रूप में गोबर गैस का इस्तेमाल कर घर की सभी जरूरतों को पूरा कर लिया जाता है. साथ ही घर की छत पर सोलर प्लांट भी लगाया गया है. इससे घर की बिजली की जरूरत भी सौर ऊर्जा से पूरी की जाती है. भरतपुर में यह इको फ्रेंडली घर (Eco friendly house in bharatpur) लोगों को हरियाली के लिए प्रेरित कर रहा है.

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा का घर (Dr Satya Prakash Mehra house in bharatpur) अपनी वनस्तपित और जैव विविधता के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. वे अपने घर में वन्यजीवन (wildlife at home) का आनंद उठा रहे हैं.

पढ़ें- विश्व विरासत पर अतिक्रमण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर..गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी

भरतपुर. उदयपुर निवासी पर्यावरणविद डॉ सत्य प्रकाश मेहरा (Environmentalist Dr Satya Prakash Mehra) ने वर्ष 2012 में भरतपुर शहर से 5 किमी दूर रामनगर गांव में शाकुंतलम हाउस (shakuntlam house in bharatpur) की नींव रखी थी. उन्होंने शाकुंतलम के परिसर में करीब 250 प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाए. इनमें से करीब 149 प्रजाति के पेड़ पौधे यहां लहलहा रहे हैं. इसी परिसर में इको फ्रेंडली मकान का भी निर्माण किया गया है. यह मकान आर्किटेक्ट लॉरी बेकर की होलो टेक्निक पर तैयार किया गया है.

पर्यावरणविद डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि आज शाकुंतलम में 149 प्रजातियों के करीब 400 पेड़ पौधे मौजूद हैं. भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित शाकुंतलम परिसर पूरी तरह से पेड़ पौधों से आच्छादित है. यही वजह है कि यहां कई प्रकार के देसी और विदेशी पक्षी भी पहुंच जाते हैं. डॉ मेहरा ने बताया कि परिसर में अब तक 134 प्रजाति के पक्षी चिह्नित किए जा चुके हैं.

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने घर को बना दिया जंगल

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वाटर हार्वेस्टिंग से जल संग्रहण

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि यहां पर पहले काफी खारा और फ्लोराइड युक्त पानी था. ऐसे में भूमिगत जल स्तर को ठीक करने के लिए परिसर के अंदर ही वाटर हार्वेस्टिंग का भी प्रावधान किया. यही वजह है कि आज शाकुंतलम परिसर के भूमिगत जल का टीडीएस लेवल सामान्य स्तर पर पहुंच गया है.

शाकुंतलम में पर्यावरण और जैव विविधता

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भरतपुर में शाकुंतलम

गोबर गैस और सोलर प्लांट

परिसर में गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किया गया है. जिससे रसोई गैस के रूप में गोबर गैस का इस्तेमाल कर घर की सभी जरूरतों को पूरा कर लिया जाता है. साथ ही घर की छत पर सोलर प्लांट भी लगाया गया है. इससे घर की बिजली की जरूरत भी सौर ऊर्जा से पूरी की जाती है. भरतपुर में यह इको फ्रेंडली घर (Eco friendly house in bharatpur) लोगों को हरियाली के लिए प्रेरित कर रहा है.

डॉ सत्य प्रकाश मेहरा का घर (Dr Satya Prakash Mehra house in bharatpur) अपनी वनस्तपित और जैव विविधता के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. वे अपने घर में वन्यजीवन (wildlife at home) का आनंद उठा रहे हैं.

पढ़ें- विश्व विरासत पर अतिक्रमण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर..गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी

Last Updated : Dec 13, 2021, 9:02 PM IST
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