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कोरोना वॉरियर्सः भरतपुर के डिप्टी कलेक्टर ने 60 हजार प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया उनकी मंजिल तक

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Published : Jun 7, 2020, 12:08 AM IST

भरतपुर के डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल इन दिनों अपनी ड्यूटी को बखूबी निभा रहे हैं. डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल ने करीब 60 हजार प्रवासी मजदूरों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया है. इसके साथ ही मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था और बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की गई है.

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भरतपुर के डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल निभा रहे फर्ज

भरतपुर. कोरोना महामारी फैलने के बाद देश में कई ऐसे कोरोना वारियर्स सामने आए जो इस महामारी के जंग में जनता का पूरी तरह से साथ दे रहे हैं. चाहे वह चिकित्सा विभाग हो या जिला प्रशासन या कोई भी पुलिसकर्मी. पूरे देश की जनता कोरोना वारियर्स का दिल से सम्मान कर रही है, लेकिन इन्हीं में से एक भरतपुर के ऐसे कोरोना वारियर्स हैं जिन्होंने ना जाने कितने हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके परिवारों से मिलवाया.

भरतपुर के डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल निभा रहे फर्ज

भरतपुर उपखंड में तैनात डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि भरतपुर जिला उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा से जुड़ा हुआ है. जिसके कारण उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके प्वाइंट तक पहुंचाया गया. साथ ही उनके प्वाइंट तक सभी मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था और बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की गई.

पढ़ेंः हॉरर किलिंग से दहला धौलपुर, युवती के परिवार वालों ने की प्रेमी युगल की धारदार हथियार से निर्मम हत्या

पहले लॉकडाउन में करीब 60 हजार प्रवासी मजदूरों को 850 बसों से उत्तर प्रदेश की सीमा पर छोड़ा गया. दूसरे लॉकडाउन में काफी हद तक प्रवासी मजदूरों का आना जाना नहीं हुआ, लेकिन तीसरे लॉकडाउन में फिर से प्रवासी मजदूर अपने घरों तक निकल पड़े. उत्तर प्रदेश में जो भी प्वाइंट्स बनाए गए वहां तक सभी मजदूरों को पहुंचाया गया.

पढ़ेंः Corona के बीच राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए #SafaWithTwitter कैंपेन को मिल रहा भाजपा नेताओं का भी साथ

इसके अलावा उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया कि वह अलवर के रहने वाले हैं और वह इन दिनों आखिरी बार 29 फरवरी को गए थे. उसके बाद वह घर नहीं गए. उनका पूरा परिवार अलवर में रहता है. उन्होंने बताया कि इन दिनों वह अपने घर सिर्फ वीडियो कॉल के माध्यम से अपने परिवार से बात कर लेते हैं.

पढ़ेंः आयुष मंत्रालय कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर शुरू करेगा क्लीनिकल ट्रायल, हरी झंडी का इंतजार

उन्होंने बताया कि वह काफी मजदूरों के संपर्क में आए है. ऐसे में उन्होंने अपने बचाव के लिए क्या कुछ किया. उन्होंने बताया कि जब भी कोई पॉजिटिव मामला सामने आता है तो वह खुद ही मरीज की हिस्ट्री लेने के लिए जाते हैं. इस दौरान संक्रमण का खतरा ज्यादा बना रहता है. लेकिन इस दौरान तीन चीजों का बखूबी से ख्याल से रखा जाता है.

पढ़ेंः जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के इतिहास का सबसे खराब महीना रहा अप्रैल, केवल 20 यात्रियों ने किया सफर

उन्होंने बताया कि बढ़ते हुए मरीजों को रोकने के लिए जिला प्रशासन की क्या-क्या तैयारियां है. 117 मरीज जब जिले में सामने आए थे. तब नए मरीजों के मिलने का आंकड़ा थम गया था, लेकिन जब सब्जी मंडी में रेंडम सेंपलिंग की गई तो कुछ लोग पॉजिटिव आए. जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी संक्रमण फैलने की मुख्य वजह सब्जी मंडी रही. इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन अभी काम कर रहा है और जल्द ही कोशिश होगी कि भरतपुर जिला कोरोना महामारी से मुक्त हो.

भरतपुर. कोरोना महामारी फैलने के बाद देश में कई ऐसे कोरोना वारियर्स सामने आए जो इस महामारी के जंग में जनता का पूरी तरह से साथ दे रहे हैं. चाहे वह चिकित्सा विभाग हो या जिला प्रशासन या कोई भी पुलिसकर्मी. पूरे देश की जनता कोरोना वारियर्स का दिल से सम्मान कर रही है, लेकिन इन्हीं में से एक भरतपुर के ऐसे कोरोना वारियर्स हैं जिन्होंने ना जाने कितने हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके परिवारों से मिलवाया.

भरतपुर के डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल निभा रहे फर्ज

भरतपुर उपखंड में तैनात डिप्टी कलेक्टर संजय गोयल ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि भरतपुर जिला उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा से जुड़ा हुआ है. जिसके कारण उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके प्वाइंट तक पहुंचाया गया. साथ ही उनके प्वाइंट तक सभी मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था और बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की गई.

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पहले लॉकडाउन में करीब 60 हजार प्रवासी मजदूरों को 850 बसों से उत्तर प्रदेश की सीमा पर छोड़ा गया. दूसरे लॉकडाउन में काफी हद तक प्रवासी मजदूरों का आना जाना नहीं हुआ, लेकिन तीसरे लॉकडाउन में फिर से प्रवासी मजदूर अपने घरों तक निकल पड़े. उत्तर प्रदेश में जो भी प्वाइंट्स बनाए गए वहां तक सभी मजदूरों को पहुंचाया गया.

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इसके अलावा उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया कि वह अलवर के रहने वाले हैं और वह इन दिनों आखिरी बार 29 फरवरी को गए थे. उसके बाद वह घर नहीं गए. उनका पूरा परिवार अलवर में रहता है. उन्होंने बताया कि इन दिनों वह अपने घर सिर्फ वीडियो कॉल के माध्यम से अपने परिवार से बात कर लेते हैं.

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उन्होंने बताया कि वह काफी मजदूरों के संपर्क में आए है. ऐसे में उन्होंने अपने बचाव के लिए क्या कुछ किया. उन्होंने बताया कि जब भी कोई पॉजिटिव मामला सामने आता है तो वह खुद ही मरीज की हिस्ट्री लेने के लिए जाते हैं. इस दौरान संक्रमण का खतरा ज्यादा बना रहता है. लेकिन इस दौरान तीन चीजों का बखूबी से ख्याल से रखा जाता है.

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उन्होंने बताया कि बढ़ते हुए मरीजों को रोकने के लिए जिला प्रशासन की क्या-क्या तैयारियां है. 117 मरीज जब जिले में सामने आए थे. तब नए मरीजों के मिलने का आंकड़ा थम गया था, लेकिन जब सब्जी मंडी में रेंडम सेंपलिंग की गई तो कुछ लोग पॉजिटिव आए. जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी संक्रमण फैलने की मुख्य वजह सब्जी मंडी रही. इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन अभी काम कर रहा है और जल्द ही कोशिश होगी कि भरतपुर जिला कोरोना महामारी से मुक्त हो.

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