भरतपुर. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने और संक्रमित मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए भरतपुर जिला प्रशासन ने पिछले साल 23 होटल और मैरिज होम (शहर के 14 मैरिज होम व 9 होटल) को क्वारंटीन सेंटर के रूप में अधिग्रहित किया था, लेकिन 1 साल बीतने के बाद भी जिला प्रशासन ने अब तक होटल व्यवसायियों को उनका भुगतान नहीं किया है.
पढ़ेंः Special: कोरोना काल में कर्म को धर्म मानकर मरीजों की सेवा में जुटीं नर्सें
हालात ये हैं कि जिला प्रशासन पर होटल व्यवसायियों का करीब डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है. वहीं प्रशासन ने फिर से इस वर्ष के लिए 3 होटलों को अधिग्रहित कर लिया है. इसको लेकर होटल व्यवसायियों में खासा रोष व्याप्त है.
पहले का बकाया, फिर कर लिया अधिग्रहितः
होटल व्यवसायी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उनका होटल सनबर्ड गत वर्ष कोना संक्रमण के दौरान 120 दिन के लिए अधिग्रहित किया था. उसका अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई भुगतान नहीं किया गया है. इस संबंध में जिला प्रशासन को कई बार पत्र भी लिखा गया है. लेकिन कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं दिया गया. अकेले सनबर्ड होटल का 1.25 करोड़ रुपए बकाया है.
इसी तरह कुल 23 होटल (सनबर्ड समेत) और मैरिज होम को अधिग्रहित किया गया था और सभी को डेढ़ करोड़ के भुगतान का इंतजार है.लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने पिछले वर्ष का भुगतान तो अभी तक किया नहीं और अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिला प्रशासन ने फिर से होटल सनबर्ड समेत महताब वाटिका और प्रताप वाटिका को अधिग्रहित कर लिया.
फर्नीचर, बिस्तर खराबः
होटल व्यवसाई लक्ष्मण सिंह ने बताया कि क्वारंटीन के दौरान होटल के कमरों, फर्नीचर,बिस्तर, बिजली फिटिंग आदि पर हाइपो सोडियम क्लोराइड का छिड़काव किया जाता था. जिसके चलते सोफा सेट, बिस्तर और कई इलेक्ट्रिक आइटम खराब हो गए. इससे लाखों रुपए का नुकसान भी हो गया.
न्यायालय की शरण में गएः
लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन को बार-बार पत्र लिखने के बाद भी जब गत वर्ष के अधिग्रहण की अवधि का भुगतान नहीं किया गया, तो उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली. न्यायालय में याचिका दायर की. जिस पर न्यायालय ने 26 फरवरी 2021 को भरतपुर जिला प्रशासन से इस संबंध में जवाब भी मांगा. लेकिन फिर भी अभी तक व्यवसायियों का भुगतान नहीं हुआ हुआ है.
कतरा रहे अधिकारीः
इस संबंध में जब जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और एडीएम के के गोयल से बात करनी चाही तो वो जवाब देने से कतराते रहे. दोनों ही अधिकारी पूरे मामले की जानकारी करवाने की बात बोलकर जवाब देने से बचते रहे.