भरतपुर. शहर के रेलवे यार्ड में हर दिन हजारों टन क्लिंकर अनलोड होता है. ऐसे में दिन भर आसमान में क्लिंकर की प्रदूषित गर्द छाई रहती है. करीब 4 किलोमीटर क्षेत्र की दर्जनों कॉलोनियों में रहने वाले हजारों लोगों को इस गर्द से दर्द मिल रहा है. देखिये यह रिपोर्ट...
स्थानीय लोगों ने कई बार जिला कलेक्टर और स्थानीय विधायक तक को क्लिंकर की गर्द से मुक्ति दिलाने के लिए ज्ञापन दे दिया. लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हालात ये हैं कि लोगों को अब क्लिंकर के प्रदूषण से बीमारियां फैलने का खतरा भी सता रहा है.
असल में भरतपुर के रेलवे यार्ड में लंबे समय से सीमेंट बनाने के काम आने वाला क्लिंकर अनलोड और परिवहन किया जा रहा है. अनलोडिंग के समय क्लिंकर की धूल और गर्द पूरे वातावरण में फैल जाती है. लोगों की मानें तो क्लिंकर की प्रदूषित गर्द करीब 4 किमी क्षेत्र तक में फैल जाती है.
इन कॉलोनियों के लोग प्रभावित
क्षेत्रवासियों ने बताया कि क्लिंकर की गर्द से रुंधिया नगर, मालगोदाम रोड, अनुजय नगर, अग्रसेन नगर, नई मंडी क्षेत्र, रनजीत नगर, तूफानी मोहल्ला और तुहिया गांव तक के हजारों लोग प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा क्षेत्र के बुजुर्ग और मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
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ये गर्द दे सकती है लाइलाज मर्ज
जिला क्षय रोग अधिकारी एवं चेस्ट फिजिशियन डॉ अविरल कुमार सिंह ने बताया कि क्लिंकर की धूल के संपर्क में आने से लोगों को दमा, खांसी और श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. डॉ अविरल ने बताया कि यदि इसकी धूल के संपर्क में लंबे समय तक रहा जाए तो सिलिकोसिस जैसी लाइलाज बीमारी भी हो सकती है. इसलिए क्लिंकर की अनलोडिंग और परिवहन का कार्य आबादी क्षेत्रों से दूर होना चाहिए.
कॉलोनीवासियों की जुबानी
क्षेत्रवासी हरीश शर्मा ने बताया कि क्लिंकर की धूल से न केवल आम व्यक्ति बल्कि बुजुर्ग और बच्चे भी परेशान हैं. इसकी वजह से लोगों को खांसी, जुखाम और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हरीश ने बताया कि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रवासियों ने कई बार जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
क्षेत्रवासी सरोज ने बताया कि क्लिंकर की धूल घर और छत पर जमा हो जाती है. खुले में कपड़े सुखाते हैं तो गंदे हो जाते हैं. खुले में बच्चे भी नहीं खेल पाते. ऐसे में उन्हें सारा दिन सफाई करनी पड़ती है. जिसकी वजह से वे परेशान रहती हैं.
वहीं क्षेत्रवासी वीर सिंह ने बताया कि क्लिंकर की धूल की वजह से घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. हालात ये हैं कि आसमान में गर्द छाई रहती है जिसकी वजह से खुले में खड़े भी नहीं हो सकते. क्लिंकर परिवहन की वजह से रास्ते और सड़क भी धूल से अटे रहते हैं. घर के बुजुर्ग, बच्चे, जवान सभी परेशान हैं.
गौरतलब है कि क्लिंकर अनलोडिंग और परिवहन से परेशान क्षेत्रवासियों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया है और जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर इसकी अनलोडिंग और परिवहन पर रोक लगाने की मांग भी की है. लेकिन क्लिंकर अनलोडिंग का काम लगातार जारी है और रोजाना इन लोगों को इन्हीं परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.