अलवर. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से केंद्र सरकार की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन किया गया है. इस दौरान लोगों को समय पर राशन पर मिले, इसके लिए सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे है. सभी सरकारी राशन की दुकानों पर राशन उपलब्ध कराने की बात हो या गरीब और असहाय लोगों तक खाना पहुंचाने की बात हो, सरकार और प्रशासन की ओर से इसके लिए लगातार कार्य किया जा रहा है. इस दौरान सरकार की ओर से लोगों को 3 माह तक राशन देने की बात भी कही गई है.
अलवर शहर की बात करें तो शहर में 93 राशन की सरकारी दुकानें हैं, जिन से हर माह अंत्योदय और बीपीएल परिवार को निशुल्क राशन दिया जाता है. इसके साथ ही अलवर शहर में करीब 14 हजार से अधिक बीपीएल कार्ड धारक हैं. इसके अलावा 1500 अंत्योदय कार्ड धारक भी है. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान श्रमिक, रेहड़ी पटरी दुकानदार और प्रतिदिन काम करके अपना पेट भरने वाले लोगों का रोजगार छूट गया है. ऐसे लोगों को सरकार की तरफ से तीन माह तक राशन देने की घोषणा की गई है, जिससे कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए.
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वहीं, अलवर में राशन की दुकानों पर कम राशन पहुंच रहा है, ऐसे में लोग खासे परेशान हैं. इसके अलावा सरकार की तरफ से राशन की दुकानों का समायोजन भी किया गया है. इस योजना के तहत जिस दुकान पर राशन बचता है और दुकानदार अन्य लोगों को राशन दे सकता है. इसके लिए कुछ राशन कार्ड धारकों को अन्य जगह पर शिफ्ट किया गया है, जिस दुकान पर हर माह 200 किलो गेहूं आता है, वहां 100 से 150 किलो गेहूं सप्लाई किया जा रहा है. जबकि जिन दुकानों पर कम गेहूं आता था, वहां गेहूं और उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाई गई.
इस नई व्यवस्था के चलते लोगों को राशन के लिए एक दुकान से दूसरी दुकान तक घूमना पड़ रहा है. इस संदर्भ में दुकानों का कहना है कि पहले की तुलना में इस बार राशन कम आया है. हांलाकि, गेहूं गुणवत्ता में बेहतर पहले से है. वहीं, लोग भी अपनी सुविधा के हिसाब से राशन ले रहे हैं. ऐसे में ही राशन वितरण व्यवस्था गड़बड़ा रही है. इसके लिए राशन दुकानदारों ने प्रशासन से समायोजन व्यवस्था को रोकने की मांग की है. वहीं, लोगों को अभी तक केवल एक माह का राशन मिला है. ETV BHARAT की टीम ने राशन की दुकानों के राशन डीलरों और लोगों से बातचीत की. अलवर में ये सभी दावे गलत होते दिखे.