अलवर. समय के साथ जंगल के राजा बाघ का भोजन भी अब बदल रहा है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि सरिस्का क्षेत्र में बाघ द्वारा जंगली जानवरों की जगह पालतू पशुओं का शिकार किया गया. इसका एक कारण सारिस्का क्षेत्र में लगातार पालतू जानवरों की बढ़ती हुई संख्या भी माना जा रहा है. बीते कुछ साल की तुलना में लगातार इसमें बढ़ोतरी हो रही है.
886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अलवर के सरिस्का में हजारों जंगली जीव जंतु है. इसमें 10 बाघिन, 6 बाघ और चार शावक हैं. इसके अलावा चीतल, नीलगाय, बारहसिंघा, पैंथर, बघेरा, लोमड़ी, जंगली सूअर सहित कई तरह की प्रजातियां मौजूद हैं. पहले जंगल का राजा शेर अपने भोजन के लिए पालतू जानवरों का शिकार करता था. लेकिन, अब शेर का स्वाद भी बदल रहा है. बाघ अब पालतू पशुओं को पसंद कर रहा है. इसका एक कारण सरिस्का क्षेत्र में पालतू पशुओं की बढ़ती हुई संख्या है. वहीं, पालतू पशुओं का शिकार करने में बाघ को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती है.
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सरिस्का क्षेत्र में बसे हुए गांवों के लोग अपनी हजारों गायों और भैंसों को खुला छोड़ देते हैं. बाघ द्वारा पशुओं का शिकार करने पर सारिस्का प्रशासन की तरफ से उनको मुआवजा दिया जाता है. इनके साथ ही सारिस्का क्षेत्र में एक धारणा है कि अगर किसी व्यक्ति की गाय, भैंस और बकरी पर बाघ हमला करता है तो उसके पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ती है. इसलिए लोग बाघ के क्षेत्र में अपने पशुओं को छोड़ देते हैं. इसलिए लगातार पालतू जानवरों की शिकार की घटनाएं बढ़ रही हैं.
सरिस्का क्षेत्र में हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि करीब 77 प्रतिशत पालतू जानवरों का सरिस्का क्षेत्र में बाघ द्वारा शिकार किया गया है. 13.6 प्रतिशत सांभर, 3.6 प्रतिशत शीतल और 2.4 प्रतिशत नीलगाय का शिकार बाघ द्वारा किया गया है. 2 वर्षों तक लगातार सारिस्का क्षेत्र में वन्यजीवों पर नजर रखी गई. पिछले 2 वर्षों में सबसे अधिक 47 भैंस और 12 गायों की शिकार के बाद मौत हुई.
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वहीं, रणथंभोर और जिम कॉर्बेट सहित अन्य जगहों पर बाघ जंगली जानवरों को अपना निशाना बनाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो सारिस्का क्षेत्र में अन्य जगहों की तुलना में पालतू जानवरों की संख्या अधिक है. इसलिए यहां पालतू जानवरों पर हमले की घटनाएं भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा होती हैं. साल 2011 में सरिस्का क्षेत्र में पालतू जानवरों के शिकार की घटनाएं 19.4 प्रतिशत थीं, जो साल 2018 में बढ़कर 77 प्रतिशत हो गई हैं.