अलवर. जिले की मंडी में इस समय सरसों और गेहूं की आवक हो रही है. अब नई फसल की आवक अगस्त माह से होगी. लॉकडाउन और कोरोना के चलते बीते सालों की तुलना में व्यापार कम रहा है, जिसके कारण व्यापारियों को खासा नुकसान झेलना पड़ा है.
देश की बड़ी मंडियों में शामिल अलवर मंडी...
अलवर की मंडी देश की बड़ी मंडियों में शामिल है. अलवर मंडी में सरसों, गेहूं, चना, बाजरा जो सहित विभिन्न फसलों की साल भर आवक होती है. इस समय मंडी में गेहूं और सरसों की आवक हो रही है. हालांकि, सीजन अब ऑफ हो चुका है. इसलिए कुछ दिनों तक फसल की आवक होगी. उसके बाद अगस्त माह से बाजरे की आवक शुरू होगी. मंडी के व्यापारियों ने कहा कि कोरोना के चलते इस बार व्यापार भी कम हुआ है. एक व्यापारी को एक और दो वाहन की अनुमति थी. इसलिए मंडी में बिकने के लिए माल कम आया है. अलवर से भारी मात्रा में सरसों और गेहूं हरियाणा की मंडी में बिकने के लिए पहुंचा है. इससे अलवर के व्यापारियों को खासा नुकसान हुआ है.
अलवर मंडी में होती है साल भर फसलों की आवक...
वहीं, कोरोना के चलते व्यापारियों का पैसा किसान और बाजार में फंसा हुआ है. पैसे की आवक नहीं होने के कारण बाजार मंदा है. वहीं, अगस्त माह से अलवर की मंडी में बाजरे की आवक शुरू होगी. अलवर मंडी में साल भर फसलों की आवक होती है. अलवर की मंडी से सरसों, गेहूं, चना, जौ देश के विभिन्न हिस्से में सप्लाई होते हैं. देश के विभिन्न राज्यों से बड़े व्यापारी फसल की खरीद करने के लिए अलवर मंडी में पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार अलवर मंडी में व्यापार कम हुआ है.
व्यापारियों ने कहा कि व्यापारी को अलवर में केवल दो वाहनों की अनुमति थी. ऐसे में बड़ी संख्या में किसान अपनी सुविधा के अनुसार हरियाणा के आस-पास जिलों की मंडी में फसल बेचने के लिए पहुंचे थे. अलवर में सरसों की खपत सबसे ज्यादा होती है. अलवर खैरथल में कई बड़ी सरसों की मील है, जिनमें लाखों टन सरसों की खपत होती है. जुलाई अगस्त माह व्यापार की दृष्टि से खासा कम माना जाता है. अगस्त माह के अंत से मंडी में बाजरे की फसल की आवक शुरू हो जाएगी.