अलवर: संपूर्ण भारत देश तीर्थों, ऋषियों, संतों और वीरों की भूमि है. मरुभूमि राजस्थान का कोसों तक फैला रेत का सुनहरा समंदर अपनी अलग ही छटा बिखेरता है. राजस्थान अपने पर्यटन क्षेत्रों के साथ ही ऐतिहासिक किलों, इमारतों और मंदिरों के बेजोड़ नमूनों के लिए जाना जाता है. प्रदेश में कई दर्शनीय मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है. अलवर के एक छोटे से गांव गुगडोट की पहाड़ियों पर स्थित मनसा माता का मंदिर. यह गांव जिले के राजगढ़ क्षेत्र में आता है.
कहने को तो यह मात्र छोटा सा गांव है. जिसकी पहाड़ियों पर मंदिर बना हुआ है. लेकिन यहां पहुंचने के लिए अलग से आने-जाने का रास्ता बनाया गया है. मंदिर तक गाड़ी और अन्य भारी वाहन भी पहुंच सकते हैं. इस मंदिर में देशभर के श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है. मंदिर की देखरेख में पूजा करने वाले लोग बताते हैं कि यह मंदिर माता का सच्चा दरबार है. मां के दर में मांगी गई सारी मुराद पूरी होती है.
आमतौर पर मंदिरों में पंडित पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन इस मंदिर की देखरेख और पूजा भी ग्रामीण करते हैं. मंदिर में हर दिन भजन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. भजन के बाद भंडारा भी रखा जाता है. मंदिर प्रांगण में ही आसपास काली मां और हनुमान जी का भी मंदिर है. लोगों के सहयोग से मंदिर में कई सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं. मंदिर में आने वाले भक्त दान पेटी में जो कुछ भी डालते हैं उससे गरीबों को खाना खिलाया जाता है.
मंदिर में पहुंचने वाले भक्त बताते हैं कि वो सालों से लगातार यहां आ रहे हैं. कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां जो मुराद मांगता है. उसकी वो मुराद पूरी होती है. आसपास के 50 गांव क्षेत्र के लोग जो देश विदेश में रोजगार नौकरी के लिए रहने लगे हैं, वो हर साल नवरात्रि के समय माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं. वैसे तो होने को अलवर में सैकड़ों मंदिर हैं. लेकिन इस मंदिर की खूबसूरती सभी को अपनी ओर खींच लाती है. मंदिर के चारों तरफ स्थित पहाड़ों पर हरियाली नजर आती है. जो यहां एक बार आता है, वह फिर यहां आने की सोचता है. मंदिर में लोगों को सुकून मिलता है, इसीलिए एक छोटे से गांव में होने के बाद भी यह मंदिर पूरे देश भर में विशेष पहचान रखता है.