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अलवर की छात्र राजनीति के दिग्गज नेता, जिन्होंने तय किया विधानसभा तक का सफर - अलवर की छात्र राजनीति

छात्र राजनीति ने प्रदेश और देश को कई बड़े नेता दिए हैं. अलवर जिले से भी इसमे कई नाम शामिल हैं, जिन्होंने अलवर की छात्र राजनीति से शुरुआत की और प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुए और जनप्रतिनिध बने.

Student leaders who become MLAs from Alwar
अलवर की छात्र राजनीति वे दिग्गज नेता, जिन्होंने तय किया विधानसभा तक का सफर
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Published : Aug 27, 2022, 11:04 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 11:23 PM IST

अलवर. छात्र राजनीति को राजनीति का पहला पायदान माना जाता है. देश में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत छात्र राजनीति से की. उसके बाद उन्होंने देश में मंत्री, विधायक व मुख्यमंत्री पद तक की जिम्मेदारी संभाली. अलवर से भी ऐसे अनेकों छात्र नेता निकले हैं, जिन्होंने विधायक से लेकर मंत्रिमंडल तक में अपनी जगह बनाई (Student leaders who become MLAs from Alwar) है. लेकिन लंबे अरसे से छात्र राजनीति से कोई चेहरा राजनीति में प्रवेश नहीं कर पाया है.

अलवर ने कई बड़े नेता प्रदेश को दिए हैं. जिले के जगमाल सिंह यादव, जगत दायमा, हेम सिंह भड़ाना, मदन मोहन, रामहेत यादव सहित कई नाम हैं, जिन्होंने छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और विधानसभा सदस्य बने. उसके बाद मंत्री और अन्य जिम्मेदारी वाले पदों पर रहे. लेकिन आज के छात्र नेता केवल छात्र राजनीति तक सिमट कर रह जाते हैं. इसलिए छात्र राजनीति से निकलकर प्रदेश की राजनीति में कोई नया चेहरा नहीं पहुंचा. इसके पीछे छात्र राजनीति में हो रहे बदलाव को माना जा रहा है. छात्रों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से छात्र राजनीति में कई तरह की पाबंदियां व नियम लगाए गए. इसके चलते असल में जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, वो चुनाव नहीं लड़ पाते हैं.

पढ़ें: हम छात्र राजनीति में नहीं पड़ते क्योंकि इनसे न तो कोई फायदा होता है और न कोई नुकसान: मंत्री रमेश मीना

जबकि देश में पुराने नेताओं की बात करें तो कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ही कॉलेज राजनीति से की. उसके बाद मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया. कॉलेज राजनीति में सक्रिय छात्र सरकार की पाबंदियों के चलते नियम कायदों में बंध कर रह जाते हैं. साथ ही पार्टियों का दखल भी छात्र राजनीति में कम होने लगा है. चुनाव के समय ही एबीवीपी व एनएसयूआई की तरफ से टिकट वितरण के दौरान नेताओं की सक्रियता नजर आती है, लेकिन बड़े नेताओं की सक्रियता कम ही नजर आती है.

अलवर. छात्र राजनीति को राजनीति का पहला पायदान माना जाता है. देश में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत छात्र राजनीति से की. उसके बाद उन्होंने देश में मंत्री, विधायक व मुख्यमंत्री पद तक की जिम्मेदारी संभाली. अलवर से भी ऐसे अनेकों छात्र नेता निकले हैं, जिन्होंने विधायक से लेकर मंत्रिमंडल तक में अपनी जगह बनाई (Student leaders who become MLAs from Alwar) है. लेकिन लंबे अरसे से छात्र राजनीति से कोई चेहरा राजनीति में प्रवेश नहीं कर पाया है.

अलवर ने कई बड़े नेता प्रदेश को दिए हैं. जिले के जगमाल सिंह यादव, जगत दायमा, हेम सिंह भड़ाना, मदन मोहन, रामहेत यादव सहित कई नाम हैं, जिन्होंने छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और विधानसभा सदस्य बने. उसके बाद मंत्री और अन्य जिम्मेदारी वाले पदों पर रहे. लेकिन आज के छात्र नेता केवल छात्र राजनीति तक सिमट कर रह जाते हैं. इसलिए छात्र राजनीति से निकलकर प्रदेश की राजनीति में कोई नया चेहरा नहीं पहुंचा. इसके पीछे छात्र राजनीति में हो रहे बदलाव को माना जा रहा है. छात्रों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से छात्र राजनीति में कई तरह की पाबंदियां व नियम लगाए गए. इसके चलते असल में जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, वो चुनाव नहीं लड़ पाते हैं.

पढ़ें: हम छात्र राजनीति में नहीं पड़ते क्योंकि इनसे न तो कोई फायदा होता है और न कोई नुकसान: मंत्री रमेश मीना

जबकि देश में पुराने नेताओं की बात करें तो कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ही कॉलेज राजनीति से की. उसके बाद मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया. कॉलेज राजनीति में सक्रिय छात्र सरकार की पाबंदियों के चलते नियम कायदों में बंध कर रह जाते हैं. साथ ही पार्टियों का दखल भी छात्र राजनीति में कम होने लगा है. चुनाव के समय ही एबीवीपी व एनएसयूआई की तरफ से टिकट वितरण के दौरान नेताओं की सक्रियता नजर आती है, लेकिन बड़े नेताओं की सक्रियता कम ही नजर आती है.

Last Updated : Aug 27, 2022, 11:23 PM IST
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