अलवर. भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर नागरिकता संशोधन एक्ट के नाम पर अशांति और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया मगंलवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांतीय सम्मेलन में अलवर में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत की.
इस दौरान संशोधन कानून और एनआरसी के पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि कानून तो संसद में पास किया है और केंद्रीय कानून केंद्रीय सूची में पास होने के बाद उसे हर राज्य को लागू करना होता है. लेकिन, उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस तरीके से भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. वह राज्य में अशांति फैलाने और अराजकता फैलाने वाली है.
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उन्होंने सीधा आरोप लगाया है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जो जन घोषणा पत्र जारी किया था. जिसमें 34 वें नंबर पर उन्होंने वादा किया है कि कांग्रेस की सरकार आने पर पाक विस्थापित को राजस्थान में नागरिकता दी जाएगी. फिर भी वह अपने वादे से मुकर रहे हैं.
उन्होंने तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई सरकार के दौरान कांग्रेस के नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की मांग की थी. इसके अलावा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल में तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम से पाक विस्थापितों को नागरिकता देने की मांग की थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह दोहरा चरित्र है. इस दोहरे चरित को गृहमंत्री अमित शाह ने उजागर किया है.
उन्होंने कहा है कि एनआरसी अभी लागू नहीं हुई है क्योंकि NRC का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था. उस संबंध में अभी भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. नागरिक संशोधन एक्ट से किसी जाति मजहब का कोई लेना देना नहीं है. इससे किसी के अधिकार नहीं छीने जा रहे हैं. बल्कि नागरिकता संशोधन एक्ट तो नागरिकता देने को लेकर है.
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उन्होंने कहा कि सरकार ने 5 सौ 86 मुसलमानों को भारतीय नागरिकता दी है. कांग्रेश भ्रम फैला रही है और कांग्रेस राजनीति कर रही है और यह बात देश के मुसलमानों को समझना चाहिए कि उनका उपयोग किस तरीके से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस भ्रम को दूर करने के लिए जन चेतना और जागृति अभियान शुरू करेगी.
इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा मुल्क है जहां सभी जाति, संप्रदाय के लोग इबादत करते हैं. पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अंदर जिस तरीके से अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है. वह निंदनीय है. भारत की आजादी के बाद नागरिकता संशोधन एक्ट पास होना एक क्रांतिकारी काम है.