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Special : कोरोना काल में मरीजों और अस्पताल प्रशासन का हाल बेहाल, जेब पर बढ़ रहा भार

कोरोना ने लोगों के रहन-सहन और सामाजिक तौर-तरीकों में बदलाव कर दिया है. लोग अब सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं. इसका असर अस्पतालों में होने वाले इलाज में भी देखने को मिल रहा है. इलाज के लिए जाने वाले मरीजों को मास्क लगाकर जाना पड़ता है. इसके अलावा पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर सहित अन्य सामान भी दवाइयों के साथ खरीदने पड़ते हैं. जिससे आमजन और अस्पताल पर 'दोहरी मार' पड़ रही है. देखिये ये रिपोर्ट...

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
कोरोना से मरीजों और अस्पताल प्रशासन पर दोहरी मार
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Published : Aug 13, 2020, 4:34 PM IST

अलवर : वैसे तो कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है. लोगों के काम-धंधे ठप हो गए हैं तो वहीं युवाओं की नौकरियां खतरे में है. ऐसे में हमेशा मरीजों से गुलजार रहने वाले अस्पताल भी इन दिनों खाली-खाली नजर आने लगे हैं. लोगों की लाइफ स्टाइल से लेकर सभी तरह के बदलाव कोरोना के बाद देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में अब अस्पताल में होने वाला इलाज भी महंगा होने लगा है. इसका भार मरीज और अस्पताल दोनों पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है. हालांकि, छोटे शहरों में प्रशासन की तरफ से निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज और जांच की सुविधा नहीं दी गई है.

कोरोना से मरीजों और अस्पताल प्रशासन पर दोहरी मार

रहन-सहन के तरीके में हो रहा बदलाव...

कोरोना ने लोगों के रहन-सहन और सामाजिक तौर-तरीकों में बदलाव ला दिया है. लोग अब सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं. अलवर की बात करें तो जिले में केवल सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज और जांच की सुविधा है. ऐसे में अगर निजी अस्पताल संचालक को किसी मरीज में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वो उसे सरकारी अस्पताल के लिए रेफर करते हैं. लेकिन फिर भी निजी अस्पताल प्रशासन द्वारा पूरी सावधानी बरतते हुए अन्य बीमारियों के मरीजों को जरूरी चीजें काम में लेने के लिए कहा जा रहा है.

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
अस्पतालों का बढ़ा खर्च

यह भी पढे़ं : Special : पाली में 'लॉकडाउन' नहीं मेडिकल सुविधाएं बढ़ेंगी, स्थापित होंगे नए कोविड केयर सेंटर

इन चीजों का बढ़ रहा खर्च...

हालांकि, अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ और डॉक्टरों का खर्चा अस्पताल प्रशासन वहन करता है. जबकि मरीज के लिए पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर और अन्य जरूरी सामान का खर्चा मरीज व उसके परिजनों को करना पड़ता है. स्वास्थ्य बीमा में कोविड को शामिल कर लिया गया है. जिन लोगों ने पहले से स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है, उनकी पॉलिसी में अपने आप ही कोविड शामिल हो चुकी है. जबकि जिन लोगों ने नई पॉलिसी कराई है उनकी पॉलिसी में 15 दिन बाद मरीज कोविड का इलाज करा सकता है. वहीं, उसके लिए मरीज की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होना जरूरी है. कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर ही मरीज को मेडिकल क्लेम का पैसा मिलता है. अगर मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो उसे मेडिकल पॉलिसी का लाभ नहीं मिलेगा.

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
कोरोना के कारण इलाज मिलने में हो रही असुविधा

अलवर जिले की आबादी करीब 40 लाख है. जिले में एक जिला अस्पताल, एक सेटेलाइट अस्पताल, 36 सीएचसी, 122 पीएचसी है. जिले में कोविड के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन की तरफ से लॉट्स अस्पताल और ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन में कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं. यहां पर 500 बेड की सुविधा है. इसके अलावा सभी सीएचसी में मरीज इलाज करा सकते हैं. वहीं, जिले में निजी अस्पताल में लैब को कोरोना मरीजों की जांच और इलाज की सुविधा नहीं है.

केवल बीमा वालों का मुफ्त इलाज...

मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत जो लोग आते हैं, उनको अस्पताल में निशुल्क इलाज मिल रहा है. उसके लिए एक पैकेज निर्धारित किया गया है. इन मरीजों से पीपीई किट और अन्य सामानों के पैसे नहीं लिए जाएंगे, जबकि अन्य सामान्य मरीजों के लिए सरकार की तरफ से इन सामान की कीमत निर्धारित की गई है.

अस्पताल प्रशासन सरकारी दर के हिसाब से मरीज से पैसे ले सकता है. इसके अलावा अगर किसी प्राइवेट अस्पताल को सरकारी तंत्र से सामान उपलब्ध करा जाता है, तो भी उसका भी अलग चार्ज है. वहीं, अगर निजी अस्पताल अपने स्तर पर सामान उपलब्ध कराता है तो उसका चार्ज भी सरकार की तरफ से निर्धारित किया गया है.

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
मरीजों का बढ़ा जेब खर्च

यह भी पढे़ं : Special : कोरोना काल में बुरे दौर से गुजर रहे निजी स्कूल, 6 हजार से अधिक लोगों का रोजगार संकट में

पॉजिटिव मरीज ही कर सकता है क्लेम...

सीएमएचओ ने कहा कि अभी तक जिले में इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है. स्वास्थ्य बीमा करने वाली निजी कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि कोविड उनकी सभी पुरानी और नई पॉलिसी में शामिल हो चुकी है, वो लोग अपनी पॉलिसी के हिसाब से क्लेम ले सकते हैं. अगर उनकी पॉलिसी कैशलेस है तो अस्पताल में पॉजिटिव होने पर उनको निशुल्क इलाज मिलेगा, लेकिन पॉलिसी अगर कैशलेस नहीं है तो कंपनी की तरफ से इलाज का खर्चा पॉलिसी धारक को किया जाएगा. लेकिन इन सब में पॉजिटिवका पॉजिटिव होना जरूरी है.

अलवर : वैसे तो कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है. लोगों के काम-धंधे ठप हो गए हैं तो वहीं युवाओं की नौकरियां खतरे में है. ऐसे में हमेशा मरीजों से गुलजार रहने वाले अस्पताल भी इन दिनों खाली-खाली नजर आने लगे हैं. लोगों की लाइफ स्टाइल से लेकर सभी तरह के बदलाव कोरोना के बाद देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में अब अस्पताल में होने वाला इलाज भी महंगा होने लगा है. इसका भार मरीज और अस्पताल दोनों पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है. हालांकि, छोटे शहरों में प्रशासन की तरफ से निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज और जांच की सुविधा नहीं दी गई है.

कोरोना से मरीजों और अस्पताल प्रशासन पर दोहरी मार

रहन-सहन के तरीके में हो रहा बदलाव...

कोरोना ने लोगों के रहन-सहन और सामाजिक तौर-तरीकों में बदलाव ला दिया है. लोग अब सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं. अलवर की बात करें तो जिले में केवल सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज और जांच की सुविधा है. ऐसे में अगर निजी अस्पताल संचालक को किसी मरीज में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वो उसे सरकारी अस्पताल के लिए रेफर करते हैं. लेकिन फिर भी निजी अस्पताल प्रशासन द्वारा पूरी सावधानी बरतते हुए अन्य बीमारियों के मरीजों को जरूरी चीजें काम में लेने के लिए कहा जा रहा है.

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
अस्पतालों का बढ़ा खर्च

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इन चीजों का बढ़ रहा खर्च...

हालांकि, अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ और डॉक्टरों का खर्चा अस्पताल प्रशासन वहन करता है. जबकि मरीज के लिए पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर और अन्य जरूरी सामान का खर्चा मरीज व उसके परिजनों को करना पड़ता है. स्वास्थ्य बीमा में कोविड को शामिल कर लिया गया है. जिन लोगों ने पहले से स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है, उनकी पॉलिसी में अपने आप ही कोविड शामिल हो चुकी है. जबकि जिन लोगों ने नई पॉलिसी कराई है उनकी पॉलिसी में 15 दिन बाद मरीज कोविड का इलाज करा सकता है. वहीं, उसके लिए मरीज की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होना जरूरी है. कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर ही मरीज को मेडिकल क्लेम का पैसा मिलता है. अगर मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो उसे मेडिकल पॉलिसी का लाभ नहीं मिलेगा.

alwar latest news,  Corona increased problem of patient
कोरोना के कारण इलाज मिलने में हो रही असुविधा

अलवर जिले की आबादी करीब 40 लाख है. जिले में एक जिला अस्पताल, एक सेटेलाइट अस्पताल, 36 सीएचसी, 122 पीएचसी है. जिले में कोविड के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन की तरफ से लॉट्स अस्पताल और ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन में कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं. यहां पर 500 बेड की सुविधा है. इसके अलावा सभी सीएचसी में मरीज इलाज करा सकते हैं. वहीं, जिले में निजी अस्पताल में लैब को कोरोना मरीजों की जांच और इलाज की सुविधा नहीं है.

केवल बीमा वालों का मुफ्त इलाज...

मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत जो लोग आते हैं, उनको अस्पताल में निशुल्क इलाज मिल रहा है. उसके लिए एक पैकेज निर्धारित किया गया है. इन मरीजों से पीपीई किट और अन्य सामानों के पैसे नहीं लिए जाएंगे, जबकि अन्य सामान्य मरीजों के लिए सरकार की तरफ से इन सामान की कीमत निर्धारित की गई है.

अस्पताल प्रशासन सरकारी दर के हिसाब से मरीज से पैसे ले सकता है. इसके अलावा अगर किसी प्राइवेट अस्पताल को सरकारी तंत्र से सामान उपलब्ध करा जाता है, तो भी उसका भी अलग चार्ज है. वहीं, अगर निजी अस्पताल अपने स्तर पर सामान उपलब्ध कराता है तो उसका चार्ज भी सरकार की तरफ से निर्धारित किया गया है.

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मरीजों का बढ़ा जेब खर्च

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पॉजिटिव मरीज ही कर सकता है क्लेम...

सीएमएचओ ने कहा कि अभी तक जिले में इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है. स्वास्थ्य बीमा करने वाली निजी कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि कोविड उनकी सभी पुरानी और नई पॉलिसी में शामिल हो चुकी है, वो लोग अपनी पॉलिसी के हिसाब से क्लेम ले सकते हैं. अगर उनकी पॉलिसी कैशलेस है तो अस्पताल में पॉजिटिव होने पर उनको निशुल्क इलाज मिलेगा, लेकिन पॉलिसी अगर कैशलेस नहीं है तो कंपनी की तरफ से इलाज का खर्चा पॉलिसी धारक को किया जाएगा. लेकिन इन सब में पॉजिटिवका पॉजिटिव होना जरूरी है.

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