अलवर. प्याज के दाम जहां आसमान छू रहे हैं और देशभर में लोगों को रुला कर रखा है. वही जिले में प्याज ने किसानों को मालामाल कर दिया है. अलवर एकमात्र ऐसा जिला है, जो सर्दियों के मौसम में प्याज का उत्पादन करता है. अलवर में अब तक कई करोड़ किलो प्याज मंडी में बिकवाली के लिए आ चुकी है. वहीं जिलेभर की बात करें तो जिले भर में 10 करोड़ से भी अधिक किलो प्याज का उत्पादन अलवर जिले में होता है.
बता दें कि अगस्त व जुलाई माह में किसान अलवर में प्याज की बुवाई करते हैं. जो फसल नवंबर के शुरुआत में पक कर तैयार होती है और उसको काटा जाता है, इसलिए अलवर मंडी में इन दिनों प्रतिदिन 45 से 50 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. अलवर की प्याज को खैरथल की लाल प्याज के नाम से देश-विदेश में जाना जाता है. देशभर में प्याज के दाम बढ़ने का मुख्य कारण महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के जिलों में हुई बारिश है. तेज बारिश ने प्याज की फसल को खराब कर दिया है. ऐसे में लगातार देशभर में प्याज के दाम बढ़े और डिमांड में भी तेजी आई. इन सबके बीच अलवर के किसानों को इसका फायदा मिला.
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वहीं अलवर में होलसेल की बात करें तो प्याज 65 से 75 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही है. कई किसान तो अलवर में ऐसे हैं, जो 50 लाख से अधिक तक की प्याज बेच चुके हैं. एक बीघा प्याज की फसल काटने में 40 से 50 हजार रुपए का खर्च आता है. इसमें प्याज के बीज पानी बुवाई सहित सभी खर्चे शामिल होते हैं. इस बार एक बीघा खेत में पैदा होने वाली प्याज के किसान को ढाई से तीन लाख रुपए में बिक रही है ऐसे में लंबे समय से कर्ज में डूबे किसानों के लिए प्याज खुशहाली लेकर आई है.