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अलवर: गाड़िया लोहार परिवारों के सिर से छीनने वाली है छत.. जमीन खाली कराने पहुंचे रेलवे अधिकारी

कोर्ट के फैसले से पहले ही रेलवे के अधिकारी आए दिन इनको जगह खाली करने की धमकी देते हैं, ऐसे में यह लोग खा से डरे हुए.

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Published : Apr 10, 2019, 2:57 AM IST

कोर्ट के फैसले से पहले जमीन खाली कराने पहुंचे रेलवे अधिकारी


अलवर. शहर के रेलवे जंक्शन के पास रहने वाले कई गाड़िया लोहार परिवारों के सिर से छत छीनने का खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, जंक्शन पर 2 नंबर प्रवेश एंट्री का काम चल रहा है व प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में जंक्शन के पास रहने वाले इन लोगों को कुछ समय पहले रेलवे नहीं जगह खाली करने के आदेश दिए थे.

क्योंकि रेलवे ने यह जमीन यूआईटी से खरीद ली है. वहीं यह परिवार भी न्यायालय में पहुंच चुके हैं. लेकिन, कोर्ट के फैसले से पहले ही रेलवे के अधिकारी आए दिन इनको जगह खाली करने की धमकी देते हैं, ऐसे में यह लोग खा से डरे हुए. अलवर जंक्शन पर नई रेलवे लाइन व प्लेटफार्म बनाने का काम चल रहा है. 2 नंबर प्रवेश द्वार के पास बड़ी संख्या में गाड़िया लोहार परिवार रहते थे. रेलवे ने इनमें से ज्यादातर परिवारों को वहां से हटा दिया. लेकिन कुछ लोगों का स्थाई निर्माण उस जमीन पर है. इन लोगों का कहना है कि वो 60 से 70 सालों से इस जगह पर रह रहे हैं. उन्होंने यूआईटी से पट्टे के लिए आवेदन कर रखा है. अब अगर रेलवे जमीन ले रहा है, तो उनको रहने के लिए यूआईटी या रेलवे की तरफ से जमीन या घर मिलना चाहिए. जिससे उन्हें जीवन यापन में कोई परेशानी नहीं हो.

कोर्ट के फैसले से पहले जमीन खाली कराने पहुंचे रेलवे अधिकारी

लोगों ने कहा कि वैसे मामला अभी न्यायालय में चल रहा है. कोर्ट की तरफ से 26 अप्रैल तारीख मिली हुई है. उसके बाद भी यूआईटी के अधिकारी आए दिन इन लोगों पर जमीन खाली करने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि इन लोगों के यहां रहने से रेलवे के निर्माण कार्य में देरी हो रही है. रेलवे लाइन के पास रहने वाले लोगों का कहना है की कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है.


अलवर. शहर के रेलवे जंक्शन के पास रहने वाले कई गाड़िया लोहार परिवारों के सिर से छत छीनने का खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, जंक्शन पर 2 नंबर प्रवेश एंट्री का काम चल रहा है व प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में जंक्शन के पास रहने वाले इन लोगों को कुछ समय पहले रेलवे नहीं जगह खाली करने के आदेश दिए थे.

क्योंकि रेलवे ने यह जमीन यूआईटी से खरीद ली है. वहीं यह परिवार भी न्यायालय में पहुंच चुके हैं. लेकिन, कोर्ट के फैसले से पहले ही रेलवे के अधिकारी आए दिन इनको जगह खाली करने की धमकी देते हैं, ऐसे में यह लोग खा से डरे हुए. अलवर जंक्शन पर नई रेलवे लाइन व प्लेटफार्म बनाने का काम चल रहा है. 2 नंबर प्रवेश द्वार के पास बड़ी संख्या में गाड़िया लोहार परिवार रहते थे. रेलवे ने इनमें से ज्यादातर परिवारों को वहां से हटा दिया. लेकिन कुछ लोगों का स्थाई निर्माण उस जमीन पर है. इन लोगों का कहना है कि वो 60 से 70 सालों से इस जगह पर रह रहे हैं. उन्होंने यूआईटी से पट्टे के लिए आवेदन कर रखा है. अब अगर रेलवे जमीन ले रहा है, तो उनको रहने के लिए यूआईटी या रेलवे की तरफ से जमीन या घर मिलना चाहिए. जिससे उन्हें जीवन यापन में कोई परेशानी नहीं हो.

कोर्ट के फैसले से पहले जमीन खाली कराने पहुंचे रेलवे अधिकारी

लोगों ने कहा कि वैसे मामला अभी न्यायालय में चल रहा है. कोर्ट की तरफ से 26 अप्रैल तारीख मिली हुई है. उसके बाद भी यूआईटी के अधिकारी आए दिन इन लोगों पर जमीन खाली करने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि इन लोगों के यहां रहने से रेलवे के निर्माण कार्य में देरी हो रही है. रेलवे लाइन के पास रहने वाले लोगों का कहना है की कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है.

Intro:अलवर रेलवे जंक्शन के पास रहने वाले कई गाड़िया लोहार परिवारों के सिर से छत छीनने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल जंक्शन पर 2 नंबर प्रवेश एंट्री का काम चल रहा है व प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में जंक्शन के पास रहने वाले इन लोगों को कुछ समय पहले रेलवे नहीं जगह खाली करने के आदेश दिए थे। क्योंकि रेलवे ने यह जमीन यूआईटी से खरीद ली है। वहीं यह परिवार भी न्यायालय में पहुच चुके हैं। लेकिन कोर्ट के फैसले से पहले ही रेलवे के अधिकारी आए दिन इनको जगह खाली करने की धमकी देते हैं, ऐसे में यह लोग खा से डरे हुए।


Body:अलवर जंक्शन पर नई रेलवे लाइन व प्लेटफार्म बनाने का काम चल रहा है। 2 नंबर प्रवेश द्वार के पास बड़ी संख्या में गाड़िया लोहार परिवार रहते थे। रेलवे ने इनमें से ज्यादातर परिवारों को वहां से हटा दिया। लेकिन कुछ लोगों का स्थाई निर्माण उस जमीन पर है। इन लोगों का कहना है कि वो 60 से 70 सालों से इस जगह पर रह रहे हैं। उन्होंने यूआईटी से पट्टे के लिए आवेदन कर रखा है। अब अगर रेलवे जमीन ले रहा है, तो उनको रहने के लिए यूआईटी या रेलवे की तरफ से जमीन या घर मिलना चाहिए। जिससे उन्हें जीवन यापन में कोई परेशानी नहीं हो। लोगों ने कहा कि वैसे मामला अभी न्यायालय में चल रहा है। कोर्ट की तरफ से 26 अप्रैल तारीख मिली हुई है। उसके बाद भी यूआईटी के अधिकारी आए दिन इन लोगों पर जमीन खाली करने का दबाव बना रहे हैं।


Conclusion:हालांकि इन लोगों के यहां रहने से रेलवे के निर्माण कार्य में देरी हो रही है। रेलवे लाइन के पास रहने वाले लोगों का कहना है की कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है।
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