अलवर. प्रदेश के एक मात्र अलवर एक ऐसा जिला है, जो अरावली की पहाड़ियों से पूरी तरह से गिरा हुआ है. यहां कई तरह के प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलते हैं. अलवर में 886 वर्ग किलोमीटर लंबा सरिस्का नेशनल पार्क है. जहां, टाइगर खुलेआम रहते हैं. इसलिए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रस्ताव मांगा गया है.
जिले में 24 से अधिक पर्यटन प्वॉइंट हैं. इनमें सिलीसेढ़ झील, बाला किला, नीलकंठ महादेव मंदिर, अजबगढ़ भानगढ़, अलवर का कंपनी बाग, ताल वृक्ष, नारायणी माता, पांडुपोल मंदिर सहित अन्य शामिल हैं. जहां, प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं. लेकिन, समय-समय पर उनका रखरखाव नहीं होने के कारण पर्यटन स्थलों के हालात खराब हो रहे हैं.
इसलिए अलवर जिला कलेक्टर की तरफ से शुक्रवार को अलवर की प्रताप ऑडिटोरियम में बैठक का आयोजन किया गया. इसमें होटल संचालक, वन विभाग के अधिकारी, पर्यटन विभाग के अधिकारी, नेचर गाइड, सरिस्का वन प्रेमी, सामाजिक संस्थान, एनजीओ संचालक और सरकारी विभागों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला कलेक्टर ने प्रस्ताव मांगे. इसके बाद आने वाले समय में मत्स्य उत्सव को लेकर चर्चा की गई. जिला कलेक्टर ने कहा कि इस बार मत्स्य उत्सव अन्य सालों की तुलना में बेहतर होगा. उसके लिए योजना बनाई जा रही है. उसमें आम आदमी की हिस्सेदारी होगी.
जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने कहा एनसीआर आने वाले किसी भी शहर में पर्यटन स्थल नहीं है. सबसे ज्यादा पर्यटन स्थल अलवर में है. अलवर के पर्यटन स्थलों को बेहतर करने और बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई जा रही है. पर्यटन संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की तरफ से अलवर जिला कलेक्टर से प्रस्ताव मांगे गए हैं. जिसमें पर्यटन स्थलों को नया रूप देने, पर्यटन स्थलों पर कुछ नया करने के लिए काम कराए जाएंगे. जिससे अलवर की पहचान राष्ट्रीय मानचित्र पर बेहतर हो सके. जिला कलेक्टर ने कहा कि अलवर के ऊपर एक पुस्तक निकाली जाएगी, जिसमें पर्यटन स्थलों के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी होगी. इसके अलावा ऑनलाइन लोगों को बेहतर जानकारी मिल सके उस पर भी पूरी कोशिश की जा रही है.