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सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ने में लगेगा समय, मध्यप्रदेश सरकार ने बाघ भेजने से किया इनकार - New tigers will not be able to come to Sariska

अलवर के सरिस्का में अब नए बाघ नहीं आ सकेंगे. राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने सरिस्का में 2 नए बाघ भेजने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि सरिस्का में मानवता ज्यादा है, ऐसे में वहां बाघ सुरक्षित नहीं हैं.

सरिस्का में नहीं आ सकेंगे नए बाघ, Sariska National Park
सरिस्का में नहीं आ सकेंगे नए बाघ
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Published : Nov 30, 2019, 5:27 PM IST

अलवर. जिले के सरिस्का में अब नए बाघ नहीं आ सकेंगे. राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने सरिस्का में 2 नए बाघ भेजने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि सरिस्का में मानवता ज्यादा है, ऐसे में वहां बाघ सुरक्षित नहीं हैं.

सरिस्का में नहीं आ सकेंगे नए बाघ

बता दें कि अलवर के सरिस्का में 1200 वर्ग किलोमीटर में 26 गांव बसे हुए हैं. गांव की तुलना में यहां वन कर्मियों की संख्या भी काफी कम है. जबकि सरिस्का के कोर क्षेत्र में 6 गांव बसे हुए हैं. इसलिए सरिस्का में मानव दखल अन्य जंगलों की तुलना में ज्यादा है. सरिस्का में तेजी से कम हो रहे बाघों की संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश सरकार को 2 बाघ भेजने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने बाघ भेजने से मना कर दिया है.

पढ़ें- अलवर: सरिस्का से खेतों की ओर आए पैंथर के कारण किसानों में दहशत का माहौल

मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि सरिस्का वन क्षेत्र में मानव दखल ज्यादा है. मानव दखल कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. इसी तरह से कोर क्षेत्र में मानव दखल होने के कारण बाघों के प्रजनन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. वहीं, एनटीसीए ने भी साफ कर दिया है कि जब तक यहां बाघ संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तब तक सरिस्का में नए बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

सरिस्का में 2 साल में 3 बाघों की मौत

सरिस्का में 2 साल के दौरान 3 बाघों की मौत हो चुकी है. वहीं, वर्ष 2010 में सरिस्का में 3 बाघों की मौत हुई थी. वर्तमान में सरिस्का में 9 बाघिन पर एक बाघ है. जबकि एक बाघ ही प्रजनन की क्षमता रखता है और अन्य 3 बाघ युवा है. जो प्रजनन में सक्षम नहीं रखते हैं.

वहीं, वन प्रेमियों ने बताया कि सरिस्का कि कुछ बाघिन शावकों को जन्म नहीं दे सकती हैं. इसलिए सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से वयस्क बाघ लाने की जरूरत है. तो वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सरिस्का में 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही बाघों के लिए उपयुक्त है, जिसमें बाघ घूम सकते हैं. सरिस्का बाघ अभ्यारण गांव से घिरा हुआ है, इसलिए अन्य वन क्षेत्र से यह कटा हुआ है. ऐसे में सरकार को अब सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है. नहीं तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है और उनकी पहचान खो सकती है.

अलवर. जिले के सरिस्का में अब नए बाघ नहीं आ सकेंगे. राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने सरिस्का में 2 नए बाघ भेजने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि सरिस्का में मानवता ज्यादा है, ऐसे में वहां बाघ सुरक्षित नहीं हैं.

सरिस्का में नहीं आ सकेंगे नए बाघ

बता दें कि अलवर के सरिस्का में 1200 वर्ग किलोमीटर में 26 गांव बसे हुए हैं. गांव की तुलना में यहां वन कर्मियों की संख्या भी काफी कम है. जबकि सरिस्का के कोर क्षेत्र में 6 गांव बसे हुए हैं. इसलिए सरिस्का में मानव दखल अन्य जंगलों की तुलना में ज्यादा है. सरिस्का में तेजी से कम हो रहे बाघों की संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश सरकार को 2 बाघ भेजने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने बाघ भेजने से मना कर दिया है.

पढ़ें- अलवर: सरिस्का से खेतों की ओर आए पैंथर के कारण किसानों में दहशत का माहौल

मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि सरिस्का वन क्षेत्र में मानव दखल ज्यादा है. मानव दखल कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. इसी तरह से कोर क्षेत्र में मानव दखल होने के कारण बाघों के प्रजनन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. वहीं, एनटीसीए ने भी साफ कर दिया है कि जब तक यहां बाघ संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तब तक सरिस्का में नए बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

सरिस्का में 2 साल में 3 बाघों की मौत

सरिस्का में 2 साल के दौरान 3 बाघों की मौत हो चुकी है. वहीं, वर्ष 2010 में सरिस्का में 3 बाघों की मौत हुई थी. वर्तमान में सरिस्का में 9 बाघिन पर एक बाघ है. जबकि एक बाघ ही प्रजनन की क्षमता रखता है और अन्य 3 बाघ युवा है. जो प्रजनन में सक्षम नहीं रखते हैं.

वहीं, वन प्रेमियों ने बताया कि सरिस्का कि कुछ बाघिन शावकों को जन्म नहीं दे सकती हैं. इसलिए सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से वयस्क बाघ लाने की जरूरत है. तो वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सरिस्का में 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही बाघों के लिए उपयुक्त है, जिसमें बाघ घूम सकते हैं. सरिस्का बाघ अभ्यारण गांव से घिरा हुआ है, इसलिए अन्य वन क्षेत्र से यह कटा हुआ है. ऐसे में सरकार को अब सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है. नहीं तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है और उनकी पहचान खो सकती है.

Intro:अलवर
अलवर के सरिस्का में अब नई बाघ नहीं आ सकेंगे। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने सरिस्का में दो नए बाघ भेजने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि सरिस्का में मानवता ज्यादा है। ऐसे में वहां बाघ सुरक्षित नहीं है।


Body:अलवर के सरिस्का में 1200 वर्ग किलोमीटर में 26 गांव बसे हुए हैं। गांव की तुलना में यहां वन कर्मियों की संख्या भी काफी कम है। जबकि सरिस्का के कोर क्षेत्र में 6 गांव बसे हुए हैं। इसलिए सरिस्का में मानव दखल अन्य जंगलों की तुलना में ज्यादा है। सरिस्का में तेजी से कम हो रहे बाघों की संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश सरकार को दो बाघ भेजने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने बाघ भेजने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि सरिस्का वन क्षेत्र में मानव दखल ज्यादा है। मानव दखल कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। इसी तरह से कोर क्षेत्र में मानव दखल होने के कारण बाघों के प्रजनन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। तो वहीं एनटीसीए ने भी साफ कर दिया है कि जब तक यहां बाघ संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। तब तक सरिस्का में नए भाग लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरिस्का में 2 साल के दौरान 3 वर्ष बाघों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2010 में सरिस्का में 3 बाघों की मौत हुई थी। वर्तमान में सरिस्का में 9 बाघिन पर एक बाघ है। जबकि एक बाघ ही प्रजनन की क्षमता रखता है। अन्य तीन बाघ युवा है। जोकि प्रजनन में सक्षम नहीं रखते हैं।


Conclusion:वन विभाग वन प्रेमियों ने कहा कि सरिस्का कि कुछ बाघिन शावकों को जन्म नहीं दे सकती हैं। इस लिए सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से वयस्क बाघ लाने की जरूरत है। तो वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सरिस्का में 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही बाघों के लिए उपयुक्त है। जिसमें बाघ घूम सकते हैं। तो वहीं सरिस्का बाघ अभ्यारण गांव से घिरा हुआ है। इसलिए अन्य वन क्षेत्र से यह कटा हुआ है। ऐसे में सरकार को अब सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। नहीं तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है व उनकी पहचान खो सकती है।
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