अलवर. जिले के सरिस्का में अब नए बाघ नहीं आ सकेंगे. राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने सरिस्का में 2 नए बाघ भेजने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि सरिस्का में मानवता ज्यादा है, ऐसे में वहां बाघ सुरक्षित नहीं हैं.
बता दें कि अलवर के सरिस्का में 1200 वर्ग किलोमीटर में 26 गांव बसे हुए हैं. गांव की तुलना में यहां वन कर्मियों की संख्या भी काफी कम है. जबकि सरिस्का के कोर क्षेत्र में 6 गांव बसे हुए हैं. इसलिए सरिस्का में मानव दखल अन्य जंगलों की तुलना में ज्यादा है. सरिस्का में तेजी से कम हो रहे बाघों की संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश सरकार को 2 बाघ भेजने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने बाघ भेजने से मना कर दिया है.
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मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि सरिस्का वन क्षेत्र में मानव दखल ज्यादा है. मानव दखल कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. इसी तरह से कोर क्षेत्र में मानव दखल होने के कारण बाघों के प्रजनन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. वहीं, एनटीसीए ने भी साफ कर दिया है कि जब तक यहां बाघ संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तब तक सरिस्का में नए बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सरिस्का में 2 साल में 3 बाघों की मौत
सरिस्का में 2 साल के दौरान 3 बाघों की मौत हो चुकी है. वहीं, वर्ष 2010 में सरिस्का में 3 बाघों की मौत हुई थी. वर्तमान में सरिस्का में 9 बाघिन पर एक बाघ है. जबकि एक बाघ ही प्रजनन की क्षमता रखता है और अन्य 3 बाघ युवा है. जो प्रजनन में सक्षम नहीं रखते हैं.
वहीं, वन प्रेमियों ने बताया कि सरिस्का कि कुछ बाघिन शावकों को जन्म नहीं दे सकती हैं. इसलिए सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से वयस्क बाघ लाने की जरूरत है. तो वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सरिस्का में 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही बाघों के लिए उपयुक्त है, जिसमें बाघ घूम सकते हैं. सरिस्का बाघ अभ्यारण गांव से घिरा हुआ है, इसलिए अन्य वन क्षेत्र से यह कटा हुआ है. ऐसे में सरकार को अब सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है. नहीं तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है और उनकी पहचान खो सकती है.