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अलवर: देसूला गांव के ग्रामीण पहुंचे कलेक्ट्रेट, MGNREGA में काम नहीं दिए जाने को लेकर सौंपा ज्ञापन

अलवर शहर के देसूला गांव की कई लोग सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां उन्होंने काम नहीं मिलने और मजदूरी कम देने की बात को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. इसके साथ ही उन्होंने पंचायत सचिव और मेट दोनों पर मिलीभगत का आरोप भी लगाया.

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MGNREGA में काम नहीं दिए जाने को लेकर सौंपा ज्ञापन
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Published : Jul 13, 2020, 6:56 PM IST

अलवर. शहर के देसूला गांव की कई महिला और पुरुष सोमवार दोपहर मनरेगा में काम नहीं दिए जाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्याओं से अवगत करवाकर ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्होंने पंचायत सचिव और मेट दोनों पर मिलीभगत का आरोप लगाया.

साथ ही श्रमिकों ने कहा कि उन्हें महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिल पाता है. बाकी दिन वे खाली बैठे रहते हैं. पंचायत सचिव और मेट के मिलीभगत से मनरेगा के तहत जो काम मजदूरों से करवाना चाहिए था. उसे जेसीबी मशीन से करवाया जा रहा है.

MGNREGA में काम नहीं दिए जाने को लेकर सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणों ने कहा कि मनरेगा में मजदूरों के आधार पर यदि काम कराए जाते है तो उनको भुगतान भी करना पड़ता है. जबकि मशीन वालों को थोड़ा सा पैसा देकर मजदूरों के नाम पर खानापूर्ति कर ली जाती है और सरकार का पैसा हजम कर लिया जाता है. इस बात को लेकर ग्रामीणों ने राज्यमंत्री टीकाराम जूली को भी शिकायत करने की भी बात कही. लेकिन उनकी भी नहीं सुनी और उनसे कहा कि टीकाराम जूली ही अब उनको काम देंगे, वे उन्हीं के पास जाएं.

पढ़ें- दिल्ली पुलिस की अलवर में कार्रवाई, गैंगस्टर ढिल्लू जाट को हथियार समेत दबोचा

ग्रामीणों का कहना है कि पुरुषों को काम बिल्कुल नहीं मिलता और महिलाओं को भी महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिलता है. ऊपर से मजदूरी भी 220 की जगह 150 रुपए दी जाती है और अंगूठा या दस्तखत पूरी रकम पर कराए जाते हैं. इसलिए परेशान होकर वे जिला कलेक्टर को समस्याओं से अवगत कराने के लिए वहां आये हैं.

अलवर. शहर के देसूला गांव की कई महिला और पुरुष सोमवार दोपहर मनरेगा में काम नहीं दिए जाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्याओं से अवगत करवाकर ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्होंने पंचायत सचिव और मेट दोनों पर मिलीभगत का आरोप लगाया.

साथ ही श्रमिकों ने कहा कि उन्हें महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिल पाता है. बाकी दिन वे खाली बैठे रहते हैं. पंचायत सचिव और मेट के मिलीभगत से मनरेगा के तहत जो काम मजदूरों से करवाना चाहिए था. उसे जेसीबी मशीन से करवाया जा रहा है.

MGNREGA में काम नहीं दिए जाने को लेकर सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणों ने कहा कि मनरेगा में मजदूरों के आधार पर यदि काम कराए जाते है तो उनको भुगतान भी करना पड़ता है. जबकि मशीन वालों को थोड़ा सा पैसा देकर मजदूरों के नाम पर खानापूर्ति कर ली जाती है और सरकार का पैसा हजम कर लिया जाता है. इस बात को लेकर ग्रामीणों ने राज्यमंत्री टीकाराम जूली को भी शिकायत करने की भी बात कही. लेकिन उनकी भी नहीं सुनी और उनसे कहा कि टीकाराम जूली ही अब उनको काम देंगे, वे उन्हीं के पास जाएं.

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ग्रामीणों का कहना है कि पुरुषों को काम बिल्कुल नहीं मिलता और महिलाओं को भी महीने में 10 से 12 दिन ही काम मिलता है. ऊपर से मजदूरी भी 220 की जगह 150 रुपए दी जाती है और अंगूठा या दस्तखत पूरी रकम पर कराए जाते हैं. इसलिए परेशान होकर वे जिला कलेक्टर को समस्याओं से अवगत कराने के लिए वहां आये हैं.

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