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जानकी जी को बिहाने निकले भगवान जगन्नाथ, बाराती बने हजारों लोग - wednesday

अलवर में बुधवार को भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा निकली. पुराना कटरा स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से इंद्र विमान में सवार होकर भगवान जगन्नाथ जानकी जी को बिहाने के लिए निकले. शोभायात्रा रात करीब 3 बजे रूपबास मेला स्थल पर पहुंची. बता दें कि यहां 3 दिनों तक मेला होगा. साथ ही भगवान जगन्नाथ को जानकी जी का विवाह होगा.

जानकी जी को बिहाने निकले भगवान जगन्नाथ
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Published : Jul 11, 2019, 7:44 AM IST

अलवर. जिले में माता जानकी जी को बिहाने के लिए भगवान जगन्नाथ अलवर में जगन्नाथ मंदिर से इंद्र विमान में निकले. उनकी बारात में हाथी, घोड़े, बैंड और अलवर के हजारों लोग बाराती के रूप में शामिल हुए. शाम करीब 7 बजे के आसपास पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा रथ में विराजमान हुए. उसके बाद भगवान जगन्नाथ के जयघोष के साथ उनका रथ रवाना हुआ.

जानकी जी को बिहाने निकले भगवान जगन्नाथ

बता दें कि उनके रथ के अलावा शोभायात्रा में बैंड, हाथी, घोड़े, झांकियां, प्याऊ सहित कई तरह की कलाएं दिखाई गई. इसमें शामिल होने के लिए इस्कॉन मंदिर से इस्कॉन की झांकी और हरियाणा से हरियाणा लोक कलाकार की झांकी भी अलवर पहुंची.

रात करीब 3 बजे के करीब पहुंचे भगवान

रात करीब 3 बजे के आसपास भगवान जगन्नाथ का रथ अलवर के रूपबास मेला स्थल पर पहुंचा. बता दें कि 3 दिनों तक यहां मेले का आयोजन होगा. इस दौरान भगवान जगन्नाथ के साथ जानकी जी का विवाह होगा. इस दौरान विवाह की सारी रस्में होंगी. रूपबास क्षेत्र के लोग जानकी जी का कन्यादान करेंगे.

बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे

उसके बाद जानकी जी के साथ भगवान जगन्नाथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे. इस दौरान जगन्नाथ मंदिर में बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे. बूढ़े जगन्नाथ जी की प्रतिमा के दर्शन साल में एक बार होते हैं. 3 दिनों तक चलने वाले इस मेले में अलवर सहित आसपास के जिलों और राज्यों से लोग आते हैं. हालांकि समय के साथ मेले का स्वरूप बदला है, लेकिन मेले में आज भी मनोरंजन के साधन खिलौने, मिठाई, खानपान की स्टॉल सहित अन्य दुकानें लगती है.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

मेला स्थल पर प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इसमें राजस्थान के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. मेले के दौरान पुलिस और प्रशासन के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेले में वाहनों की पार्किंग की भी अलग व्यवस्था की गई है. मेले के चलते सिकंदरा,जयपुर और आगरा से अलवर की तरफ आने वाले वाहनों का मार्ग डायवर्ट किया गया है. रूपबास मार्ग से आने वाले वाहनों को बायपास मार्ग से होकर अलवर आना होगा.

हजारों लोग बाराती बने

भगवान जगन्नाथ की इस बारात में अलवर की हजारों लोग बाराती बने. जगह-जगह शहर में खान पान की स्टॉल लगाई गई, तो वहीं पूरा शहर एक उत्सव के रूप में नजर आया. 3 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ जानकी जी के साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे.

अलवर. जिले में माता जानकी जी को बिहाने के लिए भगवान जगन्नाथ अलवर में जगन्नाथ मंदिर से इंद्र विमान में निकले. उनकी बारात में हाथी, घोड़े, बैंड और अलवर के हजारों लोग बाराती के रूप में शामिल हुए. शाम करीब 7 बजे के आसपास पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा रथ में विराजमान हुए. उसके बाद भगवान जगन्नाथ के जयघोष के साथ उनका रथ रवाना हुआ.

जानकी जी को बिहाने निकले भगवान जगन्नाथ

बता दें कि उनके रथ के अलावा शोभायात्रा में बैंड, हाथी, घोड़े, झांकियां, प्याऊ सहित कई तरह की कलाएं दिखाई गई. इसमें शामिल होने के लिए इस्कॉन मंदिर से इस्कॉन की झांकी और हरियाणा से हरियाणा लोक कलाकार की झांकी भी अलवर पहुंची.

रात करीब 3 बजे के करीब पहुंचे भगवान

रात करीब 3 बजे के आसपास भगवान जगन्नाथ का रथ अलवर के रूपबास मेला स्थल पर पहुंचा. बता दें कि 3 दिनों तक यहां मेले का आयोजन होगा. इस दौरान भगवान जगन्नाथ के साथ जानकी जी का विवाह होगा. इस दौरान विवाह की सारी रस्में होंगी. रूपबास क्षेत्र के लोग जानकी जी का कन्यादान करेंगे.

बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे

उसके बाद जानकी जी के साथ भगवान जगन्नाथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे. इस दौरान जगन्नाथ मंदिर में बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे. बूढ़े जगन्नाथ जी की प्रतिमा के दर्शन साल में एक बार होते हैं. 3 दिनों तक चलने वाले इस मेले में अलवर सहित आसपास के जिलों और राज्यों से लोग आते हैं. हालांकि समय के साथ मेले का स्वरूप बदला है, लेकिन मेले में आज भी मनोरंजन के साधन खिलौने, मिठाई, खानपान की स्टॉल सहित अन्य दुकानें लगती है.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

मेला स्थल पर प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इसमें राजस्थान के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. मेले के दौरान पुलिस और प्रशासन के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेले में वाहनों की पार्किंग की भी अलग व्यवस्था की गई है. मेले के चलते सिकंदरा,जयपुर और आगरा से अलवर की तरफ आने वाले वाहनों का मार्ग डायवर्ट किया गया है. रूपबास मार्ग से आने वाले वाहनों को बायपास मार्ग से होकर अलवर आना होगा.

हजारों लोग बाराती बने

भगवान जगन्नाथ की इस बारात में अलवर की हजारों लोग बाराती बने. जगह-जगह शहर में खान पान की स्टॉल लगाई गई, तो वहीं पूरा शहर एक उत्सव के रूप में नजर आया. 3 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ जानकी जी के साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे.

Intro:
अलवर।
अलवर में बुधवार को भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा निकली। पुराना कटरा स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से इंद्र विमान में सवार होकर भगवान जगन्नाथ जानकी जी को बिहाने के लिए निकले। शोभायात्रा रात करीब 3 बजे रूपबास मेला स्थल पर पहुची। उसमें बैंड हाथी घोड़े भगवानों की झांकी प्याऊ सहित कई झांकियां शामिल हुई। रूपबास में 3 दिनों तक मेला भरेगा व भगवान जगन्नाथ को जानकी जी का विवाह होगा। भगवान जगन्नाथ की इस बारात में अलवर की हजारों लोग बाराती बने। जगह-जगह शहर में प्याऊ का खान पान की स्टॉल लगाई गई। तो वही पूरा शहर एक उत्सव के रूप में नजर आया। 3 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ जानकी जी के साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे।


Body:अलवर में माता जानकी जी को बिहानी के लिए भगवान जगन्नाथ अलवर में जगन्नाथ मंदिर से इंद्र विमान में निकले। उनकी बारात में हाथी, घोड़े, बैंड व अलवर के हजारों लोग बराती के रूप में शामिल हुए। शाम करीब 7 बजे के आसपास पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा रथ में विराजमान हुए। उसके बाद भगवान जगन्नाथ के जयघोष के साथ उनका रथ रवाना हुआ। उनके रथ के अलावा शोभायात्रा में बैंड हाथी घोड़े झांकियां प्याऊ सहित कई तरह की कलाएं दिखाई गई। इसमें शामिल होने के लिए इस्कॉन मंदिर से इस्कॉन की झांकी व हरियाणा से हरियाणा लोक कलाकार की झांकी भी अलवर पहुंची।

रात करीब 3 बजे के आसपास भगवान जगन्नाथ का रथ अलवर के रूपबास मेला स्थल पर पहुंचा। 3 दिनों तक यहां मेले का आयोजन होगा। इस दौरान भगवान जगन्नाथ के जानकी जी का विवाह होगा। इस दौरान विवाह की सारी रस्में होंगी रूपबास क्षेत्र के लोग जानकी जी का कन्यादान करेंगे।

उसके बाद जानकी जी के साथ भगवान जगन्नाथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे। इस दौरान जगन्नाथ मंदिर में बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे। बूढ़े जगन्नाथ जी की प्रतिमा के दर्शन साल में एक बार होते हैं। 3 दिनों तक चलने वाले इस मेले में अलवर सहित आसपास के जिलों व राज्यों से लोग आते हैं। हालांकि समय के साथ मेले का स्वरूप बदला है। लेकिन मेले में आज भी मनोरंजन के साधन खिलौने, मिठाई, खानपान की स्टॉल सहित अन्य दुकानें लगती है।


Conclusion:मेला स्थल पर प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें राजस्थान के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। मेले के दौरान पुलिस व प्रशासन के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेले में वाहनों की पार्किंग की भी अलग व्यवस्था की गई है। मेले के चलते सिकंदरा, जयपुर व आगरा से अलवर की तरफ आने वाले वाहनों का मार्ग डायवर्ट किया गया है। रूपबास मार्ग से आने वाले वाहनों को बायपास मार्ग से होकर अलवर आ रहा होगा।
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