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कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच अलवर के हेल्थ सिस्टम की सच्चाई डराने वाली है

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Published : Jun 7, 2021, 5:28 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 5:41 PM IST

कोरोना की तीसरी लहर के बीच राजस्थान सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ठीक करने का दावा कर रही है. लेकिन अलवर के हेल्थ सिस्टम की सच्चाई कुछ और ही है. जिले में 28 दिन से 18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों के इलाज की व्यवस्था एक भी सरकारी अस्पताल में नहीं है. केवल दो निजी अस्पतालों में 18 साल तक के बच्चों के इलाज के सीमित संसाधन हैं. वहीं जन्म से 28 दिन के बच्चों के इलाज की सुविधाएं केवल एक ही अस्पताल में है.

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अलवर में 28 दिन से लेकर 18 साल तक के बच्चों के इलाज का नहीं है कोई इंतजाम

अलवर. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है. सरकार व प्रशासन ने इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी बीच अलवर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अलवर के सरकारी हॉस्पिटल में केवल जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक की उम्र के बच्चों, किशोरों के इलाज की जिले में कोई व्यवस्था नहीं है. जिले में केवल दो निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां 18 साल तक के बच्चों के इलाज के सीमित संसाधन हैं.

अलवर में 28 दिन से लेकर 18 साल तक के बच्चों के इलाज का नहीं है कोई इंतजाम

पढे़ं: कोरोना पॉजिटिव राम रहीम का हनीप्रीत रख रही ध्यान, अस्पताल में अटेंडेट कार्ड भी बनवाया

अलवर में प्रशासन की तरफ से बच्चों के बेहतर इलाज के दावे किए जाते हैं. प्रशासन का दावा है कि सीएचसी स्तर पर बच्चों का इलाज हो सकेगा. सभी जिला अस्पतालों के अलावा सीएचसी स्तर पर भी बच्चों का आईसीयू तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. अलवर में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों की गीतानंद शिशु अस्पताल में इलाज की सुविधा है. उसके बाद की उम्र के बच्चों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है. हालांकि प्रशासन व सरकार का दावा है कि जिले में बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं. इस दिशा में काम शुरू हो चुका है.

अलवर में एक जिला अस्पताल, 2 सैटेलाइट अस्पताल, एक शिशु अस्पताल, एक जनाना अस्पताल, 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व 200 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. अब तक बच्चों के इलाज की सुविधा केवल जिला मुख्यालय पर है. अन्य जगहों पर रेमडेसिविर, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य व्यवस्थाएं नहीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर में अलवर में 500 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए.

अलवर में बड़े अस्पतालों के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी बच्चों के इलाज की सुविधा की जा रही है. सभी जगह पर आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य इंतजाम किए जा रहे हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय को डिमांड भेज दी गई है. उपकरण, मशीनों का जिले में आने का सिलसिला शुरू हो चुका है.

टीकाराम जूली ने क्या कहा

श्रम मंत्री टीकाराम जूली का कहना है कि जिले में स्वास्थ्य के बेहतर इंतजाम हैं. तीसरी लहर के मद्देनजर विधानसभा और गांव स्तर पर बच्चों का बेहतर इलाज हो सके, इस दिशा में काम शुरू हो चुका है. सभी जगह पर बच्चों के इलाज के लिए अलग से बेड, ऑक्सीजन, आईसीयू, रेमडेसिविर सहित अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं. इसके अलावा सभी जगहों पर बच्चों के इलाज के लिए दवाई भी उपलब्ध कराई जा रही है.

28 दिन से 18 साल तक के बच्चों के लिए नहीं है आईसीयू, वेंटिलेटर की व्यवस्था

गीतानंद शिशु अस्पताल में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक के बच्चों, किशोरों के इलाज की कोई व्यवस्था जिले में नहीं है. अलवर में बच्चों के इलाज लिए निजी अस्पतालों में भी सीमित इंतजाम हैं. जिले के केवल 2 निजी अस्पतालों में 28 दिन से 18 साल तक के बच्चों, किशोरों के इलाज के लिए आईसीयू वेंटिलेटर की सुविधा है. इसके अलावा किसी भी निजी अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है.

अलवर. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है. सरकार व प्रशासन ने इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी बीच अलवर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अलवर के सरकारी हॉस्पिटल में केवल जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक की उम्र के बच्चों, किशोरों के इलाज की जिले में कोई व्यवस्था नहीं है. जिले में केवल दो निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां 18 साल तक के बच्चों के इलाज के सीमित संसाधन हैं.

अलवर में 28 दिन से लेकर 18 साल तक के बच्चों के इलाज का नहीं है कोई इंतजाम

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अलवर में प्रशासन की तरफ से बच्चों के बेहतर इलाज के दावे किए जाते हैं. प्रशासन का दावा है कि सीएचसी स्तर पर बच्चों का इलाज हो सकेगा. सभी जिला अस्पतालों के अलावा सीएचसी स्तर पर भी बच्चों का आईसीयू तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. अलवर में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों की गीतानंद शिशु अस्पताल में इलाज की सुविधा है. उसके बाद की उम्र के बच्चों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है. हालांकि प्रशासन व सरकार का दावा है कि जिले में बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं. इस दिशा में काम शुरू हो चुका है.

अलवर में एक जिला अस्पताल, 2 सैटेलाइट अस्पताल, एक शिशु अस्पताल, एक जनाना अस्पताल, 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व 200 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. अब तक बच्चों के इलाज की सुविधा केवल जिला मुख्यालय पर है. अन्य जगहों पर रेमडेसिविर, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य व्यवस्थाएं नहीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर में अलवर में 500 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए.

अलवर में बड़े अस्पतालों के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी बच्चों के इलाज की सुविधा की जा रही है. सभी जगह पर आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सहित अन्य इंतजाम किए जा रहे हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय को डिमांड भेज दी गई है. उपकरण, मशीनों का जिले में आने का सिलसिला शुरू हो चुका है.

टीकाराम जूली ने क्या कहा

श्रम मंत्री टीकाराम जूली का कहना है कि जिले में स्वास्थ्य के बेहतर इंतजाम हैं. तीसरी लहर के मद्देनजर विधानसभा और गांव स्तर पर बच्चों का बेहतर इलाज हो सके, इस दिशा में काम शुरू हो चुका है. सभी जगह पर बच्चों के इलाज के लिए अलग से बेड, ऑक्सीजन, आईसीयू, रेमडेसिविर सहित अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं. इसके अलावा सभी जगहों पर बच्चों के इलाज के लिए दवाई भी उपलब्ध कराई जा रही है.

28 दिन से 18 साल तक के बच्चों के लिए नहीं है आईसीयू, वेंटिलेटर की व्यवस्था

गीतानंद शिशु अस्पताल में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों के इलाज की सुविधा है. उसके बाद 18 साल तक के बच्चों, किशोरों के इलाज की कोई व्यवस्था जिले में नहीं है. अलवर में बच्चों के इलाज लिए निजी अस्पतालों में भी सीमित इंतजाम हैं. जिले के केवल 2 निजी अस्पतालों में 28 दिन से 18 साल तक के बच्चों, किशोरों के इलाज के लिए आईसीयू वेंटिलेटर की सुविधा है. इसके अलावा किसी भी निजी अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है.

Last Updated : Jun 7, 2021, 5:41 PM IST
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