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Kusum Component A Scheme: अब प्रदेश में बिजली संकट होगा दूर, किसान कर सकते हैं बिजली निर्यात, होगी आय, जानिए पूरी डिटेल

प्रदेश का किसान अब बिजली उत्पादन में भी आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में कुसुम कंपोनेंट ए के तहत सौर परियोजना लगाने के लिए 623 आवेदन मिले हैं. वहीं अलवर जिले में 15 किसानों ने पावर पर्चेज एग्रीमेंट पीपीए के तहत सौर परियोजना लगाने को सहमति दी है. इनमें से तीन में उत्पादन शुरू हो गया है और वे जयपुर डिस्कॉम को बिजली बेच रहे (Farmers producing power from solar energy plants) हैं.

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Published : May 18, 2022, 10:48 PM IST

Kusum Component A Scheme for farmers
अब प्रदेश में बिजली संकट होगा दूर, किसान कर सकते हैं बिजली निर्यात, होगी आय, जानिए पूरी डिटेल

अलवर. प्रदेश में लगातार बिजली की कमी हो रही है. ऐसे में सरकार सौर ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दे रही है. सौर ऊर्जा के प्रदेश में बड़े प्लांट लगाए जा रहे हैं. दे अब कुसुम कंपोनेंट ए योजना के तहत प्रदेश में 623 किसानों ने सौर परियोजना शुरू करने के लिए आवेदन किया (Kusum Component A Scheme for farmers) है.

इनमें से 250 किसानों ने अक्षय ऊर्जा निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट भी कर लिया है. इनमें 25 सौर परियोजना शुरू भी हो चुकी हैं. अलवर जिले में 15 किसानों ने निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट किया और तीन किसानों ने सौर परियोजना से बिजली उत्पादन भी शुरू कर दिया है. यहां से जयपुर डिस्कॉम को बिजली भी बेच रही है. अलवर जिले में जाट बहरोड़ निवासी रेवती देवी ने दो मेगावाट, भूपसेडा निवासी बलवीर सिंह ने एक मेगावाट तथा पेहल निवासी दशरथ यादव ने 2 मेगावाट की सौर परियोजना लगा बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है.

पढ़ें: सरकारी भवनों की छतों पर निजी कंपनियां पैदा करेंगी बिजली, 'रेस्को मॉडल' के जरिए लगाए जाएंगे रूफटॉप सोलर प्लांट

बिजली निगम के अधिकारियों ने बताया कि किसान अब आसानी से बिजली निर्यातक बन सकते हैं. अक्षय ऊर्जा निगम कुसुम कंपोनेंट ए के तहत आधा मेगावाट से दो मेगावाट बिजली उत्पादन सौर परियोजना स्वीकृत करता है. किसानों का बिजली निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट होता है. इसमें बिजली निगम किसान से 3 रुपए 14 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है. यह एग्रीमेंट करीब 25 साल के लिए होता है. सौर परियोजना स्थापित करने के लिए किसान को दो हैक्टेयर भूमि की जरूरत होती है. इस परियोजना पर चार से साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत आती है. किसान को सौर परियोजना की लागत 8-9 साल में पूरी मिलने की संभावना रहती है. इस दौरान किसान के उपभोग की बिजली फ्री रहती है.

पढ़ें: Special: रेगिस्तान में विद्युत समस्या का 'सौर ऊर्जा' समाधान, 3.20 रु प्रति यूनिट बिजली मिलने से हो रही मोटी बचत

अलवर है औद्योगिक राजधानी: अलवर में 25 हजार से ज्यादा छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. प्रतिदिन अलवर में 300 से 400 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है. प्रदेश के अन्य जिलों में बिजली कटौती हो रही है. लेकिन अलवर में अब भी लोगों को बेहतर बिजली सप्लाई मिल रही है. दरअसल अलवर के शहरी क्षेत्र में बिजली चोरी अन्य शहरों की तुलना में कम है. प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए सबसे ज्यादा चालान व वीसीआर अलवर जिले में भरी जाती हैं. बिजली चोरी रोकने के लिए पुराने मीटरों को बदलने का काम विद्युत निगम की तरफ से किया जा रहा है. साथ ही नए ट्रांसफार्मर व प्रीपेड मीटर सहित कई नई तकनीक भी निगम की तरफ से काम में ली जा रही हैं. स्मार्ट मीटर भी लगाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में मीटरों के साथ होने वाली छेड़खानी की जानकारी विद्युत निगम को मिल जाती है.

अलवर. प्रदेश में लगातार बिजली की कमी हो रही है. ऐसे में सरकार सौर ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दे रही है. सौर ऊर्जा के प्रदेश में बड़े प्लांट लगाए जा रहे हैं. दे अब कुसुम कंपोनेंट ए योजना के तहत प्रदेश में 623 किसानों ने सौर परियोजना शुरू करने के लिए आवेदन किया (Kusum Component A Scheme for farmers) है.

इनमें से 250 किसानों ने अक्षय ऊर्जा निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट भी कर लिया है. इनमें 25 सौर परियोजना शुरू भी हो चुकी हैं. अलवर जिले में 15 किसानों ने निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट किया और तीन किसानों ने सौर परियोजना से बिजली उत्पादन भी शुरू कर दिया है. यहां से जयपुर डिस्कॉम को बिजली भी बेच रही है. अलवर जिले में जाट बहरोड़ निवासी रेवती देवी ने दो मेगावाट, भूपसेडा निवासी बलवीर सिंह ने एक मेगावाट तथा पेहल निवासी दशरथ यादव ने 2 मेगावाट की सौर परियोजना लगा बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है.

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बिजली निगम के अधिकारियों ने बताया कि किसान अब आसानी से बिजली निर्यातक बन सकते हैं. अक्षय ऊर्जा निगम कुसुम कंपोनेंट ए के तहत आधा मेगावाट से दो मेगावाट बिजली उत्पादन सौर परियोजना स्वीकृत करता है. किसानों का बिजली निगम से पावर पर्चेज एग्रीमेंट होता है. इसमें बिजली निगम किसान से 3 रुपए 14 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है. यह एग्रीमेंट करीब 25 साल के लिए होता है. सौर परियोजना स्थापित करने के लिए किसान को दो हैक्टेयर भूमि की जरूरत होती है. इस परियोजना पर चार से साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत आती है. किसान को सौर परियोजना की लागत 8-9 साल में पूरी मिलने की संभावना रहती है. इस दौरान किसान के उपभोग की बिजली फ्री रहती है.

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अलवर है औद्योगिक राजधानी: अलवर में 25 हजार से ज्यादा छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. प्रतिदिन अलवर में 300 से 400 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है. प्रदेश के अन्य जिलों में बिजली कटौती हो रही है. लेकिन अलवर में अब भी लोगों को बेहतर बिजली सप्लाई मिल रही है. दरअसल अलवर के शहरी क्षेत्र में बिजली चोरी अन्य शहरों की तुलना में कम है. प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए सबसे ज्यादा चालान व वीसीआर अलवर जिले में भरी जाती हैं. बिजली चोरी रोकने के लिए पुराने मीटरों को बदलने का काम विद्युत निगम की तरफ से किया जा रहा है. साथ ही नए ट्रांसफार्मर व प्रीपेड मीटर सहित कई नई तकनीक भी निगम की तरफ से काम में ली जा रही हैं. स्मार्ट मीटर भी लगाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में मीटरों के साथ होने वाली छेड़खानी की जानकारी विद्युत निगम को मिल जाती है.

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