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जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर जम्मू इलाके की क्या होगी भूमिका ?

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद अब परिणाम की बारी है. एग्जिट पोल की मानें तो राज्य में हंग असेंबली के आसार है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

Voters of JK
जम्मू कश्मीर के मतदाता (ANI)

नई दिल्ली : भाजपा ने जम्मू में 47 सीटों पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस ने 30 और नेशनल कांफ्रेंस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा है. चार सीटों पर एनसी और कांग्रेस आमने-सामने है. भाजपा यहां पर मुख्य रूप से पहाड़ी समुदाय और पादरी जनजाति से उम्मीद लगा रही है. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद इन दोनों समुदायों को एसटी स्टेटस प्रदान किया गया है. जम्मू में छह सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. तीन सीटें कश्मीर में एसटी के लिए रिजर्वर्ड हैं.

जम्मू की छह आरक्षित सीटों में से पांच सीटें राजौरी-पूंछ जिले में पड़ती हैं. यहां पर पहाड़ी समुदाय का बहुमत है. यह पहली बार है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं और एसटी के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं.

इसी तरह से पद्दार विधानसभा को लेकर भी खबर है कि भाजपा को यहां फायदा पहुंच सकता है. इस सीट को हाल ही में बनाया गया है. इस विधानसभा क्षेत्र में पहाड़ी, गड्डा ब्राह्मण और कोली बहुतायत में रहते हैं.

जहां तक गुज्जर समुदाय का सवाल है तो मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस को उम्मीद है कि उन्हें गुज्जर समुदाय का व्यापक समर्थन मिलेगा. गुज्जर समुदाय यह नहीं चाहते थे कि पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया जाए. उनके अनुसार ऐसा होने से उनके राजनीतिक आरक्षण पर असर पड़ना तय है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने जम्मू में छह सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी डोडा में जीत की उम्मीद कर रही है. डोडा से अब्दुल माजित वाणी चुनाव लड़ रहे हैं. वाणी पूर्व मंत्री रह चुके हैं.

अपनी पार्टी जिसका नेतृत्व अल्ताफ बुखारी के पास है, मात्र दो सीटों पर जम्मू में चुनाव लड़ रही है. वह मुख्य रूप से रियासी पर फोकस कर रही है.

एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलते हुए नहीं दिखाया गया है. अगर एग्जिट पोल को सही मान लिया जाए, तो निश्चित है कि सरकार बनाने में निर्दलीय और छोटी पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी. जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर हिंदू बहुमत वाले इलाके हैं. यहां पर विधानसभा की 24 सीटें हैं. 2014 में भाजपा को 21 सीटें मिली थीं.

ये भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में इस बार किसकी बनेगी सरकार, जानें पोल ऑफ पोल्स के नतीजे

नई दिल्ली : भाजपा ने जम्मू में 47 सीटों पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस ने 30 और नेशनल कांफ्रेंस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा है. चार सीटों पर एनसी और कांग्रेस आमने-सामने है. भाजपा यहां पर मुख्य रूप से पहाड़ी समुदाय और पादरी जनजाति से उम्मीद लगा रही है. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद इन दोनों समुदायों को एसटी स्टेटस प्रदान किया गया है. जम्मू में छह सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. तीन सीटें कश्मीर में एसटी के लिए रिजर्वर्ड हैं.

जम्मू की छह आरक्षित सीटों में से पांच सीटें राजौरी-पूंछ जिले में पड़ती हैं. यहां पर पहाड़ी समुदाय का बहुमत है. यह पहली बार है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं और एसटी के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं.

इसी तरह से पद्दार विधानसभा को लेकर भी खबर है कि भाजपा को यहां फायदा पहुंच सकता है. इस सीट को हाल ही में बनाया गया है. इस विधानसभा क्षेत्र में पहाड़ी, गड्डा ब्राह्मण और कोली बहुतायत में रहते हैं.

जहां तक गुज्जर समुदाय का सवाल है तो मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस को उम्मीद है कि उन्हें गुज्जर समुदाय का व्यापक समर्थन मिलेगा. गुज्जर समुदाय यह नहीं चाहते थे कि पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया जाए. उनके अनुसार ऐसा होने से उनके राजनीतिक आरक्षण पर असर पड़ना तय है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने जम्मू में छह सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी डोडा में जीत की उम्मीद कर रही है. डोडा से अब्दुल माजित वाणी चुनाव लड़ रहे हैं. वाणी पूर्व मंत्री रह चुके हैं.

अपनी पार्टी जिसका नेतृत्व अल्ताफ बुखारी के पास है, मात्र दो सीटों पर जम्मू में चुनाव लड़ रही है. वह मुख्य रूप से रियासी पर फोकस कर रही है.

एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलते हुए नहीं दिखाया गया है. अगर एग्जिट पोल को सही मान लिया जाए, तो निश्चित है कि सरकार बनाने में निर्दलीय और छोटी पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी. जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर हिंदू बहुमत वाले इलाके हैं. यहां पर विधानसभा की 24 सीटें हैं. 2014 में भाजपा को 21 सीटें मिली थीं.

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Last Updated : 2 hours ago
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