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अलवर के पर्यटन पर किसान आंदोलन का असर, बड़ी संख्या में हो रही बुकिंग कैंसिल - alwar tourism

अलवर के पर्यटन स्थल पर किसान आंदोलन का प्रभाव पड़ने लगा है और यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या कमी आ रही है. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग अपनी बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं. ऐसे में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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अलवर के पर्यटन स्थल पर किसान आंदोलन का पड़ रहा प्रभाव
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Published : Dec 14, 2020, 12:56 PM IST

अलवर. राजस्थान का सिंह द्वार व सीमावर्ती जिला अलवर पर्यटन के लिए देश-विदेश में खासा पहचान रखता है. यहां सरिस्का नेशनल पार्क, अजबगढ़-भानगढ़, सिटी पैलेस, बाला किला, नीमराना फोर्ट, तिजारा फोर्ट, केसरोली फोर्ट, दढ़ीगर फोर्ट, ताल वृक्ष, भर्तहरि धाम, नीलकंठ महादेव मंदिर त्रिवेणी धाम सहित बड़ी संख्या में पर्यटन स्थल हैं. जहां घूमने के लिए साल भर देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं.

अलवर के पर्यटन स्थल पर किसान आंदोलन का पड़ रहा प्रभाव

जिले में छोटे-बड़े करीब डेढ़ सौ होटल रिसोर्ट हैं. जिनकी आमदनी पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर रहती है. साल के शुरुआत में कोरोना संक्रमण से लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा 9 महीने तक कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. सरकार ने लंबे समय बाद होटल, इंडस्ट्री, टूरिज्म को राहत देते हुए पर्यटन स्थलों को खोला. उसके बाद अब राजस्थान में शुरू हुआ किसान आंदोलन लोगों की परेशानी बन रहा है. बता दें कि अकेले सरिस्का में सालभर के दौरान दो लाख से अधिक पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. इसके अलावा सिलीसेढ़ झील में ढाई लाख से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं.

इसी तरह के हालात अन्य जगह के रहते हैं. पूरे देशभर से पर्यटक बड़ी संख्या में अलवर आते हैं. वहीं, नए साल के मौके पर अलवर में बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं व सर्दियों की छुट्टियों का आनंद लेते हैं. इस समय कोरोना चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में अलवर घूमने आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी. हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन अलवर पहुंच रहे थे. इसलिए लोगों को रोजगार मिलने लगा था, लेकिन किसान आंदोलन के चलते लोग अपनी बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं.

पढ़ें: कोटा में बढ़ा सर्दी का प्रकोप, बादल और गलन भरी हवाओं ने ठंड बढ़ाई

ऐसे में हजारों लोग फिर से परेशान हैं और होटल रेस्टोरेंट में काम करने वाले श्रमिकों का रोजगार भी खासा प्रभावित हो रहा है. होटल संचालकों की मानें तो किसान आंदोलन के चलते रास्ते बंद हैं. ऐसे में लोग अलवर आने से बच रहे हैं और इसके अलावा पहले से ऑनलाइन बुकिंग भी कैंसिल कराई जा रही है. शनिवार और रविवार को पर्यटकों की संख्या ज्यादा रहती है. साथ ही रास्ते बंद होने के कारण अवकाश के दिन लोगों ने बड़ी संख्या में अपनी बुकिंग कैंसिल कराएं. ऐसे में होटल कारोबारियों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. व्यापारियों की मानें तो आने वाले कुछ समय में इसी तरह के हालात बने रह सकते हैं. नए साल के जश्न से लोगों को खासी उम्मीदें थी, लेकिन किसान आंदोलन ने एक बार फिर से नए साल का जश्न भी फीका कर दिया है.

अलवर. राजस्थान का सिंह द्वार व सीमावर्ती जिला अलवर पर्यटन के लिए देश-विदेश में खासा पहचान रखता है. यहां सरिस्का नेशनल पार्क, अजबगढ़-भानगढ़, सिटी पैलेस, बाला किला, नीमराना फोर्ट, तिजारा फोर्ट, केसरोली फोर्ट, दढ़ीगर फोर्ट, ताल वृक्ष, भर्तहरि धाम, नीलकंठ महादेव मंदिर त्रिवेणी धाम सहित बड़ी संख्या में पर्यटन स्थल हैं. जहां घूमने के लिए साल भर देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं.

अलवर के पर्यटन स्थल पर किसान आंदोलन का पड़ रहा प्रभाव

जिले में छोटे-बड़े करीब डेढ़ सौ होटल रिसोर्ट हैं. जिनकी आमदनी पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर रहती है. साल के शुरुआत में कोरोना संक्रमण से लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा 9 महीने तक कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. सरकार ने लंबे समय बाद होटल, इंडस्ट्री, टूरिज्म को राहत देते हुए पर्यटन स्थलों को खोला. उसके बाद अब राजस्थान में शुरू हुआ किसान आंदोलन लोगों की परेशानी बन रहा है. बता दें कि अकेले सरिस्का में सालभर के दौरान दो लाख से अधिक पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. इसके अलावा सिलीसेढ़ झील में ढाई लाख से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं.

इसी तरह के हालात अन्य जगह के रहते हैं. पूरे देशभर से पर्यटक बड़ी संख्या में अलवर आते हैं. वहीं, नए साल के मौके पर अलवर में बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं व सर्दियों की छुट्टियों का आनंद लेते हैं. इस समय कोरोना चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में अलवर घूमने आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी. हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन अलवर पहुंच रहे थे. इसलिए लोगों को रोजगार मिलने लगा था, लेकिन किसान आंदोलन के चलते लोग अपनी बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं.

पढ़ें: कोटा में बढ़ा सर्दी का प्रकोप, बादल और गलन भरी हवाओं ने ठंड बढ़ाई

ऐसे में हजारों लोग फिर से परेशान हैं और होटल रेस्टोरेंट में काम करने वाले श्रमिकों का रोजगार भी खासा प्रभावित हो रहा है. होटल संचालकों की मानें तो किसान आंदोलन के चलते रास्ते बंद हैं. ऐसे में लोग अलवर आने से बच रहे हैं और इसके अलावा पहले से ऑनलाइन बुकिंग भी कैंसिल कराई जा रही है. शनिवार और रविवार को पर्यटकों की संख्या ज्यादा रहती है. साथ ही रास्ते बंद होने के कारण अवकाश के दिन लोगों ने बड़ी संख्या में अपनी बुकिंग कैंसिल कराएं. ऐसे में होटल कारोबारियों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. व्यापारियों की मानें तो आने वाले कुछ समय में इसी तरह के हालात बने रह सकते हैं. नए साल के जश्न से लोगों को खासी उम्मीदें थी, लेकिन किसान आंदोलन ने एक बार फिर से नए साल का जश्न भी फीका कर दिया है.

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