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Special: अलवर की गड्ढों वाली सड़क, इन पर पर चलने के लिए लोग चुकाते हैं टोल टैक्स

हाईवे वे और नई सड़कों पर सरकार टोल वसूलती है. इस जिम्मेदारी के साथ कि सड़कों की टूट फूट को दुरुस्त कराने का काम उसका होगा. लेकिन अलवर प्रदेश का एक जिला है. जहां टैक्स पेयर्स को टूटी हुई, क्षतिग्रस्त गड्ढों वाली सड़क पर चलना पड़ रहा (Grim Situation Of alwar Roads) है और टोल चुकाना पड़ रहा है. अलवर से भरतपुर स्टेट हाईवे नम्बर 14 का हाल बेहाल है.

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अलवर की गड्ढों वाली सड़क
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Published : Jan 6, 2022, 10:01 AM IST

अलवर. हाईवे वे और नई सड़कों पर सरकार टोल वसूलती है. लेकिन अलवर प्रदेश का एक जिला है जहां लोगों को टूटी हुई, क्षतिग्रस्त गड्ढों वाली सड़क पर चलने के लिए टोल देना पड़ रहा (Grim Situation Of alwar Roads) है.हम बात कर रहे है अलवर से भरतपुर स्टेट हाईवे नम्बर 14 की.

इस हाईवे पर टोल रोड पर निजी वाहनों के अलावा अन्य सभी कॉमर्शियल वाहनों से चार जगहों पर टोल शुल्क की वसूली होने के बावजूद पूरी सडक़ टूटी पड़ी है. कुछ जगह पर तो पूरी रोड उधड़ चुकी है. इसके बावजूद टोल शुल्क की वसूली बराबर हो रही है लेकिन, सरकार व प्रशासन का सड़क को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं है. वो भी तब जब टोल शुल्क भी बढ़ाया जा चुका है.

अलवर की गड्ढों वाली सड़क

अलवर में सड़कों की हालत बदतर हो गई (Grim Situation Of alwar Roads) है. बावजूद इसके लोगों से टोल वसूला जा रहा है. 6 साल पहले 131 करोड रुपये की लागत से अलवर से नगर तक का सड़क निर्माण कार्य हुआ लेकिन अब यह मार्ग पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुका है. अलवर नगर सड़क मार्ग पर यातायात दबाव रहता है. इस मार्ग से गोवर्धन, मथुरा, भरतपुर, नगर, डीग, खेड़ली सहित आगरा जाने वाले लोग भी गुजरते हैं. हालात इस कदर खराब हैं कि 2 घंटे के सफर की जगह लोगों को सफर में 5 से 6 घंटे लग जाते हैं.

पढ़ें-Sariska Tiger Reserve: नए साल पर 'युवराज' का दीदार, देखें कैसे पोज दे चलता बना रौबीला बाघ!

टोल प्लाजा की मार

इस सड़क मार्ग पर बगड़ तिराहे से भरतपुर के बीच में चार टोल प्लाजा हैं. सब पर अलग-अलग शुल्क लगता है. बगड़ का तिराहा के आगे से ही सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है. बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है. फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं. हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती. मजबूरी में वाहन को सड़क के नीचे ले जाना पड़ता है. ऐसे में हादसों से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस सड़क मार्ग पर अलवर से नगर तक तीन टोल पड़ते हैं. तीनों ही टोल पर वाहन चालकों को अलग अलग टोल चुकाना पड़ता है.

ये इलाके की बात है

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि यह सड़क मार्ग उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है जबकि, आरएसआरडीसी ने कहा किस सड़क मार्ग की मरम्मत के लिए टेंडर हो चुके हैं. इस सड़क मार्ग पर टोल वसूला जाता है. बदहाल सड़क को ठीक कराने की जिम्मेदारी प्रशासन व संचालन कंपनी की है, लेकिन सभी सरकारी विभाग एक दूसरे के ऊपर मामला टालने में लगे हुए हैं. इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ रहा है. सड़क मार्ग पर गड्ढों की वजह से वाहन चालकों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. हादसे रूटीन का हिस्सा सा बन गए हैं लेकिन प्रशासन है कि एक्शन में आता ही नहीं है.

ये भी पढ़ें- अलवर के एनसीआर में शामिल होने के फायदे कम, नुकसान ज्यादा...विकास के क्षेत्र में पिछड़ रहा जिला

टोल माफी नहीं इजाफा जरूरी

टोल रोड पर शुल्क माफ करने की जगह सरकार बढ़ाने में लगी है. भरतपुर रोड करीब दो साल से खस्ताहाल है. अलवर से भरतपुर के बीच में 500 गड्ढे हैं. जबकि अलवर से बडौदामेव तक की पूरी रोड ही गायब है लेकिन कोई सुध नहीं ली जा रही है.

अधिकारी, विधायक, मंत्री सब फेल!
सड़क मार्ग को ठीक कराने के लिए जिला कलेक्टर जिला प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला व विधायक सड़क ठीक कराने के निर्देश दे चुके हैं व इस संबंध में उच्च अधिकारियों से बात करने के दावे कर चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी यह सड़क मार्ग टूटा हुआ है प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके चुपचाप बैठे हुए हैं. कुल मिलाकर कहा जाए कि अधिकारी, विधायक और मंत्री सब फेल हैं तो गलत नहीं होगा.

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मंत्री ने कही थी टोल माफ कराने की बात

अलवर प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला ने सरकार के 3 साल पूरे होने पर अलवर में हुए कार्यक्रम के दौरान भारतपुर सड़क मार्ग पर टोल माफ कराने की बात कही थी. उसके बाद भी लोगों से टोल वसूला जा रहा है. सड़कों की बदहाली (Grim Situation Of Alwar Roads) से आम जनता मजबूर है और सरकार से अपील भी कर रही है. जनता की परेशानी में और इजाफा टोलकर्मी भी करते हैं. आरोप है कि टोल कर्मियों का व्यवहार बहुत ही अटपटा और बर्दाश्त के बाहर होता है लेकिन मजबूरी में उसे भी सहन करना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश को जोड़ता है यह सड़क मार्ग

अलवर सीमावर्ती जिला है. अलवर को उत्तर प्रदेश के मथुरा, आगरा, अलीगढ़, हाथरस सहित आसपास के जिलों से यह सड़क मार्ग जोड़ता है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन इस सड़क मार्ग से होकर गुजरते हैं. इसके अलावा भरतपुर, नगर, डीग, गोवर्धन व अन्य कस्बों व शहरों को भी यह सड़क मार्ग जोड़ता है. इसलिए इस मार्ग पर यातायात दबाव भी अन्य सड़कों की तुलना में ज्यादा रहता है.

अलवर. हाईवे वे और नई सड़कों पर सरकार टोल वसूलती है. लेकिन अलवर प्रदेश का एक जिला है जहां लोगों को टूटी हुई, क्षतिग्रस्त गड्ढों वाली सड़क पर चलने के लिए टोल देना पड़ रहा (Grim Situation Of alwar Roads) है.हम बात कर रहे है अलवर से भरतपुर स्टेट हाईवे नम्बर 14 की.

इस हाईवे पर टोल रोड पर निजी वाहनों के अलावा अन्य सभी कॉमर्शियल वाहनों से चार जगहों पर टोल शुल्क की वसूली होने के बावजूद पूरी सडक़ टूटी पड़ी है. कुछ जगह पर तो पूरी रोड उधड़ चुकी है. इसके बावजूद टोल शुल्क की वसूली बराबर हो रही है लेकिन, सरकार व प्रशासन का सड़क को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं है. वो भी तब जब टोल शुल्क भी बढ़ाया जा चुका है.

अलवर की गड्ढों वाली सड़क

अलवर में सड़कों की हालत बदतर हो गई (Grim Situation Of alwar Roads) है. बावजूद इसके लोगों से टोल वसूला जा रहा है. 6 साल पहले 131 करोड रुपये की लागत से अलवर से नगर तक का सड़क निर्माण कार्य हुआ लेकिन अब यह मार्ग पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुका है. अलवर नगर सड़क मार्ग पर यातायात दबाव रहता है. इस मार्ग से गोवर्धन, मथुरा, भरतपुर, नगर, डीग, खेड़ली सहित आगरा जाने वाले लोग भी गुजरते हैं. हालात इस कदर खराब हैं कि 2 घंटे के सफर की जगह लोगों को सफर में 5 से 6 घंटे लग जाते हैं.

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टोल प्लाजा की मार

इस सड़क मार्ग पर बगड़ तिराहे से भरतपुर के बीच में चार टोल प्लाजा हैं. सब पर अलग-अलग शुल्क लगता है. बगड़ का तिराहा के आगे से ही सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है. बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है. फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं. हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती. मजबूरी में वाहन को सड़क के नीचे ले जाना पड़ता है. ऐसे में हादसों से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस सड़क मार्ग पर अलवर से नगर तक तीन टोल पड़ते हैं. तीनों ही टोल पर वाहन चालकों को अलग अलग टोल चुकाना पड़ता है.

ये इलाके की बात है

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि यह सड़क मार्ग उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है जबकि, आरएसआरडीसी ने कहा किस सड़क मार्ग की मरम्मत के लिए टेंडर हो चुके हैं. इस सड़क मार्ग पर टोल वसूला जाता है. बदहाल सड़क को ठीक कराने की जिम्मेदारी प्रशासन व संचालन कंपनी की है, लेकिन सभी सरकारी विभाग एक दूसरे के ऊपर मामला टालने में लगे हुए हैं. इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ रहा है. सड़क मार्ग पर गड्ढों की वजह से वाहन चालकों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. हादसे रूटीन का हिस्सा सा बन गए हैं लेकिन प्रशासन है कि एक्शन में आता ही नहीं है.

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टोल माफी नहीं इजाफा जरूरी

टोल रोड पर शुल्क माफ करने की जगह सरकार बढ़ाने में लगी है. भरतपुर रोड करीब दो साल से खस्ताहाल है. अलवर से भरतपुर के बीच में 500 गड्ढे हैं. जबकि अलवर से बडौदामेव तक की पूरी रोड ही गायब है लेकिन कोई सुध नहीं ली जा रही है.

अधिकारी, विधायक, मंत्री सब फेल!
सड़क मार्ग को ठीक कराने के लिए जिला कलेक्टर जिला प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला व विधायक सड़क ठीक कराने के निर्देश दे चुके हैं व इस संबंध में उच्च अधिकारियों से बात करने के दावे कर चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी यह सड़क मार्ग टूटा हुआ है प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके चुपचाप बैठे हुए हैं. कुल मिलाकर कहा जाए कि अधिकारी, विधायक और मंत्री सब फेल हैं तो गलत नहीं होगा.

IRCTC religious tour: IRCTC 21 जनवरी से शुरू करेगा दक्षिण भारत की धार्मिक यात्रा, मल्लिकार्जुन और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के कर सकेंगे दर्शन

CM सलाहकार दानिश अबरार का ब्यूरोक्रेसी से नाराजगी पर गहलोत को पत्र, इस कार्यक्रम में काले झंडे दिखाने की चेतावनी...


मंत्री ने कही थी टोल माफ कराने की बात

अलवर प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला ने सरकार के 3 साल पूरे होने पर अलवर में हुए कार्यक्रम के दौरान भारतपुर सड़क मार्ग पर टोल माफ कराने की बात कही थी. उसके बाद भी लोगों से टोल वसूला जा रहा है. सड़कों की बदहाली (Grim Situation Of Alwar Roads) से आम जनता मजबूर है और सरकार से अपील भी कर रही है. जनता की परेशानी में और इजाफा टोलकर्मी भी करते हैं. आरोप है कि टोल कर्मियों का व्यवहार बहुत ही अटपटा और बर्दाश्त के बाहर होता है लेकिन मजबूरी में उसे भी सहन करना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश को जोड़ता है यह सड़क मार्ग

अलवर सीमावर्ती जिला है. अलवर को उत्तर प्रदेश के मथुरा, आगरा, अलीगढ़, हाथरस सहित आसपास के जिलों से यह सड़क मार्ग जोड़ता है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन इस सड़क मार्ग से होकर गुजरते हैं. इसके अलावा भरतपुर, नगर, डीग, गोवर्धन व अन्य कस्बों व शहरों को भी यह सड़क मार्ग जोड़ता है. इसलिए इस मार्ग पर यातायात दबाव भी अन्य सड़कों की तुलना में ज्यादा रहता है.

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