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Sariska Tiger Reserve : सरिस्का में विकसित होंगे घास के मैदान, विलायती बबूल को हटाकर लगाई जा रही है धामन घास

अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व पार्क के जंगल क्षेत्र में घास के मैदान डेवलप करने का काम शुरू किया गया (Grasslands will be developed in Sariska Tiger Reserve) है. घास के मैदान को डेवलप करने के लिए सरिस्का क्षेत्र में तेजी से फैल रही विलयाती बबूल के पेड़ों को हटाया जा रहा है.

Grasslands will be developed in Sariska Tiger Reserve
सरिस्का टाईगर रिजर्व पार्क
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Published : Jul 9, 2022, 6:08 PM IST

अलवर. सरिस्का देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. साल भर यहां घूमने के लिए लाखों पर्यटक आते हैं. वन्यजीवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरिस्का प्रशासन ने जंगल क्षेत्र में घास के मैदान डेवलप करने का काम शुरू किया (Grasslands will be developed in Sariska Tiger Reserve) है. इसके लिए सरिस्का क्षेत्र में तेजी से फैल रही विलायती बबूल के पेड़ों को हटाया जा रहा है. इनके स्थान पर धामन घास लगाई जाएगी.

अरावली पहाड़ियों के स्थित है सरिस्का टाइगर रिजर्व: अरावली की वादियों के बीच सरिस्का टाइगर रिजर्व है. यह 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सरिस्का में बाघ, पैंथर, हिरण, नीलगाय, बारहसिंघा, लोमड़ी सहित सैकड़ों वन्यजीव पक्षियों की प्रजातियां हैं. जिन को देखने के लिए साल भर यहां देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं. सरिस्का में घना जंगल है. लेकिन शुरुआत से ही सरिस्का में घास के मैदान की कमी महसूस की जा रही है. ऐसे में सरिस्का के जंगल क्षेत्र में तेजी से फैलती विलायती बबूल को हटाकर उनकी जगह पर धामन घास लगाई जा रही है. दरसअल विलायती बबूल आसपास के क्षेत्र में अन्य पेड़ों को भी नष्ट कर देती है. विलायती बबूल से वन्यजीवों प्रकृति पर नुकसान होता है. इसलिए समय-समय पर विलायती बबूल को हटाने का कार्यक्रम चलाया जाता है.

सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीसीएफ आरएन मीणा का बयान

पढ़ें: Sariska Tiger Reserve: अभ्यारण में बसे 25 गांव को बाहर निकालने की मांग, सरिस्का टाइगर फाउंडेशन ने एसीएस को लिखा पत्र

विलायती बबूल की जगह धामन घास लगाई जा रही है: इन दिनों सरिस्का में विलायती बबूल को हटाने का कार्यक्रम चल रहा है, तो उसकी जगह पर धामन घास लगाई जा रही है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि धामन घास वन्यजीवों के लिए बेहतर होती है. वन्यजीव इससे अपना पेट भरते हैं. सरिस्का में घास के मैदान डिवेलप होंगे, तो खरगोशों की संख्या बढ़ेगी और यह सरिस्का के लिए बेहतर रहेगा. क्योंकि बाघ और पैंथर का खरगोश पसंदीदा भोजन है. दोनों ही वन्य जीव देसी खरगोश का मास पसंद करते हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा घास के मैदान डेवलप होने से वन्यजीवों को सुविधा मिलेगी. वो खुले क्षेत्र में घूम सकेंगे, साथ ही सरिस्का में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ेगा.

सरिस्का को मिला है बजट: सरिस्का के अधिकारियों ने कहा विलायती बबूल हटाने के लिए मुख्यालय से बजट मिला है. उसके तहत विलायती बबूल हटाने का काम चल रहा है. साथ ही आईसीआईसीआई फाउंडेशन की तरफ से भी सरिस्का में काम कराया जा रहा है.

पढ़ें: सरिस्का में पर्यटकों की गाड़ी के नजदीक आया बाघ, थम गईं सांसें...वीडियो वायरल

विलायती बबूल से है नुकसान: वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विलायती बबूल से जंगल को नुकसान पहुंचता है. विलायती बबूल अपने आसपास के पेड़ और वनस्पतियों को समाप्त कर देती है. इससे न तो छाया मिलती है न ही फल. विलायती बबूल तेजी से आसपास के क्षेत्र में फैलती है. यह जमीन के पानी को भी खींचती है. विलायती बबूल से जमीन खराब होती है. इसकी पत्तियां पशु नहीं खाते हैं.

अलवर. सरिस्का देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. साल भर यहां घूमने के लिए लाखों पर्यटक आते हैं. वन्यजीवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरिस्का प्रशासन ने जंगल क्षेत्र में घास के मैदान डेवलप करने का काम शुरू किया (Grasslands will be developed in Sariska Tiger Reserve) है. इसके लिए सरिस्का क्षेत्र में तेजी से फैल रही विलायती बबूल के पेड़ों को हटाया जा रहा है. इनके स्थान पर धामन घास लगाई जाएगी.

अरावली पहाड़ियों के स्थित है सरिस्का टाइगर रिजर्व: अरावली की वादियों के बीच सरिस्का टाइगर रिजर्व है. यह 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सरिस्का में बाघ, पैंथर, हिरण, नीलगाय, बारहसिंघा, लोमड़ी सहित सैकड़ों वन्यजीव पक्षियों की प्रजातियां हैं. जिन को देखने के लिए साल भर यहां देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं. सरिस्का में घना जंगल है. लेकिन शुरुआत से ही सरिस्का में घास के मैदान की कमी महसूस की जा रही है. ऐसे में सरिस्का के जंगल क्षेत्र में तेजी से फैलती विलायती बबूल को हटाकर उनकी जगह पर धामन घास लगाई जा रही है. दरसअल विलायती बबूल आसपास के क्षेत्र में अन्य पेड़ों को भी नष्ट कर देती है. विलायती बबूल से वन्यजीवों प्रकृति पर नुकसान होता है. इसलिए समय-समय पर विलायती बबूल को हटाने का कार्यक्रम चलाया जाता है.

सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीसीएफ आरएन मीणा का बयान

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विलायती बबूल की जगह धामन घास लगाई जा रही है: इन दिनों सरिस्का में विलायती बबूल को हटाने का कार्यक्रम चल रहा है, तो उसकी जगह पर धामन घास लगाई जा रही है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि धामन घास वन्यजीवों के लिए बेहतर होती है. वन्यजीव इससे अपना पेट भरते हैं. सरिस्का में घास के मैदान डिवेलप होंगे, तो खरगोशों की संख्या बढ़ेगी और यह सरिस्का के लिए बेहतर रहेगा. क्योंकि बाघ और पैंथर का खरगोश पसंदीदा भोजन है. दोनों ही वन्य जीव देसी खरगोश का मास पसंद करते हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा घास के मैदान डेवलप होने से वन्यजीवों को सुविधा मिलेगी. वो खुले क्षेत्र में घूम सकेंगे, साथ ही सरिस्का में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ेगा.

सरिस्का को मिला है बजट: सरिस्का के अधिकारियों ने कहा विलायती बबूल हटाने के लिए मुख्यालय से बजट मिला है. उसके तहत विलायती बबूल हटाने का काम चल रहा है. साथ ही आईसीआईसीआई फाउंडेशन की तरफ से भी सरिस्का में काम कराया जा रहा है.

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विलायती बबूल से है नुकसान: वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विलायती बबूल से जंगल को नुकसान पहुंचता है. विलायती बबूल अपने आसपास के पेड़ और वनस्पतियों को समाप्त कर देती है. इससे न तो छाया मिलती है न ही फल. विलायती बबूल तेजी से आसपास के क्षेत्र में फैलती है. यह जमीन के पानी को भी खींचती है. विलायती बबूल से जमीन खराब होती है. इसकी पत्तियां पशु नहीं खाते हैं.

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