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Sariska Tiger Reserve : सरिस्का में बढ़ेगी तीसरी आंख की संख्या, बाघ व शिकारियों पर रखी जा सकेगी नजर

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Published : Jul 13, 2022, 9:02 PM IST

अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिर्जव में कैमरे में होने वाली सुविधा के मद्देनजर सरकार ने सरिस्का में कैमरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया (increase the number of cameras in Sariska) है. नए टॉवर और कैमरे लगने के बाद सरिस्का का सर्विलांस सिस्टम बेहतर होगा. कैमरे की सहायता से सरिस्का के जंगल में होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी.

Sariska Tiger Reserve
सरिस्का टाइगर रिर्जव

अलवर. 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का में आए दिन शिकारियों की हलचल और शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में सरिस्का में लगे कैमरे प्रशासन के लिए मददगार बन रहे हैं. बाघों की मॉनिटरिंग से लेकर सभी काम में कैमरों की मदद ली जाती है. कैमरों से होने वाली सुविधा को देखते हुए सरकार ने सरिस्का में कैमरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया (increase the number of cameras in Sariska) है. नए टॉवर और कैमरे लगने के बाद सरिस्का में सर्विलांस सिस्टम बेहतर होगा. सरिस्का के जंगल में होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी.

सरिस्का में शिकारियाें, बाघ, वन्यजीव, संदिग्ध गतिविधियाें और ग्रामीणों पर नजर रखने के लिए वाइल्ड लाइफ सर्विलांस एंड एंटी पाेचिंग सिस्टम अब और मजबूत होगा. सरिस्का के जंगल में 14 नए टावर लगाए जाएंगे. इन टॉवर पर 84 कैमरे लगाए जाएंगे. इनमें सुकाेला क्रासका काकड़ टाॅप, सुकाेला मैन चाेपरा, डाबली-1, डाबली-2 और डाबली-3, चूली माला टाॅप, कामेला चाैकी टाॅप, बाेरेटा चाैकी, रिपीटर, टहला गेट मंदिर, पाराशर टाॅप, नूरपुर पहाड़ी, रामदेव मंदिर और कटी घाटी में टॉवर लगाने के लिए जगह चिह्नित की गई है. सरिस्का प्रशासन और सूचना एवं प्राैद्याेगिकी विभाग की और से अकबरपुर और टहला रेंज में सर्वे कर टेंडर प्रक्रिया के बाद आगे की प्रकिया चल रही है. अब जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है. इन कैमरों से 4 किलाेमीटर तक की गतिविधियां स्पष्ट नजर रखी जा सकती है.

डीएफओ डीपी जगावत का बयान

पढ़ें: Sariska Tiger Reserve : सरिस्का में विकसित होंगे घास के मैदान, विलायती बबूल को हटाकर लगाई जा रही है धामन घास

सरिस्का में पहले से 96 कैमरे लगे हुए हैं: सरिस्का के डीएफओ डीपी जगावत ने बताया कि जनवरी 2018 में शुरू हुए इस प्राेजेक्ट के तहत सरिस्का में पहले से 16 टॉवर पर 96 कैमरे लगे हुए हैं. इसमें सदर गेट, भर्तृहरि तिबारा, बना टाॅप, पनाली, फाटाखाेरा, मालाजाेड़का, कांकवाड़ी फाेर्ट, स्टार पाॅइंट, हनुमान मंदिर बांदीपुल, पांडूपाेल मंदिर, क्रासका टाॅप, क्रासका डाउन, सुकाेला (राेटक्याला), हवा महल टाॅप, काला खाेरा व तालवृक्ष शामिल हैं. कैमरे लगने से जंगल में शिकार, आगजनी, हरे पेड़ाें की कटाई, जंगल में जानवरों की चराई और संदिग्ध गतिविधियाें पर दिन के समय ऑप्टीकल और रात में थर्मल कैमराें से नजर रखी जाती है.

सरिस्का में 250 कैमरों की आवश्यकता: सरिस्का का जंगल क्षेत्र बड़ा है. इसमें 100 टॉवर और 250 से अधिक कैमरों की आवश्यकता है. कैमरों से खासी मदद मिलती है. नए शावक हो या शिकारी सभी के बारे में जानकारी आसानी से मिल पाती है. इसलिए सरकार की तरफ से भी कैमरे पर ध्यान दिया जा रहा है. कैमरे सरिस्का प्रशासन के लिए मददगार बन रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा जल्द ही नए टावर और कैमरे लगाने का काम शुरू हो जाएगा. कैमरो की मॉनिटरिंग के लिए सरिस्का गेट के पास एक कंटेनर में कंट्रोल रूम बनाया गया है. वहां बैठे कर्मचारी जंगल पर नजर रखते हैं. वन्य जीवों पर नजर रखने के लिए सरिस्का प्रशासन को ड्रोन कैमरे भी उपलब्ध कराए गए हैं.

अलवर. 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का में आए दिन शिकारियों की हलचल और शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में सरिस्का में लगे कैमरे प्रशासन के लिए मददगार बन रहे हैं. बाघों की मॉनिटरिंग से लेकर सभी काम में कैमरों की मदद ली जाती है. कैमरों से होने वाली सुविधा को देखते हुए सरकार ने सरिस्का में कैमरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया (increase the number of cameras in Sariska) है. नए टॉवर और कैमरे लगने के बाद सरिस्का में सर्विलांस सिस्टम बेहतर होगा. सरिस्का के जंगल में होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी.

सरिस्का में शिकारियाें, बाघ, वन्यजीव, संदिग्ध गतिविधियाें और ग्रामीणों पर नजर रखने के लिए वाइल्ड लाइफ सर्विलांस एंड एंटी पाेचिंग सिस्टम अब और मजबूत होगा. सरिस्का के जंगल में 14 नए टावर लगाए जाएंगे. इन टॉवर पर 84 कैमरे लगाए जाएंगे. इनमें सुकाेला क्रासका काकड़ टाॅप, सुकाेला मैन चाेपरा, डाबली-1, डाबली-2 और डाबली-3, चूली माला टाॅप, कामेला चाैकी टाॅप, बाेरेटा चाैकी, रिपीटर, टहला गेट मंदिर, पाराशर टाॅप, नूरपुर पहाड़ी, रामदेव मंदिर और कटी घाटी में टॉवर लगाने के लिए जगह चिह्नित की गई है. सरिस्का प्रशासन और सूचना एवं प्राैद्याेगिकी विभाग की और से अकबरपुर और टहला रेंज में सर्वे कर टेंडर प्रक्रिया के बाद आगे की प्रकिया चल रही है. अब जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है. इन कैमरों से 4 किलाेमीटर तक की गतिविधियां स्पष्ट नजर रखी जा सकती है.

डीएफओ डीपी जगावत का बयान

पढ़ें: Sariska Tiger Reserve : सरिस्का में विकसित होंगे घास के मैदान, विलायती बबूल को हटाकर लगाई जा रही है धामन घास

सरिस्का में पहले से 96 कैमरे लगे हुए हैं: सरिस्का के डीएफओ डीपी जगावत ने बताया कि जनवरी 2018 में शुरू हुए इस प्राेजेक्ट के तहत सरिस्का में पहले से 16 टॉवर पर 96 कैमरे लगे हुए हैं. इसमें सदर गेट, भर्तृहरि तिबारा, बना टाॅप, पनाली, फाटाखाेरा, मालाजाेड़का, कांकवाड़ी फाेर्ट, स्टार पाॅइंट, हनुमान मंदिर बांदीपुल, पांडूपाेल मंदिर, क्रासका टाॅप, क्रासका डाउन, सुकाेला (राेटक्याला), हवा महल टाॅप, काला खाेरा व तालवृक्ष शामिल हैं. कैमरे लगने से जंगल में शिकार, आगजनी, हरे पेड़ाें की कटाई, जंगल में जानवरों की चराई और संदिग्ध गतिविधियाें पर दिन के समय ऑप्टीकल और रात में थर्मल कैमराें से नजर रखी जाती है.

सरिस्का में 250 कैमरों की आवश्यकता: सरिस्का का जंगल क्षेत्र बड़ा है. इसमें 100 टॉवर और 250 से अधिक कैमरों की आवश्यकता है. कैमरों से खासी मदद मिलती है. नए शावक हो या शिकारी सभी के बारे में जानकारी आसानी से मिल पाती है. इसलिए सरकार की तरफ से भी कैमरे पर ध्यान दिया जा रहा है. कैमरे सरिस्का प्रशासन के लिए मददगार बन रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा जल्द ही नए टावर और कैमरे लगाने का काम शुरू हो जाएगा. कैमरो की मॉनिटरिंग के लिए सरिस्का गेट के पास एक कंटेनर में कंट्रोल रूम बनाया गया है. वहां बैठे कर्मचारी जंगल पर नजर रखते हैं. वन्य जीवों पर नजर रखने के लिए सरिस्का प्रशासन को ड्रोन कैमरे भी उपलब्ध कराए गए हैं.

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