अलवर. शनिवार को अलवर सहित पूरे देश में बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया. इस मौके पर प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने सभी जिलों के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, लगातार बाल श्रम रोकने के लिए सरकार, पुलिस और संबंधित विभाग की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन उसके बाद भी बाल श्रम हो रहा है. बीते कई साल से इसी तरह के हालात बने हुए हैं. ऐसे में साफ है कि जब तक सभी लोग मिलकर बाल श्रम रोकने का फैसला नहीं लेंगे, तब तक बाल श्रम नहीं रुक सकेगा. इसके लिए जब तक सभी की इच्छाशक्ति नहीं होगी, बाल श्रम चलता रहेगा.
गहलोत ने इस मौके पर कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को आर्थिक सहायता के रूप में एक लाख रुपए, बच्चे को 2500 सौ रुपए 18 साल तक की उम्र तक देने की घोषणा की. साथ ही बच्चे की पढ़ाई का खर्च सरकार की तरफ से उठाया जाएगा. बच्चे की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के साथ स्कूल ड्रेस व आवासीय विद्यालय जैसी जरूरी चीजें भी सरकार उठाएगी. साथ ही जो महिलाएं विधवा हुई हैं, उनको भी एक लाख रुपए आर्थिक सहायता, पढ़ाई के लिए बच्चे को हर महीने एक हजार रुपए, साल में एक बार स्कूल ड्रेस के लिए दो हजार रुपए दिए जाएंगे. सरकार अपने स्तर पर ऐसे बच्चों और विधवा महिलाओं का चयन कर रही है. इसके लिए जिला स्तर पर यह पूरी प्रक्रिया जारी है.
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श्रम मंत्री टीकाराम जूली (Labor Minister Tikaram Julie) ने कहा, सरकार के इस फैसले से सैकड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि कोरोना काल में बड़ी संख्या में बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छीन गया और बच्चे अनाथ हो गए. इसके अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं भी विधवा हुई हैं. महिलाओं को जीवन-यापन करने में कोई दिक्कत न हो. इसके लिए सरकार की तरफ से यह फैसला लिया गया. उन्होंने कहा, सरकार लगातार आमजन को राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही है. इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जो कोरोना के चलते अपने परिजनों को गवां चुके हैं. इस समय जीवन यापन के लिए खासे परेशान हो रहे हैं.