अलवर. जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल राजीव गांधी सामान्य अस्पताल कोरोना संक्रमण फैलने का सबब बन रहा है. कोरोना के भर्ती मरीजों से परिजन सामान्य मरीज की तरह मिलने के लिए आ रहे हैं. अस्पताल प्रशासन की तरफ से परिजनों को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है.
अलवर में कोरोना संक्रमित मरीज का मेडिकल बुलेटिन भी जारी नहीं होता. मरीज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती. इसलिए परिजन मजबूरी में कोविड वार्ड के अंदर जाते हैं. ये परिजन सामान्य लोगों के संपर्क में आकर दूसरे लोगों में संक्रमण फैला रहे हैं.
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों का सेंटर है. अस्पताल में 325 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं. इनमें से 180 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. कुछ मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और कुछ वेंटिलेटर पर हैं. अलवर जिले के अलावा दौसा, भरतपुर, करौली, जयपुर, हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश सहित आसपास के जिलों में राज्यों के बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए अलवर के सामान्य अस्पताल में भर्ती हैं.
सभी वार्डों में इस समय कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं. मरीजों के पास दिन भर उनके परिजन बैठे रहते हैं. बाहर के मरीजों के साथ तीन से चार परिजन आते हैं. जो लगातार संक्रमित मरीज के संपर्क में रहते हैं. अस्पताल से बाहर वह परिजन अन्य लोगों के संपर्क में आते हैं. कोरोना का संक्रमण फैला रहे हैं. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. शुरुआत में अस्पताल प्रशासन की तरफ से मरीज के साथ केवल एक परिजन के आने की व्यवस्था की थी लेकिन अब हालात खराब हैं.
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हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. परिजनों को संक्रमित मरीज से दूर रहने की सलाह दी जा रही है. अति आवश्यक होने पर ही मरीज के संपर्क में आने के लिए कहा गया है. अस्पताल में लगे पुलिसकर्मी भी अब हट चुके हैं. जिसके चलते खुलेआम परिजन बेरोकटोक अस्पताल में आ जा रहे हैं.
प्रशासन बरत रहा है लापरवाही
संक्रमित वार्ड में बैठने वाले परिजन अस्पताल के बाहर आकर लोगों के संपर्क में आते हैं. जिसके चलते कोरोना का संक्रमण कई गुना तेजी से फैल रहा है. महीनों से अस्पताल में यह सिलसिला जारी है. इसीलिए अलवर में संक्रमण का ग्राफ कई गुना तेजी से फैल रहा है. 24 घंटे के दौरान जिले में 1000 से नए संक्रमित मरीज आ रहे हैं.
नए आदेश हुए हैं जारी
अस्पताल प्रशासन ने कहा के नए आदेश के तहत कोरोना संक्रमित मरीज के पास रहने वाले परिजन को अस्पताल प्रशासन की तरफ से दवाई दी जाएगी. साथ ही मरीज की छुट्टी से पहले उसके परिजनों का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाएगा. इलाज के दौरान अगर परिजन भी संक्रमित होते हैं तो उनको भी तुरंत अस्पताल में इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. जिससे वे लोग अस्पताल के बाहर जाकर अन्य लोगों के संपर्क में न आएं.