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अलवर: श्मशान घाट में दाह संस्कार करने को लेकर विवाद, पुलिस प्रशासन भी रहा मौजूद

अलवर शहर के अरावली विहार थाना क्षेत्र अंतर्गत मालवीय नगर सी-ब्लॉक में उस समय विवाद खड़ा हो गया, जब श्मशान भूमि पर एक मृतक के शव को लाने के दौरान दो पक्ष जमीन के यूआईटी में होने और भूगोर पंचायत समिति में होने को लेकर आमने-सामने हो गए. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौके पर एकत्रित हुए. जहां शव का काफी देर के बाद दाह संस्कार किया गया. इस दौरान मौके पर पहुंचे तहसीलदार कमल पचौरी, यूआईटी के सहायक अभियंता पंकज कुमार और आरपीएस प्रशिक्षु योगेश भी मौके पर पहुंचे. जहां जमीन श्मशान भूमि के नाम पर पाए जाने के बाद दाह संस्कार के लिए सहमति बनी. लेकिन स्थानीय लोगों का विरोध जारी रहा.

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Published : Mar 18, 2021, 7:29 PM IST

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श्मशान घाट में दाह संस्कार करने को लेकर विवाद

अलवर. शहर के मालवीय नगर स्थित सी-ब्लॉक में गुरुवार को सरस कॉलोनी के पीछे रहने वाले बाल्मीकि समाज के लोग एक व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद दाह संस्कार करने पहुंचे. लेकिन स्थानीय कॉलोनी वासियों द्वारा इस जमीन को यूआईटी के ले-आउट में बताते हुए दाह संस्कार का विरोध किया. इस दौरान सूचना पर आरपीएस प्रशिक्षु योगेश कुमार मौके पर पहुंचे. जहां अरावली विहार थाना पुलिस सूचना पर पहले ही मौके पर पहुंच चुकी थी. तभी मृतक के परिजन शव को लेकर मालवीय नगर पहुंच चुके थे, जिसे देखकर स्थानीय महिला पुरुषों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई.

श्मशान घाट में दाह संस्कार करने को लेकर विवाद

स्थानीय व्यक्ति मनीष शर्मा का कहना था कि नगर विकास न्यास के ले-आउट में इस भूमि पर प्लॉटिंग की गई है. ऐसे में यह श्मशान की भूमि नहीं होने के बावजूद यहां दाह संस्कार कराया जा रहा है. ऐसे में उनके द्वारा न्यायालय में भी स्टे लिया जा चुका है. लेकिन अधिकारियों की मौजूदगी में यहां दाह संस्कार करवाया गया है. जबकि यहां पार्क विकसित किया जाना चाहिए था.

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वहीं दूसरे पक्ष के ओम प्रकाश का कहना था कि यह भूमि भूगोर पंचायत समिति के गैर मुमकिन श्मशान भूमि है, जिसमें स्थानीय लोग जबरन एतराज कर रहे हैं. स्थानीय लोगों द्वारा यहा दाह संस्कार करने का विरोध किया जाता है. इससे पूर्व में भी वर्ष 2016 में इन लोगों द्वारा विरोध किया गया था, जिसके बाद प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर दाह संस्कार करवाया था. ऐसे में उनकी मांग है कि प्रशासन इसे श्मशान भूमि होने के कारण चारदीवारी कर स्थाई श्मशान घाट के रूप में इसका निर्माण कराया जाए. क्योंकि इस भूमि पर 100 साल से दाह संस्कार होते आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें: अलवर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने किया रामगढ़ उपखण्ड का दौरा

वहीं इस संबंध में जब तहसीलदार कमल पचौरी से पूछा गया तो उनका कहना था कि सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद यह साफ हुआ है कि यह भूगोर पंचायत समिति के अधीन गैर मुमकिन शमशान भूमि है, जिसकी पुष्टि होने के बाद दाह संस्कार किया गया है. ऐसे में नगर विकास न्यास की गफलत के चलते इस तरह का मामला सामने आया है, जिसमें आपसी समझाइश करा दी गई है.

यह भी पढ़ें: बानसूर में व्यक्ति से मारपीट कर हत्या का मामला, परिजनों ने लगाया पुलिस पर गंभीर आरोप

इस संबंध में जब नगर विकास न्यास के सहायक अभियंता पंकज कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि नगर विकास न्यास के ले-आउट में यहां फ्लोटिंग दिखाई हुई है. लेकिन यह भूमि भूगोर पंचायत समिति की गैर मुमकिन श्मशान घाट के रूप में है, जिसकी जानकारी में आते ही नगर विकास न्यास की ओर से इसकी चारदीवारी का टेंडर लगाया गया था. लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा न्यायालय में चले जाने के कारण वह कार्य नहीं हो पाया. दरअसल, गलत होने के कारण नगर विकास न्यास के ले-आउट में यहां फ्लोटिंग दिखाई गई है. वहीं दूसरी ओर श्मशान भूमि भी इसी खतरे में है.

अलवर. शहर के मालवीय नगर स्थित सी-ब्लॉक में गुरुवार को सरस कॉलोनी के पीछे रहने वाले बाल्मीकि समाज के लोग एक व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद दाह संस्कार करने पहुंचे. लेकिन स्थानीय कॉलोनी वासियों द्वारा इस जमीन को यूआईटी के ले-आउट में बताते हुए दाह संस्कार का विरोध किया. इस दौरान सूचना पर आरपीएस प्रशिक्षु योगेश कुमार मौके पर पहुंचे. जहां अरावली विहार थाना पुलिस सूचना पर पहले ही मौके पर पहुंच चुकी थी. तभी मृतक के परिजन शव को लेकर मालवीय नगर पहुंच चुके थे, जिसे देखकर स्थानीय महिला पुरुषों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई.

श्मशान घाट में दाह संस्कार करने को लेकर विवाद

स्थानीय व्यक्ति मनीष शर्मा का कहना था कि नगर विकास न्यास के ले-आउट में इस भूमि पर प्लॉटिंग की गई है. ऐसे में यह श्मशान की भूमि नहीं होने के बावजूद यहां दाह संस्कार कराया जा रहा है. ऐसे में उनके द्वारा न्यायालय में भी स्टे लिया जा चुका है. लेकिन अधिकारियों की मौजूदगी में यहां दाह संस्कार करवाया गया है. जबकि यहां पार्क विकसित किया जाना चाहिए था.

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वहीं दूसरे पक्ष के ओम प्रकाश का कहना था कि यह भूमि भूगोर पंचायत समिति के गैर मुमकिन श्मशान भूमि है, जिसमें स्थानीय लोग जबरन एतराज कर रहे हैं. स्थानीय लोगों द्वारा यहा दाह संस्कार करने का विरोध किया जाता है. इससे पूर्व में भी वर्ष 2016 में इन लोगों द्वारा विरोध किया गया था, जिसके बाद प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर दाह संस्कार करवाया था. ऐसे में उनकी मांग है कि प्रशासन इसे श्मशान भूमि होने के कारण चारदीवारी कर स्थाई श्मशान घाट के रूप में इसका निर्माण कराया जाए. क्योंकि इस भूमि पर 100 साल से दाह संस्कार होते आ रहे हैं.

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वहीं इस संबंध में जब तहसीलदार कमल पचौरी से पूछा गया तो उनका कहना था कि सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद यह साफ हुआ है कि यह भूगोर पंचायत समिति के अधीन गैर मुमकिन शमशान भूमि है, जिसकी पुष्टि होने के बाद दाह संस्कार किया गया है. ऐसे में नगर विकास न्यास की गफलत के चलते इस तरह का मामला सामने आया है, जिसमें आपसी समझाइश करा दी गई है.

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इस संबंध में जब नगर विकास न्यास के सहायक अभियंता पंकज कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि नगर विकास न्यास के ले-आउट में यहां फ्लोटिंग दिखाई हुई है. लेकिन यह भूमि भूगोर पंचायत समिति की गैर मुमकिन श्मशान घाट के रूप में है, जिसकी जानकारी में आते ही नगर विकास न्यास की ओर से इसकी चारदीवारी का टेंडर लगाया गया था. लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा न्यायालय में चले जाने के कारण वह कार्य नहीं हो पाया. दरअसल, गलत होने के कारण नगर विकास न्यास के ले-आउट में यहां फ्लोटिंग दिखाई गई है. वहीं दूसरी ओर श्मशान भूमि भी इसी खतरे में है.

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