अलवर. दिल्ली के नजदीक अलवर में राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार का भी हस्तक्षेप रहता है, इसीलिए बंटवारे के समय बड़ी संख्या में हिंदू, पंजाबी और सिंधी परिवार खैरथल किशनगढ़ सहित आसपास क्षेत्र में आकर विस्थापित हुए, जिनको सरकार की तरफ से जमीन, मकान और अन्य सुविधाएं भी दी गईं, लेकिन उसके बाद वर्षों तक नागरिकता देने की प्रक्रिया रुकी रही, लेकिन अब फिर से नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हुई हो गई है.
खैरथल, किशनगढ़, रामगढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पंजाबी सिंधी और हिन्दू परिवार रहते हैं, जो देश की आजादी के समय बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए थे. उन शरणार्थियों को शरणार्थी शिविर में रखा गया, उसके बाद अलवर और आसपास के क्षेत्रों में जमीन दी गई. सरकार की तरफ से सभी को नागरिकता दी गई, लेकिन उसके बाद बीच में वर्षों तक नागरिकता देने का काम रुका रहा. ऐसे में शरणार्थियों को खासी दिक्कत हो रही थी. आए दिन सरकारी विभागों के चक्कर लगाने पड़ रहे थे. ऐसे में लंबे समय बाद एक बार फिर से नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसके तहत अलवर में खैरथल, किशनगढ़बास क्षेत्र में रहने वाले चार परिवारों के आवेदन आए हैं, जिनको ऑनलाइन किया जा रहा है.
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प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि जो आवेदन आए हैं, वो लोग हिंदुस्तान में विस्थापित होकर आए थे, उसके बाद यहीं बस गए, लेकिन इन लोगों को भारत की नागरिकता नहीं मिली है. ऐसे में खासी परेशानी होती है. साथ ही इन लोगों को समय-समय पर अपने दस्तावेजों की जांच की जानकारी भी कराने पड़ते हैं. इसमें थोड़ी दिक्कत होती है, लेकिन अब जल्द ही सभी को भारत की नागरिकता मिल सकेगी. सरकार ने नागरिकता देने की प्रक्रिया पर रोक हटा ली है. इसका काम शुरू हो गया है. प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि अधिकारियों ने सभी आवेदनों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद गृह मंत्रालय की तरफ से आगे की प्रक्रिया की जाएगी.