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अलवर में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन, लोगों ने मंदिरों में खाया प्रसाद - Annakoot Festival

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजन और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है. इसके तहत सोमवार को अलवर के सभी मंदिरों में अन्नकूट बना. यह कार्यक्रम दोपहर बाद तक चलता रहा. इस दौरान लाखों लोगों ने मंदिरों में प्रसाद खाया.

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Published : Oct 28, 2019, 7:18 PM IST

अलवर. कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में इंद्रदेव के घमंड को चूर करने के लिए ब्रज के लोगों को इंद्र भगवान के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत चुंगी पर उठाया था. इस पर लोगों ने भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया था.

अलवर में अन्नकूट महोत्सव का हुआ आयोजन

बता दें, अंकुर में बनने वाला ज्यादातर सामान घर का होता है. इसमें ज्यादातर चीजें मौसम के हिसाब से बदलाव और सर्दियों के मौसम से जुड़ी हुई होती हैं. उसके बाद से लगातार द्वापर युग से अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है. इसकी तैयारी दिवाली की रात से शुरू हो जाती है. बड़ी संख्या में लोग मिलकर मंदिरों में अन्नकूट बनाते हैं. वहीं, अगले दिन भगवान को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करते हैं. इसमें बाजरा, चावल की कड़ी सहित विभिन्न सामग्रियों का भगवान को भोग लगता है. इस आयोजन को साइंस की नजर से भी देखा जाता है.

दअरसल यह समय मौसम के बदलाव का होता है. ऐसे में बाजरा कड़ी का भोजन मौसम के बदलाव की जानकारी देता है. इसके बाद से ही बाजरे मूंग की आवक शुरू होती है.

पढ़ेंः अलवर वासियों ने विधि-विधान के साथ की मां लक्ष्मी की पूजा, रोक के बाद भी जमकर जले पटाखे

उधर, जिले के सभी मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद लेने के लिए लोगों की भीड़ नजर आई. रात भर लोगों ने प्रसाद बनाया और सुबह वितरित किया. सभी मंदिरों में हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने प्रसाद लिया. गायत्री मंदिर के संरक्षक राजेंद्र सेठी ने बताया कि आयोजन भगवान गोवर्धन से जुड़ा हुआ है. अन्नकूट का भोग भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है. यह प्रथा सालों से चली आ रही है.

अलवर. कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में इंद्रदेव के घमंड को चूर करने के लिए ब्रज के लोगों को इंद्र भगवान के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत चुंगी पर उठाया था. इस पर लोगों ने भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया था.

अलवर में अन्नकूट महोत्सव का हुआ आयोजन

बता दें, अंकुर में बनने वाला ज्यादातर सामान घर का होता है. इसमें ज्यादातर चीजें मौसम के हिसाब से बदलाव और सर्दियों के मौसम से जुड़ी हुई होती हैं. उसके बाद से लगातार द्वापर युग से अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है. इसकी तैयारी दिवाली की रात से शुरू हो जाती है. बड़ी संख्या में लोग मिलकर मंदिरों में अन्नकूट बनाते हैं. वहीं, अगले दिन भगवान को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करते हैं. इसमें बाजरा, चावल की कड़ी सहित विभिन्न सामग्रियों का भगवान को भोग लगता है. इस आयोजन को साइंस की नजर से भी देखा जाता है.

दअरसल यह समय मौसम के बदलाव का होता है. ऐसे में बाजरा कड़ी का भोजन मौसम के बदलाव की जानकारी देता है. इसके बाद से ही बाजरे मूंग की आवक शुरू होती है.

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उधर, जिले के सभी मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद लेने के लिए लोगों की भीड़ नजर आई. रात भर लोगों ने प्रसाद बनाया और सुबह वितरित किया. सभी मंदिरों में हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने प्रसाद लिया. गायत्री मंदिर के संरक्षक राजेंद्र सेठी ने बताया कि आयोजन भगवान गोवर्धन से जुड़ा हुआ है. अन्नकूट का भोग भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है. यह प्रथा सालों से चली आ रही है.

Intro:अलवर
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजन व अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है। इसके तहत सोमवार को अलवर के सभी मंदिरों में अन्नकूट बना। यह कार्यक्रम दोपहर बाद तक चलता रहा। तो वहीं लाखों लोगों ने मंदिरों में प्रसाद खाया।


Body:कहते हैं भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में इंद्रदेव के घमंड को चूर करने के लिए वबलोगों को इंद्र भगवान के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत चुंगी पर उठाया था। इस पर लोगों ने भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया था। अंकुर में बनने वाला ज्यादातर सामान घर का होता है। इसमें ज्यादातर चीजें मौसम के हिसाब से बदलाव व सर्दियों के मौसम से जुड़ी हुई होती हैं। उसके बाद से लगातार द्वापर युग से अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है। इसकी तैयारी दिवाली की रात से शुरू हो जाती है। बड़ी संख्या में लोग मिलकर मंदिरों में अन्नकूट बनाते हैं। अगले दिन भगवान को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करते हैं। इसमें बाजरा चावल की कड़ी सहित विभिन्न सामग्रियों का भगवान के भोग लगता है। इस आयोजन को साइंस की नजर से भी देखा जाता है। दअरसल यह समय मौसम के बदलाव का होता है। ऐसे में बाजरा कड़ी का भोजन मौसम के बदलाव की जानकारी देता है की अब सर्दी के मौसम में गर्मी करने वाली चीजें कहते हैं। इसके बाद से बाजरे मूंग की आवक शुरू होती है।


Conclusion:अलवर के सभी मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद लेने के लिए लोगों की भीड़ नजर आई। रात भर लोगों ने प्रसाद बनाया व सुबह वितरित किया। सभी मंदिरों में हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने प्रसाद लिया। गायत्री मंदिर के संरक्षक राजेंद्र सेठी ने बताया किया आयोजन भगवान गोवर्धन से जुड़ा हुआ है। अन्नकूट का भोग भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है। यह प्रथा सालों से चली आ रही है।

बाइट-राजेन्द्र सेठी, गायत्री मंदिर अलवर
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