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कांग्रेस विधायक साफिया खान पर अवैध खनन गिरोह चलाने का आरोप, शिकायत कर्ता ने जिला SP से लेकर राष्ट्रपति तक इच्छा मृत्यु का भेजा पत्र

कांग्रेस की रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर पर (The complainant accused the MLA of running a gang) अवैध खनन गिरोह बनाकर 40 लाख रुपए की ठगी का आरोप हरियाणा निवासी एक व्यक्ति ने लगाया है. शिकायतकर्ता ने जिला पुलिस अधीक्षक से लेकर राष्ट्रपति तक को इच्छा मृत्यु का प्रार्थना पत्र दिया है. एसपी ने मामले में विधि सम्मत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

Illegal mining in alwar
अलवर में अवैध खनन
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Published : Apr 28, 2022, 11:03 PM IST

अलवर. कांग्रेस की रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर पर अवैध खनन का गिरोह (Accused of running illegal mining gang) बनाकर 40 लाख रुपए की ठगी का आरोप लगा है. आरोप लगाने वाले पीड़ित ने जिला पुलिस अधीक्षक से लेकर राष्ट्रपति तक को इच्छा मृत्यु का प्रार्थना पत्र दिया है. इस संबंध में एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं. दूसरी तरफ शिकायतकर्ता ने विधायक उसके पीए सहित चार लोगों पर अवैध खनन करने, बंद खानों को चलाने, 50 प्रतिशत हिस्सेदारी देने, बिना रवनने के माल बेचने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

हरियाणा के भिवानी निवासी अरुण कुमार (Haryana resident complainant sent letter of euthanasia) पुत्र रामप्रताप का आरोप है कि रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर ने रामगढ़ क्षेत्र के पहाड़ों में अवैध खनन करने के लिए एक गिरोह बनाया हुआ है. आरोप है कि वह बंद खानों में काम करवाती हैं. विधायक व इनका गिरोह पहाड़ व खान लेने का काम करते हैं. आरोप लगाया है कि अवैध रूप से बन्द बड़ी खानों को नाजायज तौर पर अपनी खान बताकर पटटा पर देने के लिए कहकर पैसे ऐंठ लेते हैं. अरुण ने बताया कि विधायक के बहकावे में आकर उसने रामगढ के मानकी पहाड़ में 11 अप्रैल 2021 से एसटीपी मशीनें लगाकर काम शुरू कर दिया. पहाड़ से मलबा आदि हटाकर पत्थर के लिए खान तैयार करने में उसका करीब 40 लाख रुपए खर्च हो गए. जब उसने एसटीपी का पटटा बतौर एग्रीमेन्ट अपने नाम करवाने को कहा तो गिरोह के सदस्य हरप्रीत ने कहा कि उनके भाई कोरोना के कारण नहीं आ रहे हैं. वो काम चालु रखे. आरोप है कि विधायक साफिया व उनके पीए छीतरमल से बात की तो उन्होंने भी टालमटोल करते हुए काम जारी रखने की बात कहते रहे.

किसने क्या कहा, सुनिए...

अरुण ने आरोप लगाया है कि 40 लाख रुपए की लागत से तैयार खान में कमाई का समय आया तो विधायक और उसके गिरोह ने लीज को विनायक केशर के मालिक योगेश यादव को काम करने के लिए पटटा पर दे दिया. जबकि मौके पर शिकायतकर्ता काबिज होकर कार्य कर रहा था. इस पर आपत्ति जताई तो विधायक सहित सभी ने पूरी लागत देने का भरोसा देकर काम अपने हाथ में ले लिया. जानकारी के मुताबिक कोविड काल के दौरान एक ऑडियो क्लिप सामने आया था. पीड़ित ने बताया कि फरवरी 2022 तक वो खान से करिब 70 से 80 हजार टन पत्थर निकाल कर इन्हें सौंप चुका था.

पढ़ें : लक्खी मेले के भंडारा शुल्क मामले में कांग्रेस विधायक साफिया का पलटवार, कहा- भाजपा है मुस्लिम विरोधी

दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के नाम पर खेलः आरोप है कि विधायक ने दिल्ली-बडौदरा एक्सप्रेस वे के नाम से (Illegal mining in alwar) किसी कम्पनी के नाम खान विभाग से एसटीपी करवाई थी. लेकिन इस खान से एक भी पत्थर सड़क निर्माण के लिए सप्लाई नहीं किया गया. आरोप लगाया कि ज्यादातर पत्थर हाजीपुर स्थित विधायक की पार्टनरशिप वाली क्रेशर सहित मानकी गांव की क्रेशर अथवा पाली और फरीदाबाद जाता था.

कमाई में विधायक की पार्टनरशिपः शिकायतकर्ता ने बताया कि खान की सफाई से लेकर पत्थर निकालकर देने का काम उसे दिया गया था. पत्थर का रेट करीब 150 से 170 रुपये प्रति टन का है. सभी खर्चे सहित उसे 85 रुपए प्रति टन उसे मिलना तय हुआ था. जबकि पत्थर बिक्री पर प्राप्त 70 से 80 रुपये प्रति टन की कमाई का आधा हिस्सा विधायक व आधा हिस्सा उनके अन्य साथियों के लिए तय था. आरोप है कि अन्य सभी खानों से 50 प्रतिशत की पार्टनरशिप लेती हैं. जिसके चलते कई खान मालिक अपनी खान बेच कर जा चुके हैं.

अलवर. कांग्रेस की रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर पर अवैध खनन का गिरोह (Accused of running illegal mining gang) बनाकर 40 लाख रुपए की ठगी का आरोप लगा है. आरोप लगाने वाले पीड़ित ने जिला पुलिस अधीक्षक से लेकर राष्ट्रपति तक को इच्छा मृत्यु का प्रार्थना पत्र दिया है. इस संबंध में एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं. दूसरी तरफ शिकायतकर्ता ने विधायक उसके पीए सहित चार लोगों पर अवैध खनन करने, बंद खानों को चलाने, 50 प्रतिशत हिस्सेदारी देने, बिना रवनने के माल बेचने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

हरियाणा के भिवानी निवासी अरुण कुमार (Haryana resident complainant sent letter of euthanasia) पुत्र रामप्रताप का आरोप है कि रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर ने रामगढ़ क्षेत्र के पहाड़ों में अवैध खनन करने के लिए एक गिरोह बनाया हुआ है. आरोप है कि वह बंद खानों में काम करवाती हैं. विधायक व इनका गिरोह पहाड़ व खान लेने का काम करते हैं. आरोप लगाया है कि अवैध रूप से बन्द बड़ी खानों को नाजायज तौर पर अपनी खान बताकर पटटा पर देने के लिए कहकर पैसे ऐंठ लेते हैं. अरुण ने बताया कि विधायक के बहकावे में आकर उसने रामगढ के मानकी पहाड़ में 11 अप्रैल 2021 से एसटीपी मशीनें लगाकर काम शुरू कर दिया. पहाड़ से मलबा आदि हटाकर पत्थर के लिए खान तैयार करने में उसका करीब 40 लाख रुपए खर्च हो गए. जब उसने एसटीपी का पटटा बतौर एग्रीमेन्ट अपने नाम करवाने को कहा तो गिरोह के सदस्य हरप्रीत ने कहा कि उनके भाई कोरोना के कारण नहीं आ रहे हैं. वो काम चालु रखे. आरोप है कि विधायक साफिया व उनके पीए छीतरमल से बात की तो उन्होंने भी टालमटोल करते हुए काम जारी रखने की बात कहते रहे.

किसने क्या कहा, सुनिए...

अरुण ने आरोप लगाया है कि 40 लाख रुपए की लागत से तैयार खान में कमाई का समय आया तो विधायक और उसके गिरोह ने लीज को विनायक केशर के मालिक योगेश यादव को काम करने के लिए पटटा पर दे दिया. जबकि मौके पर शिकायतकर्ता काबिज होकर कार्य कर रहा था. इस पर आपत्ति जताई तो विधायक सहित सभी ने पूरी लागत देने का भरोसा देकर काम अपने हाथ में ले लिया. जानकारी के मुताबिक कोविड काल के दौरान एक ऑडियो क्लिप सामने आया था. पीड़ित ने बताया कि फरवरी 2022 तक वो खान से करिब 70 से 80 हजार टन पत्थर निकाल कर इन्हें सौंप चुका था.

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दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के नाम पर खेलः आरोप है कि विधायक ने दिल्ली-बडौदरा एक्सप्रेस वे के नाम से (Illegal mining in alwar) किसी कम्पनी के नाम खान विभाग से एसटीपी करवाई थी. लेकिन इस खान से एक भी पत्थर सड़क निर्माण के लिए सप्लाई नहीं किया गया. आरोप लगाया कि ज्यादातर पत्थर हाजीपुर स्थित विधायक की पार्टनरशिप वाली क्रेशर सहित मानकी गांव की क्रेशर अथवा पाली और फरीदाबाद जाता था.

कमाई में विधायक की पार्टनरशिपः शिकायतकर्ता ने बताया कि खान की सफाई से लेकर पत्थर निकालकर देने का काम उसे दिया गया था. पत्थर का रेट करीब 150 से 170 रुपये प्रति टन का है. सभी खर्चे सहित उसे 85 रुपए प्रति टन उसे मिलना तय हुआ था. जबकि पत्थर बिक्री पर प्राप्त 70 से 80 रुपये प्रति टन की कमाई का आधा हिस्सा विधायक व आधा हिस्सा उनके अन्य साथियों के लिए तय था. आरोप है कि अन्य सभी खानों से 50 प्रतिशत की पार्टनरशिप लेती हैं. जिसके चलते कई खान मालिक अपनी खान बेच कर जा चुके हैं.

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