अलवर. गौ तस्करी (Cow Smuggling) के दरमियान मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटना के लिए पूरे देश में अलवर बदनाम है. अलवर में अब तक गौ तस्करी के दौरान 10 से अधिक मॉब लिंचिंग के मामले सामने आए हैं. ज्यादातर गौ तस्करी के दौरान मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं. अलवर में बहरोड़, थानागाजी, नीमराणा, गोविंदगढ़, बानसूर, रामगढ़ और नौगांवा क्षेत्र में रोजाना गौ तस्करी के मामले सामने आते हैं.
अलवर में गौ तस्करों के हौसले बुलंद हो रहे हैं. खुलेआम गौ तस्कर सड़कों पर घूमने वाली गायों को गाड़ियों में भरकर ले जाते हैं. गौ तस्कर कई बार पुलिस और लोगों पर फायरिंग व पथराव भी कर चुके हैं. इसके अलावा अलवर में लग्जरी गाड़ियों में गौ तस्करी, ट्रक और ट्रोले में गौ तस्करी सहित कई तरह के मामले सामने आ चुके हैं. जिले में रोजाना वाहनों से गो वंश को मुक्त कराया जाता है. सरकार के तमाम कानून बनाने और दावों के बाद खुलेआम गौ तस्करी हो रही है.
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बीते साल सरकार ने इंसानों की तर्ज पर पालतू और आवारा जानवरों के आधार कार्ड की तरह टैग बनाने का फैसला लिया. इसके तहत अलवर जिले में तीन लाख 15 हजार से अधिक गाय और भैंसों के इस तरह के टैग लगाए जा चुके हैं. साथ ही लगातार टैग लगाने की प्रक्रिया चल रही है. पालतू जानवरों के टैग लगाते समय जानवर के साथ उसके मालिक की जानकारी भी दर्ज होती है. जबकि लावारिस जानवर पर शहर क्षेत्र के बारे में जानकारी दर्ज होती है.
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बताते चलें कि टैग में 12 अंक का यूनिक आईडी नंबर होता है. इसमें जानवर की उम्र, प्रजाति और रंग सहित छोटी से छोटी जानकारी दर्ज होती है. गायों की तस्करी के दौरान इस टैग की मदद से उनकी आसानी से पहचान हो सकती है. इसके अलावा गाय और भैंस की चोरी के मामले भी होते हैं. लेकिन टैग की मदद से चोरी की घटनाओं में भी कमी आई है. पशु विभाग के अधिकारियों ने कहा कि टैग लगाने की प्रक्रिया लगातार जारी है. इस दौरान गाय और भैंस को वैक्सीन लगाया जाता है. उसके बाद उनको टैग लगाने की प्रक्रिया होती है.
चोरी और गौ तस्करी रोकने के लिए मददगार बन रहा टैग
पालतू और लावारिस गाय व भैंस को टैग लगने के बाद उसकी पहचान आसानी से हो जाती है. चोरी और तस्करी के दौरान अगर पुलिस व अन्य जांच दल इनको रोकते हैं या जानवरों को पकड़ते हैं , तो आसानी से जानवरों की पहचान कर सकते हैं. इसके अलावा 12 अंकों के यूनिक आईडी नंबर से जानवर के मालिक का भी आसानी से पहचान हो जाता है.
अलवर है सीमावर्ती जिला
अलवर राजस्थान का सीमावर्ती जिला है. अलवर जिले की सीमा उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों से लगती है. ऐसे में पूरे प्रदेश से गौ तस्कर गायों को लेकर आते हैं. अलवर के रास्ते हरियाणा के नूह और मेवात क्षेत्र में ले जाते हैं. अलवर जिले में कच्चे रास्ते हैं, इन रास्तों के जरिए गायों की तस्करी आसानी से हो जाती है.