ETV Bharat / city

अपराध के चलते बदनाम अलवर अपनी इस एक उपलब्धि पर सीना चौड़ा कर सकता है

राजस्थान की क्राइम कैपिटल माने जाने वाला अलवर काफी चीजों के लिए फेमस है. यहां पर्यटन स्थल हैं, औद्योगिक इकाइयां हैं. लेकिन अलवर के लाल अपने देश के लिए जान देने में भी अग्रणी हैं. अब तक अकेले अलवर से 158 जवान शहीद हो चुके हैं. प्रदेश में झुंझुनू के बाद सबसे ज्यादा शहीद अलवर में ही हुए हैं.

independence day,  martyres from alwar,  martyres from rajasthan
अलवर से 158 जवान शहीद हो चुके हैं
author img

By

Published : Aug 16, 2020, 4:35 AM IST

अलवर. राजस्थान की औद्योगिक राजधानी के रूप में अलवर फेमस है. अलवर को सिंहद्वार, देवभूमि भी कहा जाता है. यहां के पर्यटन स्थलों को देखने देश-विदेश के लोग आते हैं. लेकिन एक वजह और है जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है. अकेले अलवर से 158 जवान शहीद हुए हैं. राजस्थान में झुंझुनू के बाद सबसे ज्यादा शहीद अलवर में ही हुए हैं. अक्सर अपराध की घटनाओं के चलते सुर्खियों में आने वाले अलवर की माटी में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है.

अलवर के युवाओं का सेना के प्रति गजब का उत्साह है

पढ़ें: अलवर: 15 अगस्त के मौके पर शहीदों को किया नमन

अब तक अलवर जिले से 158 सैनिक शहीद हो चुके हैं. जिले में सबसे ज्यादा बहरोड, बानसूर, मंडावर व नीमराणा क्षेत्र से 106 जवान शहीद हुए हैं. जबकि अन्य 58 सैनिक जिले के अन्य हिस्से से हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो अलवर तहसील से 12, कोटकासिम से 11, तिजारा से 12, किशनगढ़ बास से 5, कठूमर से 4, लक्ष्मणगढ़ से 4, राजगढ़ से 2, रामगढ़ से 2 सैनिक सीमा पर शहीद हो चुके हैं.

independence day,  martyres from alwar,  martyres from rajasthan
बहरोड, बानसूर, मंडावर व नीमराणा क्षेत्र से 106 जवान शहीद हुए हैं

अलवर में होता है सेना की विशेष भर्ती का आयोजन

अलवर में सेना की तरफ से विशेष भर्ती का आयोजन किया जाता है. अलवर में सेना को योग्यता के हिसाब से बेहतर युवा मिलते हैं. इसलिए साल में दो बार सेना भर्ती होती है. सेना की तरफ से अलवर में कई नए प्रयास किए जाते हैं. राजस्थान में देश की बड़ी सेना भर्तियों में अलवर की सेना भर्ती भी शामिल है. जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत की हिफाजत करने में अलवर के वीर सपूत डटे हुए हैं.

अलवर. राजस्थान की औद्योगिक राजधानी के रूप में अलवर फेमस है. अलवर को सिंहद्वार, देवभूमि भी कहा जाता है. यहां के पर्यटन स्थलों को देखने देश-विदेश के लोग आते हैं. लेकिन एक वजह और है जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है. अकेले अलवर से 158 जवान शहीद हुए हैं. राजस्थान में झुंझुनू के बाद सबसे ज्यादा शहीद अलवर में ही हुए हैं. अक्सर अपराध की घटनाओं के चलते सुर्खियों में आने वाले अलवर की माटी में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है.

अलवर के युवाओं का सेना के प्रति गजब का उत्साह है

पढ़ें: अलवर: 15 अगस्त के मौके पर शहीदों को किया नमन

अब तक अलवर जिले से 158 सैनिक शहीद हो चुके हैं. जिले में सबसे ज्यादा बहरोड, बानसूर, मंडावर व नीमराणा क्षेत्र से 106 जवान शहीद हुए हैं. जबकि अन्य 58 सैनिक जिले के अन्य हिस्से से हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो अलवर तहसील से 12, कोटकासिम से 11, तिजारा से 12, किशनगढ़ बास से 5, कठूमर से 4, लक्ष्मणगढ़ से 4, राजगढ़ से 2, रामगढ़ से 2 सैनिक सीमा पर शहीद हो चुके हैं.

independence day,  martyres from alwar,  martyres from rajasthan
बहरोड, बानसूर, मंडावर व नीमराणा क्षेत्र से 106 जवान शहीद हुए हैं

अलवर में होता है सेना की विशेष भर्ती का आयोजन

अलवर में सेना की तरफ से विशेष भर्ती का आयोजन किया जाता है. अलवर में सेना को योग्यता के हिसाब से बेहतर युवा मिलते हैं. इसलिए साल में दो बार सेना भर्ती होती है. सेना की तरफ से अलवर में कई नए प्रयास किए जाते हैं. राजस्थान में देश की बड़ी सेना भर्तियों में अलवर की सेना भर्ती भी शामिल है. जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत की हिफाजत करने में अलवर के वीर सपूत डटे हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.