अलवर. मालाखेड़ा पुलिस थाना अंतर्गत जातपुर गांव के समीप रूपारेल नदी में डूबने से एक छात्र की शुक्रवार शाम मौत हो गई. शनिवार को ग्रामीण गोताखोरों ने 18 घंटे के कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 8 बजे शव को पानी से बाहर निकाल लिया. इस मौके पर एसडीआरएफ टीम भी मौके पर मौजूद रही, लेकिन आखिर में प्रयास, ग्रामीण गोताखोरों के ही काम आए. रामगढ़ के उपखंड अधिकारी महेश चंद मान, डीएसपी दीपक शर्मा सहित रामगढ़ और मालाखेड़ा पुलिस भी मौके पर मौजूद रहे.
जानकारी के मुताबिक मीणापुरा निवासी राजेश मीणा पुत्र छोटे लाल, बारहवीं कक्षा का छात्र था. शुक्रवार को स्कूल से छुट्टी के बाद अपने पांच दोस्तों के साथ जातपुर गांव से गुजर रही रूपारेल नदी में नहाने चला गया. राजेश, नहाने के लिए पानी मे उतरा ही था की डूब गया. राजेश के साथियों ने घटना की जानकारी उसके परिजनों को शाम को दी. जब देर शाम तक राजेश के घर न आने पर उसके घरवाले उसे ढूंढते हुए उसके दोस्तों तक पहुंचे, जिसके बाद तुरंत ही प्रशासन को सूचना दी गई. मौके पर एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई. टीम छात्र को तलाशने में जुट गई लेकिन काफी मशक्कत के बाद अंधेरा होने के कारण रात को रेस्क्यू रोक दिया गया. सुबह होती ही एसडीआरएफ की टीम दोबारा छात्र के तलाश में जुट गई, लेकिन तमाम कोशिसों के बावजूद टीम को निराशा हाथ लगी. जिसके बाद ग्रामीण गोताखोरों ने करीब 20 फुट गहरे बजरी की खान में भरे पानी से राजेश मीणा के शव को बाहर निकाला.
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घटनास्थल पर रामगढ़ के उपखंड अधिकारी महेश चंद मान पुलिस उपाधीक्षक दीपक शर्मा सहित पुलिस जाब्ता मौजूद थे. रामगढ़ के उपखंड अधिकारी महेश चंद्र ने बताया कि यह छात्र अपने साथियों के साथ नहाने के लिए आया था. लेकिन पैर फिसलने के कारण पानी में डूब गया, जिसकी सूचना उन्हें देर रात मिली , सूचना मिलते ही रेस्क्यू चला लेकिन छात्र नहीं मिला. जिसेक चलते पुलिस प्रशासन वापस लौट आया. फिर शनिवार सुबह ग्रामीण गोताखोरों की मदद से उसके शव को निकाल लिया गया. फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है और मामले की जांच में जुट गई है.
जातपुर और नेथला, बाम्बोलीके इलाके सहित दर्जनों गांवों में होता है भारी बजरी खनन
बड़ी बात ये कि जिस जगह इस युवक का शव मिला, वहां 20 फुट गहरा गड्ढा था और युवक झाड़ियों के पास फंसा हुआ था. दरअसल, इस नदी में बजरी प्रचुर मात्रा में निकलती है और अवैध खनन करता बजरी निकालते हैं जिसके कारण इस नदी में गहरे-गहरे गड्ढे पड़े हुए हैं. बता दें कि बजरी पर रोक के बावजूद भी प्रशासन इस अवैध खनन को नहीं रोक पा रहा है.