अजमेर. शहर में गुरुवार को अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन के बैनर तले महिलाओं ने जिला मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीण महिलाओं ने हाथों में तख्ती लेकर प्रदर्शन किया. महिलाओं ने कहा कि उनके द्वारा जो लोन लिया गया था, उसका ऋण अब राज्य सरकार द्वारा माफ किया जाए.
इस दौरान महिलाओं ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते गरीब तबके की महिलाओं के परिवारों में भुखमरी की स्थिति पैदा हो चुकी है. वहीं महिलाओं के पास ना तो कोई रोजगार है ना ही घर चलाने को लेकर कोई पैसा अब उनके पास में बचा है. ऐसे में महिलाएं माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेने को मजबूर है.
कोरोना संक्रमण के वजह से इन महिलाओं के काम-धंधे पूरी तरह चौपट हो चुके हैं. जिसकी वजह से अब ये लोन नहीं चुका पा रही है. जिसे लेकर महिलाओं ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है. साथ ही ज्ञापन के माध्यम से ऋण माफ करने की मांग भी की है.
समाज सेविका भंवरी देवी ने कहा कि उनकी मांग है कि महिलाओं से कर्ज वसूली बंद की जाए. 15 अगस्त को हम अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त हुए थे, लेकिन हमारी सरकार आज भी हमें नई किस्म के माध्यमों का गुलाम बनाने में लगी हुई है. वहीं पूंजीपति अरबों रुपयों का कर्ज नहीं चुकाते हैं, तो हमारी सरकार देश के खजाने से उनका कर्ज चुका देती है. लेकिन अब ऐसी महामारी के बीच गरीबों के साथ सरकार द्वारा धोखाधड़ी की जा रही है.
महिलाओं की मांग
- सरकार महिलाओं को स्वरोजगार हेतु 5 लाख तक का ब्याज मुक्त आसान किस्तों पर ऋण दे
- महिलाओं के लिए कम से कम 10 हजार महीना मिलने वाली रोजगार योजना को चालू किया जाए
- स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज को माफ किया जाए
- एक लाख तक का निजी, चाहे वह सरकारी माइक्रोफाइनेंस और निजी बैंकों से लिया गया कर्ज हो. लॉकडाउन के दौरान सभी किश्तों को माफ किया जाए
- सभी छोटे कर्जो की वसूली पर 31 मार्च, 2021 तक रोक लगाई जाए
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार को उनके उत्पादों की खरीद को सुनिश्चित किया जाए
- इसके अलावा शिक्षा लोगों को ब्याज से मुक्त किया जाए