अजमेर. अभिभावकों और स्कूल फीस को लेकर चल रहे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया है. कोर्ट के निर्णय से प्रदेश के अभिभावकों को जबरदस्त झटका लगा है. वहीं कोरोना काल में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हजारों निजी स्कूलों को कोरोना काल में कोर्ट के आदेश से संजीवनी मिल गई है.
राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का स्वागत किया है. एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश में हजारों निजी स्कूल फीस नहीं मिलने से बन्द होने के कगार पर पहुंच गए थे. प्रदेश में 80 फीसदी स्कूल माध्यम और निम्न स्तर के हैं जो पूरी तरह से फीस पर निर्भर थे. डेढ़ वर्षों से स्कूल फीस को लेकर विवाद चल रहा था. एसोसिएशन की ओर से लगातार सरकार से स्कूल फीस को लेकर गाइडलाइन जारी करने की मांग की जा रही थी. लेकिन सरकार ने निजी स्कूलों की गिरती आर्थिक स्थिति की ओर ध्यान नहीं दिया.
शर्मा ने कहा कि निजी स्कूलों के साथ लाखों शिक्षक और कर्मचारी जुड़े हुए है. फीस नहीं मिलने से स्कूल संचालक उन्हें वेतन देने में भी समर्थ नहीं थे. ऐसे में बिना वेतन के शिक्षकों और कर्मचारियों की भी देयनीय स्थिति हो चुकी थी. कोर्ट के आदेश उन निजी स्कूलों के लिए संजीवनी का कार्य करेंगे जो बन्द होने के कगार पर पहुच चुके थे.
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एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का स्वागत करता है और राजस्थान सरकार से मांग करता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक राजस्थान सरकार फीस को लेकर गाइडलाइन जारी करें ताकि अभिभावक बकाया फीस जमा कर सके. सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने कोरोना काल में निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है.