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विश्व पर्यटन दिवस : देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बना पुष्कर...लेकिन सरकारी प्रयास ना के बराबर - विश्व पर्यटन दिवस

राजस्थान की धार्मिक और सांकृतिक विरासत को संजोए तीर्थ गुरु पुष्कर अब देशी - विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा था. लेकिन पर्यटन विकास और वैश्विक मंदी ने पुष्कर में पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है. हाल यह है कि पर्यटक पुष्कर आते है. लेकिन एक दिन से ज्यादा उनका ठहराव नहीं होता. हालांकि धोरों की संस्कृति और आध्यात्मिक खुशबू आज भी विदेशी पावणों को आकर्षित करती है.. तीर्थ गुरु पुष्कर से विशेष खबर..

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Published : Sep 27, 2019, 8:31 PM IST

पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी के रूप में पुष्कर की पहचान विश्व पटल पर है. विश्व का इकलौता ब्रह्मा का मंदिर यहीं पर है. यहां के रेतीले धोरे, लोक संस्कृति, पवित्र सरोवर के अलावा चारों और हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ देखकर ही मन सुखद अनुभव करता है. गली गली में स्थित छोटे-बड़े मंदिर, संतों के आश्रम और तपो भूमि की विरासत इस पवित्र पुष्कर की पहचान है.

देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बना पुष्कर...लेकिन सरकारी प्रयास ना के बराबर

पुष्कर के धार्मिक महत्व की वजह से सदियों से तीर्थ यात्री आते रहे है और पुष्कर की आध्यात्मिक सुंगन्ध को अपने जहन में सजो कर ले जाते है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पुष्कर तीर्थो का गुरु माना गया है. पुष्कर के तीर्थ पुरोहित नवनीत शर्मा बताते हैं कि तपो भूमि और विश्व में जगतपिता के एक मात्र स्थान पुष्कर की पवित्रता से देवी देवता भी आकर्षित होते है.

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पुष्कर को लेकर विदेशी पर्यटकों में भी दीवानगी
पुष्कर के प्रति देशी पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी दीवानगी भी साफ देखी जा सकती है. इसी का एक उदाहरण इटली मूल की पर्यटक मारा सान्द्री है. जो पिछले 35 वर्षों से लगातार पुष्कर आ रही है. मारा बताती है कि 35 वर्षों में भले ही पुष्कर में परिवर्तन देखने को मिले है पर उनका लगाव आज भी पुष्कर से आज भी पहले जैसा ही है. वहीं विदेशी पर्यटकों की आवक में सबसे अधिक संख्या में इजरायली मूल के पर्यटकों की है. इजरायली पर्यटकों की बीच लोकप्रियता चलते पुष्कर को "लिटिल तलविव" के नाम से भी पुकारा जाने लगा है. इजरायल मूल की पर्यटक आदि बताती है कि वो 22 साल की उम्र से पुष्कर आ रही है और पुष्कर उनके के लिये एक विशेष स्थान रखता है.

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विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष ऊंट रैली का आयोजन
वहीं पुष्कर के पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य को लेकर स्वयं सेवी संस्थाए, होटल मालिक और स्थानीय लोग भी पीछे नहीं है. अनेक अवसरों पर विशेष आयोजन कर पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य भी किया जा रहा है. इसी क्रम में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भी विशेष ऊंट रैली का आयोजन किया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों ने भाग लिया.

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पुष्कर पर भी वैश्विक आर्थिक मंदी की मार
हाल के दिनों में वैश्विक आर्थिक मंदी बड़ा असर पुष्कर में पर्यटन उद्योग को भी पड़ रहा है. यहां विदेशी पर्यटकों की आवक बहुत कम हो रही है. जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही है. व्यापारियों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे गतिरोध के कारण भी पर्यटक भारत आने का मानस कम बना रहे है. साथ ही जहां पुष्कर के पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष भर विभिन्न आयोजन लोग करते है. वहीं दूसरी ओर पर्यटन विभाग के प्रयास मात्र अंतराष्ट्रीय पुष्कर मेले तक ही सीमित रहते है.

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पर्यटन को बढ़ावा देने में सरकारी प्रयास ना के बराबर
पुष्कर में पर्यटन को बढ़ावा देने की बड़ी-बड़ी बातें चुनावी वादों में सुनने को मिलती है. लेकिन धरातल पर पर्यटन को बढ़ावा देने में सरकारी प्रयास दिखाई नहीं देते. यही वजह है कि पुष्कर को पसंद करने वाले पर्यटक पुष्कर आते जरूर है. लेकिन उन्होंने उनका ठहराव यहां कम हो गया है.

Intro:राजस्थान की धार्मिक और सांकृतिक विरासत को संजोए तीर्थ गुरु पुष्कर अब देशी - विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा था। लेकिन पर्यटन विकास और वैश्विक मंदी ने पुष्कर में पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है। हाल यह है कि पर्यटक पुष्कर आते है लेकिन एक दिन से ज्यादा उनका ठहराव नही होता। हालांकि धोरों की संस्कृति और आध्यात्मिक खुशबू आज भी विदेशी पावणों को आकर्षित करती है। तीर्थ गुरु पुष्कर से विशेष खबर ..



Body:धार्मिक नगरी के रूप में पुष्कर की पहचान विश्व पटल पर है। विश्व का इकलौता ब्रह्मा का मंदिर, रेतीले धोरे, लोक संस्कृति , पवित्र सरोवर के अलावा चारों और हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़, कस्बे में गली गली में स्थित छोटे बड़े मंदिर एवं संतो के आश्रम और तपो भूमि की विरासत इस पवित्र पुष्कर की पहचान है।
पुष्कर के धार्मिक महत्व की वजह से सदियों से तीर्थ यात्री आते रहे है और पुष्कर की आध्यात्मिक सुंगन्ध को अपने जहन में सजो कर ले जाते है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पुष्कर तीर्थो का गुरु माना गया है। पुष्कर के तीर्थ पुरोहित नवनीत शर्मा बताते हैं कि तपो भूमि और विश्व में जगतपिता के एक मात्र स्थान पुष्कर की पवित्रता से देवी देवता भी आकर्षित होते है ...
बाइट--नवनीत शर्मा, तीर्थ पुरोहित

पुष्कर के प्रति देशी पर्यटक ही नही बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी दीवानगी भी साफ देखी जा सकती है। इसी का एक उदाहरण इटली मूल की पर्यटक मारा सान्द्री है जो पिछले 35 वर्षों से लगातार पुष्कर आ रही है। मारा बताती है कि 35 वर्षों में भले ही पुष्कर में परिवर्तन देखने को मिले है पर उनका लगाव आज भी पुष्कर से आज भी पहले जैसा ही है ...
बाइट--मारा सान्द्री,पर्यटका, इटली

विदेशी पर्यटकों की आवक में सबसे अधिक संख्या में इजरायली मूल के पर्यटक पुष्कर आते है। इजरायली पर्यटकों की बीच लोकप्रियता चलते पुष्कर को "लिटिल तलविव" के नाम से भी पुकारा जाने लगा है । इजरायल मूल की पर्यटक आदि बताते है कि वो 22 साल की उम्र से पुष्कर आ रही है और पुष्कर उनके के लिये एक विशेष स्थान रखता है...
बाइट--आदि,पर्यटका, इजरायल

पुष्कर के पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य को लेकर स्वयं सेवी संस्थाए, होटल मालिक, ओर स्थानीय लोग भी पीछे नही है। अनेक अवसरों पर विशेष आयोजन कर पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य भी किया जा रहा है। इसी क्रम में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भी विशेष ऊट की रैली का आयोजन किया गया। जिसमें सेकडो की संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों ने भाग लिया...
बाइट--अशोक टाक, ऊट श्रृंगारक

हाल के दिनों में वैश्विक आर्थिक मंदी बड़ा असर पुष्कर में पर्यटन उद्योग को भी पड़ रहा है। विदेशी पर्यटकों की आवक बहुत कम हो रही है। जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों के माथे पर चिंता की लखिरे साफ झलक रही है। व्यापारियों का मानना है कि भारत - पाकिस्तान के बीच चल रहे गतिरोध के कारण भी पर्यटक भारत आने का मानस कम बना रहे है। साथ ही जहा पुष्कर के पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष भर विभिन्न आयोजन लोग करते है। वही दूसरी ओर पर्यटन विभाग के प्रयास बस अंतराष्ट्रीय पुष्कर मेले तक ही सीमित रहते है।
बाइट-- विनोद ओझा,होटल व्यवसायी
Conclusion:पुष्कर में पर्यटन को बढ़ावा देने की बडी बड़ी बातें चुनावी वादों में सुनने को मिलती है लेकिन धरातल पर पर्यटन को बढ़ावा देने में सरकारी प्रयास दिखाई नही देते। यही वजह है कि पुष्कर को पसंद करने वाले पर्यटक पुष्कर आते जरूर है लेकिन उन्होंने उनका ठहराव यहां कम हो गया है।

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