अजमेर. जब कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू था. उस समय मीना अरोड़ा ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जो काबिले तारीफ है. उन्होंने लॉकडाउन के दौर में कई साल पहले सीखे गए हुनर को एक बार फिर से सहेजते हुए घर पर ही एक उद्योग शुरू किया. अरोड़ा ने 65 साल की उम्र में ऑर्गेनिक साबुन निर्माण का घरेलू उद्योग शुरू किया.
लॉकडाउन के कारण काम धंधे ठप होने से परिवार की स्थिति बिगड़ने लगी थी. कई नौजवान भी बेरोजगार होकर सड़कों पर आ गए थे. ऐसे समय में पालबिचला की रहने वाली मीना अरोड़ा ने अपना हौसला नहीं खोया और कुछ करने की जिंदगी में ठानी. खुद के स्कूली जीवन में सीखे काम के सहारे इस संकटजनित निराशा के घटाटोप को भी अपने जीवन में धैर्य और हुनर से न केवल चीर दिया. बल्कि परिवार के लिए नए रोजगार की भी राह को खोल दी. ढलती उम्र में उन्होंने ऑर्गेनिक साबुन बनाने की शुरुआत की और लगे हाथ इसकी डिमांड भी तेजी से बढ़ने लगी है. अरोड़ा भी आम महिलाओं की तरह अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करने लगी हैं.
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लॉकडाउन के समय जहां छोटे-मोटे सामान को बाहर से लाने के दौरान कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता था. ऐसे में उन्होंने अपने परिवार की जरूरत के मुताबिक ही घर में साबुन बनाने की शुरुआत की. बाहर के लोगों को जब पता चला तो उन्होंने भी ऑर्गेनिक साबुन की डिमांड उन तक पहुंचा दी. फिर क्या था, 65 साल की उम्र को मानो पंख लग चुके हों, पिछले दो महीनों से वे डिमांड के अनुसार ऑर्गेनिक साबुन को तैयार कर रही हैं.
हर महिला दिखाएं हिम्मत
मीना अरोड़ा ने कहा कि उनकी स्कूली पढ़ाई और महिला प्रतियोगिताओं के दौरान ऐसे ही उपयोगी चीजों को बनाने में हमेशा उनकी रुचि रही है. वहीं लॉकडाउन में जब उन्होंने खुद को टटोला तो उसे हुनर के उद्योग की शक्ल दे दी. उन्होंने कहा कि हर महिला में स्किल है, बस उसे पहचान कर तराशने की जरूरत है. मीना बताती हैं कि उनकी बेटी नैनो दिल्ली में है. फिलहाल वह अजमेर आई हुई है. वह भी उनका साबुन बनाने में साथ दे रही है. वहीं बेटी का भी सपना सरकार के सभी मानक पूरे कर ऑर्गेनिक साबुन इंडस्ट्री शुरू करने का है.