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नृत्य और हैरतअंगेज करतबों से लोगों को रोमांचित करने वाली ये हैं सीमा राजस्थानी, भवाई नृत्य से मचाई अजमेर में धूम - Ajmer news

भवाई या भवई नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है. यह नृत्य अपनी हैरतअंगेज करतबों के लिए प्रसिद्ध है. इस नृत्य में कई तरीके के करतब दिखाई देते है. बांसवाड़ा की रहने वाली सीमा राजस्थानी इस नृत्य को बहुत की बेहतर ढंग से प्रस्तुत करती है. अजमेर नगर निगम के फागोत्सव में कार्यक्रम में बांसवाड़ा की यह होनहार कलाकार को भी आमंत्रित किया गया था. जिसने मंच पर अपने नृत्य और हैरतअंगेज करतबों से दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को रोमांचित कर दिया.

Seema Rajasthani, Bhavai dance
भवाई नृत्य से मचाई अजमेर में धूम
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Published : Mar 7, 2020, 4:47 PM IST

Updated : Mar 8, 2020, 12:22 AM IST

अजमेर. बांसवाड़ा की रहने वाली 19 वर्षीय सीमा राजस्थानी राजस्थान लोक नृत्य कला का उभरता हुआ वो चेहरा है जो अपनी मिट्टी की सुगंध को अपनी कला के माध्यम से पूरे देश में पहुंचा चुकी है. सीमा राजस्थानी भवाई नृत्य करती है. जब वो मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करती है तो 25 मिनट के उनके प्रदर्शन के दौरान लोगों की कई बार सांसे थम जाती है.

भवाई नृत्य से मचाई अजमेर में धूम

पढ़ें: होली विशेष: बीकानेर की होली है खास, यहां 200 सालों से चला आ रहा रम्मतों का दौर

अजमेर नगर निगम के फागोत्सव में कार्यक्रम में बांसवाड़ा की यह होनहार कलाकार को भी आमंत्रित किया गया था. मंच पर शुरू से अंत तक राजस्थानी लोक गीतों के साथ सीमा राजस्थानी का तारतम्य ऐसा बना रहा कि नृत्य के दौरान उनकी हर भाव भंगिमाएं किसी मंझी हुई कलाकार से किसी भी तरह से कम नहीं थी. भवाई नृत्य में भाव भंगिमाओं के साथ शारीरिक संतुलन बड़ा महत्व रखता है. एक गलती कलाकार को गंभीर रूप से चोटिल कर सकती है. यहीं वजह है कि लोक नृत्य कला की भवाई विद्या को काफी मुश्किल माना जाता और इसके लिए काफी लगन और वर्षो का अभ्यास भी जरूरी होता है.

सीमा राजस्थानी बताती है कि भवाई नृत्य में 108 कलश को सिर पर उठाकर वे नृत्य करती है. इसके अलावा परात की किनोर पर दोनों पैरों को संतुलित करना, चार ग्लास पर खड़े होकर नृत्य करने के अलावा तलवारों की धार पर खड़े होना है उनके नृत्य का हिस्सा है. वहीं नृत्य में शरीक संतुलन के साथ शारारिक रूप से लचीलापन भी होना आवश्यक है.

इस नृत्य में कलशों को सिर पर रख आगे से नोट उठाना वहीं शरीर को पीछे की और मोड़ कर अंगूठी मुंह से उठाई जाती है. वाकई यह कोई आसान नहीं है. सीमा राजस्थानी का आत्मविश्वास इतना जबरदस्त है कि 25 मिनट के उनके नृत्य में उन्होंने यह सब कुछ तो किया ही बल्कि 108 कलशों को सिर पर उठाकर सीमा दर्शकों के बीच पहुंच गई.

पढ़ें: होली के रंग: 300 साल पुरानी है शिव-पार्वती के मिलन की प्रतीक नागौर की 'फक्कड़ गैर' परंपरा

सीमा राजस्थानी ने ईटीवी भारत को बताया कि भवाई नृत्य उन्होंने किसी से नहीं सीखा, बल्कि उनके पिता बाबू लाल लुहार ने सीमा के सपनों को पंख लगाने में सहयोग किया. 3 साल की उम्र से सीमा को नृत्य का शौक था, तब वे राजस्थानी लोक गीतों पर नृत्य करते हुए बड़ी हो रही थी, 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने भंवाई नृत्य करना शुरू किया. कड़ी मेहनत और लगन से खुद ही खुद को भवाई नृत्य के काबिल बनाया. सीमा बताती है कि वे बड़े कलाकारों के नृत्य से सीखती है और सीखने वाले उनसे सीखते है यानी सीखना कभी बंद नहीं होता. सीमा चाहती है कि राजस्थान की भवाई नृत्य कला को वे विदेशों तक पहुंचाने का उन्हें मौका मिले, ताकि उनकी कला के साथ देश और प्रदेश का भी नाम हो. जाहिर है कलाकार कितना भी मंझा हो यदि उसकी कला प्रदर्शन के लिए उपयुक्त मंच मिलना भी जरूरी है. सीमा राजस्थानी ने अपनी मनमोहक कला से नगर निगम के फागोत्सव कार्यक्रम में धूम मचा दी.

अजमेर. बांसवाड़ा की रहने वाली 19 वर्षीय सीमा राजस्थानी राजस्थान लोक नृत्य कला का उभरता हुआ वो चेहरा है जो अपनी मिट्टी की सुगंध को अपनी कला के माध्यम से पूरे देश में पहुंचा चुकी है. सीमा राजस्थानी भवाई नृत्य करती है. जब वो मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करती है तो 25 मिनट के उनके प्रदर्शन के दौरान लोगों की कई बार सांसे थम जाती है.

भवाई नृत्य से मचाई अजमेर में धूम

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अजमेर नगर निगम के फागोत्सव में कार्यक्रम में बांसवाड़ा की यह होनहार कलाकार को भी आमंत्रित किया गया था. मंच पर शुरू से अंत तक राजस्थानी लोक गीतों के साथ सीमा राजस्थानी का तारतम्य ऐसा बना रहा कि नृत्य के दौरान उनकी हर भाव भंगिमाएं किसी मंझी हुई कलाकार से किसी भी तरह से कम नहीं थी. भवाई नृत्य में भाव भंगिमाओं के साथ शारीरिक संतुलन बड़ा महत्व रखता है. एक गलती कलाकार को गंभीर रूप से चोटिल कर सकती है. यहीं वजह है कि लोक नृत्य कला की भवाई विद्या को काफी मुश्किल माना जाता और इसके लिए काफी लगन और वर्षो का अभ्यास भी जरूरी होता है.

सीमा राजस्थानी बताती है कि भवाई नृत्य में 108 कलश को सिर पर उठाकर वे नृत्य करती है. इसके अलावा परात की किनोर पर दोनों पैरों को संतुलित करना, चार ग्लास पर खड़े होकर नृत्य करने के अलावा तलवारों की धार पर खड़े होना है उनके नृत्य का हिस्सा है. वहीं नृत्य में शरीक संतुलन के साथ शारारिक रूप से लचीलापन भी होना आवश्यक है.

इस नृत्य में कलशों को सिर पर रख आगे से नोट उठाना वहीं शरीर को पीछे की और मोड़ कर अंगूठी मुंह से उठाई जाती है. वाकई यह कोई आसान नहीं है. सीमा राजस्थानी का आत्मविश्वास इतना जबरदस्त है कि 25 मिनट के उनके नृत्य में उन्होंने यह सब कुछ तो किया ही बल्कि 108 कलशों को सिर पर उठाकर सीमा दर्शकों के बीच पहुंच गई.

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सीमा राजस्थानी ने ईटीवी भारत को बताया कि भवाई नृत्य उन्होंने किसी से नहीं सीखा, बल्कि उनके पिता बाबू लाल लुहार ने सीमा के सपनों को पंख लगाने में सहयोग किया. 3 साल की उम्र से सीमा को नृत्य का शौक था, तब वे राजस्थानी लोक गीतों पर नृत्य करते हुए बड़ी हो रही थी, 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने भंवाई नृत्य करना शुरू किया. कड़ी मेहनत और लगन से खुद ही खुद को भवाई नृत्य के काबिल बनाया. सीमा बताती है कि वे बड़े कलाकारों के नृत्य से सीखती है और सीखने वाले उनसे सीखते है यानी सीखना कभी बंद नहीं होता. सीमा चाहती है कि राजस्थान की भवाई नृत्य कला को वे विदेशों तक पहुंचाने का उन्हें मौका मिले, ताकि उनकी कला के साथ देश और प्रदेश का भी नाम हो. जाहिर है कलाकार कितना भी मंझा हो यदि उसकी कला प्रदर्शन के लिए उपयुक्त मंच मिलना भी जरूरी है. सीमा राजस्थानी ने अपनी मनमोहक कला से नगर निगम के फागोत्सव कार्यक्रम में धूम मचा दी.

Last Updated : Mar 8, 2020, 12:22 AM IST
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