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अजमेर: नोसर के सरकारी स्कूल की छत गिरी, शिकायत के बाद भी नहीं करवाई गई थी मरम्मत - सरकारी स्कूल

अजमेर जिले के नोसर गांव में स्थित सरकारी स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है. पिछले दिनों ही स्कूल के एक कमरे की छत गिर गई. लेकिन कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं तो बड़ा हादसा टल गया. ग्रामीणों की तरफ से लगातार प्रशासन और विधायकों को अवगत कराने के बाद भी इमारत को ठीक नहीं करवाया जा रहा है.

government school roof collapsed in ajmer,  government school condition
नोसर के सरकारी स्कूल की छत गिरी
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Published : Sep 15, 2020, 7:27 PM IST

अजमेर. जिले की सरकारी स्कूलों की कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. रखरखाव के अभाव में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. नोसर गांव की राजकीय प्राथमिक विद्यालय की छत पिछले दिनों गिर गई. गनीमत रही कि कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. यह स्कूल 1949 से संचालित हो रहा है. वक्त के साथ स्कूल की इमारत जर्जर होती रही लेकिन इसकी मरम्मत नहीं करवाई गई.

प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी इमारत की मरम्मत नहीं करवाई गई

ग्रामीणों ने बताया कि नोसर गांव में अल्पसंख्यक और दलित वर्ग के लोग रहते हैं. यही वजह है कि राजनीतिक द्वेषता के चलते कई बार प्रशासन और विधायकों को अवगत कराने के बाद भी स्कूल की कभी सुध नहीं ली गई. क्षेत्र के कुछ भामाशाहों ने स्कूल की टूटी दीवार को ठीक करवा दिया, लेकिन बिना सरकारी सहयोग के स्कूल का जीर्णोद्धार होना संभव नहीं है. स्कूल के एक कमरे और जिस कमरे में आंगनबाड़ी संचालित हो रही थी उस कमरे की छत गिर चुकी है.

पढ़ें: बीकानेर: ACB ने 12 हजार रुपये की घूस लेते पटवारी को रंगे हाथों पकड़ा

मौके पर मौजूद आशा सहयोगिनी सुमन परिहार ने बताया कि हादसा होते ही स्कूल की प्राचार्या को सूचित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने से कोई जनहानि नहीं हुई है. स्कूल संचालित हो रहा होता तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था. ग्रामीणों में जर्जर इमारत को लेकर काफी रोष है. 17 सितंबर को ग्रामीण स्कूल के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे.

अजमेर. जिले की सरकारी स्कूलों की कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. रखरखाव के अभाव में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. नोसर गांव की राजकीय प्राथमिक विद्यालय की छत पिछले दिनों गिर गई. गनीमत रही कि कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. यह स्कूल 1949 से संचालित हो रहा है. वक्त के साथ स्कूल की इमारत जर्जर होती रही लेकिन इसकी मरम्मत नहीं करवाई गई.

प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी इमारत की मरम्मत नहीं करवाई गई

ग्रामीणों ने बताया कि नोसर गांव में अल्पसंख्यक और दलित वर्ग के लोग रहते हैं. यही वजह है कि राजनीतिक द्वेषता के चलते कई बार प्रशासन और विधायकों को अवगत कराने के बाद भी स्कूल की कभी सुध नहीं ली गई. क्षेत्र के कुछ भामाशाहों ने स्कूल की टूटी दीवार को ठीक करवा दिया, लेकिन बिना सरकारी सहयोग के स्कूल का जीर्णोद्धार होना संभव नहीं है. स्कूल के एक कमरे और जिस कमरे में आंगनबाड़ी संचालित हो रही थी उस कमरे की छत गिर चुकी है.

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मौके पर मौजूद आशा सहयोगिनी सुमन परिहार ने बताया कि हादसा होते ही स्कूल की प्राचार्या को सूचित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने से कोई जनहानि नहीं हुई है. स्कूल संचालित हो रहा होता तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था. ग्रामीणों में जर्जर इमारत को लेकर काफी रोष है. 17 सितंबर को ग्रामीण स्कूल के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे.

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