अजमेर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए आवश्यक सेवाएं दे रहे सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा का जहां स्वागत हो रहा है. वहीं नर्सिंग विद्यार्थी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. बता दें कि सीएम अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी से लड़ रहे सरकारी कर्मचारी के मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को 50 लाख रुपए सहायता देने की घोषणा की थी.
अजमेर में नर्सिंग विद्यार्थी आंदोलन की राह पर चल पड़े है. नर्सिंग विद्यार्थियों का कहना कि कोरोना के खिलाफ जंग में नर्सिंग विद्यार्थी कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं. अजमेर में सरकारी और निजी नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रशासन ने सर्वे में लगाया है. नर्सिंग विद्यार्थियों का कहना है कि सर्वे के दौरान सबसे पहले संक्रमित व्यक्ति से सामना नर्सिंग विद्यार्थी को ही होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं है कि सर्वे के कार्य में लगे नर्सिंग विद्यार्थियों को कोरोना से मृत्यु होने पर आश्रितों को सहायता नहीं दी जाएगी.
नर्सिंग विद्यार्थियों ने मांग की है कि सीएम की घोषणा में नर्सिंग विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार नर्सिंग विद्यार्थियों को स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारी नहीं मान रही, जबकि विद्यार्थी कोरोना महामारी में 6 घंटे अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर्वे की ड्यूटी पूरी करने के बाद नर्सिंग विद्यार्थियों के 5 सदस्य प्रतिनिधिमंडल जिला कलेक्टर से मांग की है कि वह उनकी मांग सरकार तक पहुंचाएं और सीएम की घोषणा में नर्सिंग विद्यार्थी को भी शामिल किया जाए.
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नर्सिंग विद्यार्थियों ने चेतावनी दी है कि सरकार ने नर्सिंग विद्यार्थियों को घोषणा में शामिल नहीं किया, तो कोरोना वायरस के बचाव को लेकर किया जा रहा है सर्वे का नर्सिंग विद्यार्थी बहिष्कार करेंगे. बता दें कि अजमेर में सर्वे के कार्य में नर्सिंग विद्यार्थियों को लगाया गया है, जिसमें सरकारी और निजी महाविद्यालय के करीब एक हजार नर्सिंग विद्यार्थी सर्वे के कार्य में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.