अजमेर. टोंक जिले के नगरफोर्ट तालाब (Nagarfort Pond) में मालवा सभ्यता (Malwa Civilization) दबी हुई है. तालाब में पड़ताल के दौरान सभ्यता से जुड़ी कई महत्वपूर्ण वस्तुएं मिली है. इनमें उस समय चलने वाले तांबे के सिक्के को बनाए जाने वाला टेराकोटा से निर्मित सांचा (कोइन मोल्ड) भी मिला है, जिस पर उस समय की डिजाइन उकरी हुई है. साथ ही कई टन अयस्क भी प्राप्त हुआ है. तालाब के डेढ़ किलो मीटर क्षेत्र को संरक्षित कर लिया गया है. साथ ही भारतीय पुरातत्व विभाग के आरकोलॉजी ऑफ इंडिया विंग से तालाब की खुदाई के लिए अनुमति मांगी गई है.
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बता दें, टोंक प्रशासन की सूचना पर विशेषज्ञ के तौर पर अजमेर राजकीय संग्रहालय के वृत्त अधीक्षक नीरज त्रिपाठी नगर फोर्ट में तालाब की पड़ताल करने गए थे. नीरज त्रिपाठी ने बताया कि पंजाब में सिकंदर से युद्ध हारने के बाद मालवा ने पलायन किया था और पलायन कर नगर फोर्ट में 400 वर्षों से अधिक समय तक रहे थे. लंबे समय तक रहने के कारण मालवा की एक सभ्यता यहां विकसित हो गई थी. उस दौर में तांबे के सिक्के प्रचलित थे.
25 टन से अधिक अयस्क मिला
तलाब में पड़ताल करने पर पता चला कि तांबे के सिक्के बनाने की टकसाल, अयस्क से लोहा निकलने के अलावा लोहे से औजार और हथियार बनाने का यहां पर कारखाना रहा है. उन्होंने बताया कि करीब 25 टन से अधिक अयस्क तलाब की भूमि से मिला है. इसके अलावा तालाब की जमीन पर ईंटों से बना हुआ और मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं.
पूरे क्षेत्र को कर लिया गया संरक्षित
त्रिपाठी ने बताया कि तालाब के समीप 7 किलोमीटर का क्षेत्र है, जहां उत्खनन में पहले भी कई मालवा सभ्यता से जुड़ी हुई वस्तुएं मिली है. उस पूरे क्षेत्र को पहले ही संरक्षित कर लिया गया था. तालाब में उत्खनन कार्य के लिए मुख्यालय को सूचना दी गई है. मुख्यालय से जो भी निर्देश प्राप्त होंगे उसके अनुसार कार्य किए जाएंगे.
नगर फोर्ट के तालाब में मिले मालवा सभ्यता की टकसाल और तांबे के सिक्के बनाने के सांचे के फोटो और वीडियो ईटीवी भारत पर देखे जा सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि अनुमति मिलने के बाद उत्खनन में मालवा सभ्यता से जुड़े अन्य रहस्य से भी पर्दा उठ पाएगा. बताया जाता है कि 2 हजार वर्ष पहले कि यहां मालवा गणराज्य था.