अजमेर. आनासागर झील का निर्माण अजमेर के चौहान वंश के शासक अर्णोराज ने करवाया था, तब से ही यह खूबसूरत झील प्रवासी पक्षियों के लिए पसंदीदा जगह बनी हुई थी. प्रवासी पक्षी दीपावली के बाद यहां आते और होली से पहले चले जाते थे. बताते हैं कि 45 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां यहां आती रही है, इसलिए आना सागर झील के एक हिस्से को मिनी बर्ड सेंचुरी भी कहा जाने लगा.
लाखों मील का सफर कर आते है प्रवासी पक्षी
बर्ड कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष महेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि झील में तिब्बत सेंट्रल एशिया ईस्टर्न और सेंट्रल यूरोप से कई प्रजातियों के पक्षी हर साल आते हैं. उनका यह क्रम भोजन की तलाश को लेकर शुरू हुआ था. उन्होंने बताया कि यह पक्षी यहां प्रजनन नहीं करते. सिंह ने यह भी बताया कि यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों में बार हेडेड गूज, पिनटेल डक, पोचर्ड डक सहित कई पक्षी है, जो लाखों मिल का सफर तय कर यहां आते है.
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आनासागर झील पक्षियों के अभाव में वीरान
ऐसा पहली बार देखने को मिला है जब सर्द मौसम में आनासागर झील पक्षियों के अभाव में वीरान पड़ी है. चंद पक्षी इस बार यहां आए थे, लेकिन वह भी चले गए हैं. ऐसे में भविष्य को लेकर यह सुखद संदेश नहीं है. एक दशक पहले आनासागर झील के एक हिस्से को प्रवासी पक्षियों के अनुकूल बनाने के लिए वेटलैंड बनाने की योजना थी, लेकिन आनासागर झील के आसपास हो रहे अतिक्रमण ने योजना को कानूनी पैचेदगी में डाल दिया है.
पक्षियों के ना आने की ये हो सकती है बड़ी वजह
बर्ड कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष महेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि प्रवासी पक्षियों के झील में नहीं आने का बड़ा कारण सांभर में हजारों पक्षियों की मौत भी हो सकता है, दूसरा कारण उन्होंने बताया कि आनासागर झील में मछलियों का ठेका दिया जाता है, ऐसे में अल सुबह मछलियां पकड़ने के लिए ठेकेदार पटाखे चलाते हैं. जिससे पक्षी भयभीत होते हैं. तीसरा सबसे बड़ा कारण आनासागर झील में वेटलैंड का नहीं होना बताया जाता है. यही वजह है कि प्रवासी पक्षियों में पिछले 5 सालों में कमी देखी गई और इस वर्ष झील में प्रवासी पक्षी ना के बराबर है.
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बता दें कि प्रवासी पक्षी लाखों मीलों का सफर रात के समय तय करते हैं. लेकिन आज हालात ऐसे बन गए हैं कि दिन के उजाले में भी प्रवासी पक्षी दिखाई नहीं दे रहे हैं. आनासागर झील को निहारने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवासी पक्षी भी आकर्षण का केंद्र रहते हैं. लेकिन उन्हें भी इस बार निराश होना पड़ रहा है. आनासागर झील से गायब हुए प्रवासी पक्षियों को लेकर पक्षी प्रेमियों में चिंता है, लेकिन क्यों चिंता शासन और प्रशासन को भी हो तो आनासागर झील फिर से प्रवासी पक्षियों से आबाद हो सके.