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Ground Report : 45 दिन में 50 मौतें, COVID-19 टेस्ट कराना है तो तय करना होगा लंबा सफर - death toll from corona rising

राजस्थान कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. सरकार की ओर से दी जा रही स्वास्थ्य सेवाएं ऊंट के मुंह में जीरे की तरह साबित हो रही हैं, फिर भी सरकार घोषणा कर रही है कि वह गांव को संक्रमण से बचा लेगी. लेकिन यह घोषणा सिर्फ कोरी घोषणाएं बनकर रह गई हैं. अजमेर के सोमलपुर गांव की स्थिति देखकर तो ऐसा ही प्रतित हो रहा है, जहां कोरोना जांच के लिए लोगों को गांव से लंबी दूरी तय कर बाहर जाना पड़ता है. स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है. देखिये ईटीवी भारत की ये रिपोर्ट...

death toll from corona rising
सोमलपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
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Published : May 21, 2021, 10:11 AM IST

अजमेर. राजस्थान में अजमेर शहर के करीब है सोमलपुर गांव, जिसकी आबादी करीब 15 से 16 हजार है. इस गांव में पिछले डेढ़ महीने में करीब 50 मौतें हो चुकी हैं. सोमलपुर गांव अपनी मुस्लिम बहुल आबादी के लिए प्रसिद्ध है. गांव के डॉक्टर बताते हैं कि महामारी के इस दौर में जब सरकार को गांव में संक्रमण फैलने की चिंता सता रही है, तब भी सरकार की कोशिशें सिर्फ वीडियो कांफ्रेंस तक ही सीमित है.

अजमेर के सोमलपुर गांव में कोरोना का कहर...

सोमलपुर गांव में कोरोना की जमीनी हकीकत...

डॉक्टर बताते हैं कि गांव में अब तक 7 वैक्सीनेशन कैंप आयोजित किए जा चुके हैं. इन कैंप में 40 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगवा दी गई है. वैक्सीनेशन के इतने कम परसेंटेज का कारण यह है कि सोमलपुर की 99 फीसदी आबादी मुस्लिम बाहुल्य है. रमजान के महीने में इस गांव में वैक्सीनेशन की कमी रही, अब रमजान का महीना पूरा होने के बाद वैक्सीनेशन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.

गांव में अब तक 50 मौतों को लेकर डॉक्टर बताते हैं...

26 मार्च से लेकर अब तक केवल चार कोविड-19 के कारण मौतें रजिस्टर्ड हुई हैं. तीन मौतें कोरोना संदिग्ध मौतें हैं, जो प्राइवेट हॉस्पिटल्स में हुई हैं. इनके बारे में अभी सटीक जानकारी प्राप्त नहीं है, बाकी सभी मौतें नॉर्मल बताई जा रही हैं. मार्च से अब तक गांव में कोरोना के 48 मामले रजिस्टर्ड हुए हैं. इस वक्त गांव में कोरोना के 25 मरीज ऑन रिकॉर्ड क्वारेंटाइन हैं, जिसमें से एक केस रिपीट है.

पढ़ें : SPECIAL: कोरोना प्रबंधन में चित्तौड़गढ़ की आदर्श तस्वीर, जानिए कैसे सुधरी अस्पताल की 'सेहत'

गांव के पूर्व सरपंच इकराम खान चीता बताते हैं कि गांव में अभी तक भी जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. सरकार द्वारा मोबाइल वैन के जरिए कोरोना टेस्टिंग की जो बात कही गई है, उसकी जानकारी गांव में अभी तक भी किसी को नहीं है और ना ही सरकार द्वारा गांव में इस तरह के कोई प्रयास किए गए हैं. गांव में बीमार होने वाले लोगों को यहां की डिस्पेंसरी द्वारा दवाई उपलब्ध करवा दी जाती है. वहीं, गांव के उपसरपंच प्रतिनिधि इमरान खान ने बताया कि गांव में कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध ही नहीं है.

corona attack in somalpur village of ajmer
सोमलपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव...

प्रशासन पर अनदेखी का आरोप...

जितने भी लोग कोरोना की जांच करवाते हैं वे सब गांव से बाहर जाकर ही जांच करवाते हैं. इसके लिए लोगों को चंद्रवरदाई नगर स्थित हॉस्पिटल या ब्यावर रोड स्थित सेंट फ्रांसिस हॉस्पिटल तक जाना पड़ता है. गांव में जांच की अभी तक भी कोई सुविधा नहीं है. वहीं, डेढ़ महीने में 50 से ज्यादा मौतें होने के बावजूद प्रशासन द्वारा इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

अजमेर. राजस्थान में अजमेर शहर के करीब है सोमलपुर गांव, जिसकी आबादी करीब 15 से 16 हजार है. इस गांव में पिछले डेढ़ महीने में करीब 50 मौतें हो चुकी हैं. सोमलपुर गांव अपनी मुस्लिम बहुल आबादी के लिए प्रसिद्ध है. गांव के डॉक्टर बताते हैं कि महामारी के इस दौर में जब सरकार को गांव में संक्रमण फैलने की चिंता सता रही है, तब भी सरकार की कोशिशें सिर्फ वीडियो कांफ्रेंस तक ही सीमित है.

अजमेर के सोमलपुर गांव में कोरोना का कहर...

सोमलपुर गांव में कोरोना की जमीनी हकीकत...

डॉक्टर बताते हैं कि गांव में अब तक 7 वैक्सीनेशन कैंप आयोजित किए जा चुके हैं. इन कैंप में 40 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगवा दी गई है. वैक्सीनेशन के इतने कम परसेंटेज का कारण यह है कि सोमलपुर की 99 फीसदी आबादी मुस्लिम बाहुल्य है. रमजान के महीने में इस गांव में वैक्सीनेशन की कमी रही, अब रमजान का महीना पूरा होने के बाद वैक्सीनेशन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.

गांव में अब तक 50 मौतों को लेकर डॉक्टर बताते हैं...

26 मार्च से लेकर अब तक केवल चार कोविड-19 के कारण मौतें रजिस्टर्ड हुई हैं. तीन मौतें कोरोना संदिग्ध मौतें हैं, जो प्राइवेट हॉस्पिटल्स में हुई हैं. इनके बारे में अभी सटीक जानकारी प्राप्त नहीं है, बाकी सभी मौतें नॉर्मल बताई जा रही हैं. मार्च से अब तक गांव में कोरोना के 48 मामले रजिस्टर्ड हुए हैं. इस वक्त गांव में कोरोना के 25 मरीज ऑन रिकॉर्ड क्वारेंटाइन हैं, जिसमें से एक केस रिपीट है.

पढ़ें : SPECIAL: कोरोना प्रबंधन में चित्तौड़गढ़ की आदर्श तस्वीर, जानिए कैसे सुधरी अस्पताल की 'सेहत'

गांव के पूर्व सरपंच इकराम खान चीता बताते हैं कि गांव में अभी तक भी जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. सरकार द्वारा मोबाइल वैन के जरिए कोरोना टेस्टिंग की जो बात कही गई है, उसकी जानकारी गांव में अभी तक भी किसी को नहीं है और ना ही सरकार द्वारा गांव में इस तरह के कोई प्रयास किए गए हैं. गांव में बीमार होने वाले लोगों को यहां की डिस्पेंसरी द्वारा दवाई उपलब्ध करवा दी जाती है. वहीं, गांव के उपसरपंच प्रतिनिधि इमरान खान ने बताया कि गांव में कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध ही नहीं है.

corona attack in somalpur village of ajmer
सोमलपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव...

प्रशासन पर अनदेखी का आरोप...

जितने भी लोग कोरोना की जांच करवाते हैं वे सब गांव से बाहर जाकर ही जांच करवाते हैं. इसके लिए लोगों को चंद्रवरदाई नगर स्थित हॉस्पिटल या ब्यावर रोड स्थित सेंट फ्रांसिस हॉस्पिटल तक जाना पड़ता है. गांव में जांच की अभी तक भी कोई सुविधा नहीं है. वहीं, डेढ़ महीने में 50 से ज्यादा मौतें होने के बावजूद प्रशासन द्वारा इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

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