अजमेर. प्रदेश में गहलोत सरकार अपने दो साल के कार्यकाल के पूर्ण होने पर जश्न मना रही है और अपनी उपलब्धियों का गुणगान कर रही है. वहीं, अजमेर में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के बैनर तले कर्मचारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार के सत्ता में आने से पहले अपने घोषणा पत्र में कर्मचारियों के कल्याण को लेकर कई बिंदुओं को शामिल किया था जिन्हें पूरा नहीं किया गया.
2018 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा, लेकिन सत्ता में आने के दो साल बाद भी सरकार ने कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ली. अतः ये कहने में कोई संदेह नहीं होगा कि ये सरकार कर्मचारी विरोधी है.
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कर्मचारियों की माने तो उनके सहयोग के बिना सरकार किसी भी योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित नहीं कर सकती. लॉकडाउन के दौरान गहलोत सरकार ने राज्य कर्मियों के वेतन में कटौती करके कर्मचारियों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया है, ये अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. महासंघ के जिलाध्यक्ष विनोद रत्नू ने कहा कि सरकार ने शीघ्र ही कर्मचारियों की लंबित समस्याओं का समाधान नहीं किया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे.