अजमेर. अजमेर रेड जोन क्षेत्रों में शामिल हो गया है. इसके बाद यहां औद्योगिक क्षेत्रों में छूट मिलने की संभावना कम हो गई है. ऐसे में व्यापारियों और श्रमिकों में भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भय का माहौल है.
अजमेर में बड़े पैमाने पर गोटा का कारोबार होता है. लॉकडाउन के चलते गोटा व्यवसाय पर भी ताला लग गया है. इससे हजारों श्रमिकों, 2 हजार से ज्यादा फैक्ट्री मालिकों और 12 से अधिक व्यापारियों के इनकम का जरिया बंद हो गया है.
अजमेर में करीब 2 हजार फैक्ट्रियां
धार्मिक नगरी अजमेर में गोटा निर्माण और व्यापार व्यापक स्तर पर होता है.यहां के गोटा पूरे विश्व में मशहूर है. देश-विदेश से गोटा बनाने के ऑर्डर यहां के व्यापारियों को मिलते हैं. जिले में गोटा बनाने की करीब 2 हजार फैक्ट्रियां हैं.
यह भी पढ़ें- SPECIAL : लॉकडाउन की वजह से बूंदी के लोगों की नशे से तौबा, 25 फीसदी ने बनाई दूरी
फैक्ट्री मालिक गोपाल बताते हैं कि गोटा फैक्ट्री के लिए कई लोगों ने बैंक से लोन लिया हुआ है. यह व्यवसाय लघु उद्योग में आता है. शादी का सीजन जा रहा है. लेकिन लॉकडाउन के चलते कच्चा माल भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं संक्रमण को देखते हुए श्रमिक भी नहीं मिल रहे हैं.
20 हजार श्रमिक परिवार प्रभावित
ईटीवी भारत ने गोटा व्यापारी अशोक गर्ग से खास बातचीत की. इस दौरान गर्ग ने बताया कि राजस्थान में गोटा का कार्य बड़े पैमाने पर केवल अजमेर में ही होता है. अजमेर में बना गोटा पूरे देश में सप्लाई किया जाता है. इस कारोबार से करीब 20 हजार श्रमिक परिवार जुड़े हुए हैं.
यह भी पढ़ें- कोरोना मुक्त होने के पथ पर जैसलमेर, बीते 10 दिनों में संक्रमण का एक भी केस नहीं आया सामने
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में गोटा व्यवसाय को महिने के हिसाब से करीब ढाई करोड़ का नुकसान हो रहा है. अभी तक तो श्रमिकों की सहायता भामाशाह और फैक्ट्री मालिक व्यापारी कर रहे थे. लेकिन सभी की एक लिमिट होती है. लॉकडाउन अगर लंबा चलता है तो गोटा कारोबार से जुड़े गरीब परिवारों के सामने विकट हालात पैदा हो जाएंगे.