अजमेर. एंबुलेंस की आवश्यकता कोरोना की दूसरी लहर ने बढ़ा दी है. महामारी के इस दौर में ज्यादातर लॉकडाउन में ही लोगों ने समय गुजार दिया. दफ्तर का काम घरों से होने लगा और स्कूल भी बंद रहे. लोग भी सड़कों पर कम ही निकले. सिर्फ एंबुलेंस ही सड़कों पर दौड़ती नजर आईं. ऐसे में एंबुलेंस कोरोना मरीजों के लिए जीवन रक्षक बनी और मरीजों को अस्पतालों तक ले जाने का कार्य किया. हांलांकि एंबुलेंस में पर्याप्त सहूलियत और उपकरणों के अभाव के कारण चालकों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ा मौतों का आंकड़ा
शहर के एंबुलेंस चालक वासुदेव बताते हैं कि कोरोना काल में दूसरी लहर के दौरान मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से एंबुलेंस का उपयोग भी बढ़ गया है. चालक हकीम मोहम्मद बताते हैं कि मरने वालों में नॉर्मल मरीजों के साथ-साथ संक्रमित मरीजों की संख्या भी शामिल है जिसकी वजह से उन्हें एंबुलेंस चलाते वक्त सभी सुरक्षा मानकों का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है.
ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध न होने से बढ़ी एंबुलेंस चालकों की समस्याएं
शहर के एंबुलेंस चालक वासुदेव, हकीम मोहम्मद, सत्यनारायण और सोनू बताते हैं कि वर्तमान में एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करने से इंकार कर रही हैं। उनका कहना है कि जिला प्रशासन के आदेश के बिना वे लोग ऑक्सीजन का सिलेंडर रिफिल नहीं कर सकते। ऐसे में एंबुलेंस चालकों के साथ-साथ मरीजों के लिए भी काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं.
एंबुलेंस चालक बताते हैं कि कई बार एंबुलेंस में ऑक्सीजन तो उपलब्ध होती है लेकिन मरीज को वार्ड तक पहुंचाने में इतना समय लग जाता है कि पहले ही खत्म हो जाती है. ऐसे में मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने पर मरीज के परिजन अपनी भड़ास एंबुलेंस चालकों पर निकालते हैं और उनके साथ बदसलूकी करते हैं.
रेट्स को लेकर धांधली का आरोप गलत
एंबुलेंस चालक सत्यनारायण और सोनू बताते हैं की एंबुलेंस चालकों पर रेट्स को लेकर धांधली का आरोप लगाया जा रहा है जो सरासर गलत है. सभी एंबुलेंस चालक प्रशासन की ओर से निर्धारित की गई रेट के अनुसार ही पैसे वसूल कर रहे हैं. नॉर्मल पेशेंट के लिए एंबुलेंस का चार्ज 500 है जबकि कोरोना पेशेंट के लिए ₹350 का अतिरिक्त चार्ज पीपीई एक और सैनिटाइजर के लिए वसूला जाता है.
वहीं कई बार ऐसा होता है कि स्थिति गंभीर होने पर मरीज को अजमेर से बाहर जयपुर भी रेफर कर दिया जाता है. एंबुलेंस चालक रवि शर्मा बताते हैं कि अजमेर से जयपुर जाने पर एंबुलेंस का किराया 2400 रुपए है. एंबुलेंस चालकों ने कोरोना काल के दौरान रेट में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं की है.
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सुरक्षा मानकों का रखा जाता है ख्याल
एंबुलेंस चालक डेविस बताते हैं कि मरीजों को लाते और ले जाते वक्त सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. कोविड संक्रमित मरीजों को या शवों को लाते ले जाते वक्त वे पीपीई किट पहनते हैं. लेकिन मरीजों को अस्पताल ले जाने में कई बार बिना पीपीई किट के भी उन्हें जोखिम उठाते हुए काम करने पड़ते हैं. हालांकि पूरी एंबुलेंस को सैनिटाइज भी करवाया जाता है. संक्रमण न फैले इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है.
एम्बुलेंस की संख्या में नहीं हुई है कोई खास बढ़ोतरी
एंबुलेंस चालक सोनू और सत्यनारायण बताते हैं कि कोरोना महामारी के इस दौर में एंबुलेंस का उपयोग जरूर बढ़ गया है लेकिन शहर में एंबुलेंस की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. आज भी पहले की तरह ही 30 से 40 एंबुलेंस जेएलएन के बाहर से मरीजों को लाने ले जाने का काम कर रही हैं. सभी एंबुलेंस चालक इस महामारी के दौर में भी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं.