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अजमेर कांग्रेस सियासत: सत्ता में भागीदारी नहीं हो पाई, अब राजनीतिक नियुक्तियों में देरी से कार्यकर्ता हताश

अजमेर में सियासी चौकड़ी के बीच फंसी कांग्रेस पिछले 2 दशक में कमजोर रही है. लगातार हावी होती गुटबाजी, सत्ता में कम भागीदारी, राजनीतक नियुक्तियों में देरी से कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हैं.

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कार्यकर्ता हताश
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Published : Jul 20, 2021, 6:39 PM IST

अजमेर: पिछले 2 दशक से कांग्रेस की सियासत काफी कमजोर रही है. बीच में सचिन पायलट (Sachin Pilot ) के पदार्पण से पार्टी मजबूत हुई लेकिन यह उनके सांसद काल तक ही रहा. इसके बाद कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई. यह गुटबाजी अब भी कायम है. अजमेर से पायलट रुखसत कर गए. अब चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा (Dr. Raghu Sharma) का दबदबा है. इसके बावजूद अजमेर की सत्ता में भागीदारी पहले ही कम है. संगठनात्मक रूप से भी कांग्रेस कमजोर हो गई है. राजनीति नियुक्ति में हो रही देरी से कार्यकर्ताओं में उत्साह कम हो गया है.

अजमेर में कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा भाजपा को हमेशा से मिलता रहा है. शहर की उत्तर और दक्षिण की सीट कांग्रेस के लिए सपना ही बन गई है. सभी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के बदतर हालात देख चुके हैं. 80 में से 18 वार्ड ही कांग्रेस जीत पाई. जाहिर है स्थानीय नेताओं की गुटबाजी ने अजमेर में कांग्रेस को कभी उभरने ही नहीं दिया.

पढ़ें: अजमेर नगर निगम चुनाव परिणाम : कांग्रेस को जबरदस्त झटका...महज 18 वार्ड जीत पाई कांग्रेस

मुख्यमंत्री भी कई बार भरी मीटिंग में कह चुके हैं लेकिन गुटबाजी का जाल अजमेर में कम नहीं हुआ. नगर निगम की बात करें तो कई निकायों में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति सूची जारी कर दी. लेकिन अजमेर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोनीत पार्षदों की सूची का आने का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा.

संगठन की बात करें तो निवर्तमान कार्यकारिणी ही भविष्य की अनिश्चितता के चलते निष्क्रिय है. अजमेर में शहर और देहात कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति अबतक नहीं हो पाई है. हालांकि बीच-बीच में चर्चा गर्म होने से कई दावेदार सामने आ रहे हैं. इन दावेदारों में प्रमुख नाम अजमेर शहर कांग्रेस से पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, श्रीगोपाल बाहेती, शक्ति प्रताप सिंह, कैलाश झालीवाल, गजेंद्र सिंह रलावता और नवरत गुर्जर का है. देहात कांग्रेस में मसूदा विधायक राकेश पारीक, संग्राम गुर्जर, रामचन्द्र चौधरी, राजू गुप्ता सहित कई नाम हैं.

पढ़ें: छतरी पर सियासत : रलावता बोले- देवनानी विधायक फंड का उपयोग पार्टी प्रचार में कर रहे हैं

अजमेर शहर और देहात अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होने से संगठन के कामकाज शिथिल हो चुके हैं. कार्यकर्ता नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें नई कार्यकारणी में जगह मिल सके. अजमेर विकास प्राधिकरण के चेयरमेन की कुर्सी भी खाली है. पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती डॉ. राजकुमार जयपाल, दीपक हासानी, महेश चौहान और राजू गुप्ता के नाम दावेदारों में प्रमुख हैं.

हाल ही में अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड में डॉ. बाहेती और डॉ. जयपाल को डायरेक्टर बनाए जाने से इन दोनों की दावेदारी एडीए चेयरमेन को लेकर कमजोर होने की चर्चा है. दोनों गहलोत के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में साफ दिख रहा है कि एडीए में चेयरमेन की नियुक्ति में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा की भूमिका रहेगी.

अजमेर शहर कांग्रेस की सियासत हमेशा चौकड़ी में फंसी रही है. हालांकि पूर्व उपमंत्री ललित भाटी के निधन के बाद सियासत की चौकड़ी का एक पागा कमजोर हुआ है. लेकिन ललित भाटी के भाई हेमंत भाटी ने पायलट के सहयोग से चौथा पागा संभाल लिया है. इसमें उनका भला नहीं हो पाया और वो दो बार अजमेर दक्षिण क्षेत्र से विधायक का चुनाव हार गए.


अजमेर शहर कांग्रेस की सियासी चौकड़ी की बात करें तो पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल दोनों गहलोत के प्रबल समर्थक हैं. पूर्व प्रदेश सचिव महेंद्र सिंह रलावता और प्रदेश कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य हेमंत भाटी पायलट समर्थक हैं. अजमेर कांग्रेस की सियासत की चौकड़ी में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा अपने समर्थकों को राजनीतिक नियुक्तियों में आगे लाना चाहते हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि अजमेर में गहलोत, पायलट और डॉ. रघु शर्मा में से किसके समर्थकों को तवज्जो मिल पाती है.

अजमेर: पिछले 2 दशक से कांग्रेस की सियासत काफी कमजोर रही है. बीच में सचिन पायलट (Sachin Pilot ) के पदार्पण से पार्टी मजबूत हुई लेकिन यह उनके सांसद काल तक ही रहा. इसके बाद कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई. यह गुटबाजी अब भी कायम है. अजमेर से पायलट रुखसत कर गए. अब चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा (Dr. Raghu Sharma) का दबदबा है. इसके बावजूद अजमेर की सत्ता में भागीदारी पहले ही कम है. संगठनात्मक रूप से भी कांग्रेस कमजोर हो गई है. राजनीति नियुक्ति में हो रही देरी से कार्यकर्ताओं में उत्साह कम हो गया है.

अजमेर में कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा भाजपा को हमेशा से मिलता रहा है. शहर की उत्तर और दक्षिण की सीट कांग्रेस के लिए सपना ही बन गई है. सभी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के बदतर हालात देख चुके हैं. 80 में से 18 वार्ड ही कांग्रेस जीत पाई. जाहिर है स्थानीय नेताओं की गुटबाजी ने अजमेर में कांग्रेस को कभी उभरने ही नहीं दिया.

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मुख्यमंत्री भी कई बार भरी मीटिंग में कह चुके हैं लेकिन गुटबाजी का जाल अजमेर में कम नहीं हुआ. नगर निगम की बात करें तो कई निकायों में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति सूची जारी कर दी. लेकिन अजमेर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोनीत पार्षदों की सूची का आने का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा.

संगठन की बात करें तो निवर्तमान कार्यकारिणी ही भविष्य की अनिश्चितता के चलते निष्क्रिय है. अजमेर में शहर और देहात कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति अबतक नहीं हो पाई है. हालांकि बीच-बीच में चर्चा गर्म होने से कई दावेदार सामने आ रहे हैं. इन दावेदारों में प्रमुख नाम अजमेर शहर कांग्रेस से पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, श्रीगोपाल बाहेती, शक्ति प्रताप सिंह, कैलाश झालीवाल, गजेंद्र सिंह रलावता और नवरत गुर्जर का है. देहात कांग्रेस में मसूदा विधायक राकेश पारीक, संग्राम गुर्जर, रामचन्द्र चौधरी, राजू गुप्ता सहित कई नाम हैं.

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अजमेर शहर और देहात अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होने से संगठन के कामकाज शिथिल हो चुके हैं. कार्यकर्ता नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें नई कार्यकारणी में जगह मिल सके. अजमेर विकास प्राधिकरण के चेयरमेन की कुर्सी भी खाली है. पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती डॉ. राजकुमार जयपाल, दीपक हासानी, महेश चौहान और राजू गुप्ता के नाम दावेदारों में प्रमुख हैं.

हाल ही में अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड में डॉ. बाहेती और डॉ. जयपाल को डायरेक्टर बनाए जाने से इन दोनों की दावेदारी एडीए चेयरमेन को लेकर कमजोर होने की चर्चा है. दोनों गहलोत के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में साफ दिख रहा है कि एडीए में चेयरमेन की नियुक्ति में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा की भूमिका रहेगी.

अजमेर शहर कांग्रेस की सियासत हमेशा चौकड़ी में फंसी रही है. हालांकि पूर्व उपमंत्री ललित भाटी के निधन के बाद सियासत की चौकड़ी का एक पागा कमजोर हुआ है. लेकिन ललित भाटी के भाई हेमंत भाटी ने पायलट के सहयोग से चौथा पागा संभाल लिया है. इसमें उनका भला नहीं हो पाया और वो दो बार अजमेर दक्षिण क्षेत्र से विधायक का चुनाव हार गए.


अजमेर शहर कांग्रेस की सियासी चौकड़ी की बात करें तो पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल दोनों गहलोत के प्रबल समर्थक हैं. पूर्व प्रदेश सचिव महेंद्र सिंह रलावता और प्रदेश कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य हेमंत भाटी पायलट समर्थक हैं. अजमेर कांग्रेस की सियासत की चौकड़ी में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा अपने समर्थकों को राजनीतिक नियुक्तियों में आगे लाना चाहते हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि अजमेर में गहलोत, पायलट और डॉ. रघु शर्मा में से किसके समर्थकों को तवज्जो मिल पाती है.

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