उदयपुर. जिले में विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर प्रदेश का पहला पलाश पुष्पन उत्सव रविवार को उदयपुर में पूरे उत्साह के साथ मनाया गया. जनजाति अंचल में बहुतायत से पुष्पित-पल्लवित होने वाले पलाश की महत्ता को देश-दुनिया तक पहुंचाने और इसके प्रति स्थानीय निवासियों में गौरव पैदा करने के उद्देश्य से आयोजित इस महोत्सव में आज दिनभर प्रकृतिप्रेमियों और वन विभागीय कार्मिकों ने चर्चा की.
वन विभाग द्वारा ग्राम किटोडा, ग्राम पंचायत काया के वनखण्ड समर में दई माता के पास स्थित पलाश कुंज में आयोजित इस पलाश पुष्पन महोत्सव के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा थे. अपने संबोधन में जिला कलेक्टर देवड़ा ने यहां पलाश के पेड़ों की सघनता एवं इनको फूलों से आच्छादित प्रसन्नता जाहिर की तथा पलाश के पेड़ों के संरक्षण-संवर्धन की आवश्यकता जताते हुए इनको स्थानीय आदिवासियों की आजीविका से जोड़ने का आह्वान किया. उन्होंने वन विभाग को उदयपुर में पलाश गार्डन विकसित करने के भी निर्देश दिए.
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इस दौरान समारोह में आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. प्रदीप सोनी ने पलाश के पत्तों, फूलों, छाल, बीज और लकड़ी के मनुष्य के जीवन में धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व बताते हुए आयुर्वेदीय चिकित्सा में इनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर वन विभाग के सहयोग से विभिन्न वन सुरक्षा एवं प्रबन्ध समितियों के द्वारा गुलाब, अमलतास, पलाश के फूलों एवं पत्तियों से विभिन्न रंगो में तैयार की गई हर्बल गुलाल अतिथियों को भेंट की गई. स्मारोह में अतिथियों ने पलाश पुष्पन फोल्डर का विमोचन किया.
इस तरह जन्मा पलाश महोत्सव का विचार
सेवानिवृत्त सीसीएफ और ग्रीन पीपल सोसायटी के अध्यक्ष राहुल भटनागर ने बताया कि जापान और यूएस में जिस तरह चेरी के फूलों के खिलने के बाद चेरी ब्लूसूम फेस्टिवल मनाया जाता है. ठीक उसी तरह दक्षिण राजस्थान में पलाश के पेड़ों के पुष्पित होने की स्थितियों को देखते हुए सोसायटी द्वारा वर्ष 2020 में 12 मार्च को पलाश महोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण गत वर्ष इसका आयोजन नहीं हो पाया. इस वर्ष इसे वन विभाग द्वारा वानिकी दिवस के मौके पर शुरू कर इसका बीजारोपण कर दिया गया.
पर्यटन स्थल बन सकती है पलाश वैली
उप वन संरक्षक मुकेश सैनी ने बताया कि पलाश के फूलों के खिलने का समय मार्च से अप्रैल, लगभग दो महीने का रहता है. इस दौरान यह पलाश वैली पलाश के फूलों से लकदक रहती है. पर्यटक एवं प्रकृति प्रेमी इस पलाश वैली के सौन्दर्य का आनन्द लेने तथा पहाड़ों की गोद में स्थित दइमाता जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे में यह अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है.