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प्रतापगढ़: 7 अप्रैल से ओवन मशीन के जरिए होगा अफीम तौलने का कार्य

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Published : Mar 26, 2021, 7:05 PM IST

प्रतापगढ़ और छोटीसादड़ी क्षेत्र में 7 अप्रैल से अफीम की तुलाई का कार्य शुरू होगा. इस बार अफीम की तौलाई और परीक्षण दोनों ही केंद्रों पर ओवन मशीन से की जाएगी.

Pratapgarh news, Opium weighing
7 अप्रैल से ओवन मशीन के जरिए होगी अफीम तुलाई का कार्य

प्रतापगढ़. छोटीसादड़ी क्षेत्र में 7 अप्रैल से अफीम की तुलाई का कार्य शुरू होगा. इस बार अफीम की तुलाई और परीक्षण दोनों ही केंद्रों पर ओवेन मशीन से की जाएगी. इस वजह से तुलाई के दौरान प्रत्येक किसान के लिए 2 से 3 घंटे का समय लगेगा. पिछली बार कोरोना की वजह से अफीम की तुलाई अप्रैल-मई की जगह दिसंबर में हुई थी और अफीम का तोल और परीक्षण हाथ से ही किया गया था. पिछली बार कोरोना के कारण किसानों को ज्यादा समय एक जगह एकत्र नहीं रखना था, इस कारण यह प्रक्रिया हाथ से की गई थी. प्रतापगढ़ में तुलाई के लिए धरियावद नाके स्थित तुलसी रिसोर्ट को बुक किया जाएगा, जबकि छोटीसादड़ी में पिछली बार की तरह ही आर्य समाज स्कूल में ही अफीम की तुलाई होगी.

यह भी पढ़ें- छात्र ने अध्यापक पर लगाया मारपीट व जातिसूचक शब्द कहने का आरोप, SDM पहुंचे स्कूल

प्रतापगढ़ में पिछली बार होटल सोहन पैलेस में तुलाई हुई थी. दोनों सेंटर पर प्रतिदिन 200 किसानों को बुलाया जाएगा. पिछली बार की तरह ही इस बार कोरोना गाइडलाइन की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क सैनीटाइजर यह प्रक्रिया जारी रहेगी. इस बार प्रतापगढ़ जिले में पिछले साल के मुकाबले अफीम कृषकों को कम पट्टे जारी किए गए हैं. इसके पीछे बड़ी वजह नई अफीम नीति है. पिछली बार जहां न्यूनतम केवल 4% मार्फिन के नियम पर ही किसानों को पट्टे जारी कर दिए गए थे. वहीं इस बार 4.2% मार्फिन की गाढ्यता का नियम किसानों के लिए बड़ी बाधा बना.

बुवाई के रकबे में ज्यादा फर्क नहीं

प्रतापगढ़ और छोटी सादड़ी खंड में इस बार बुवाई का रकबा पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा कम नहीं हुआ है. प्रतापगढ़ खंड में जहां पिछली बार 382.60 हेक्टेयर में अफीम की बुवाई हुई थीय वहीं इस बार यह रकबा 380 हेक्टेयर है. इसी तरह छोटीसादड़ी खंड में जहां पिछली बार 231.6 हेक्टेयर में अफीम की बुवाई की गई थी, वहीं इस बार यह रकबा 229.64 हेक्टेयर है.

छोटीसादड़ी में जहां 86 गांवों के किसानों को अफीम के पट्टे दिए गए, वहीं प्रतापगढ़ खंड ने इन गांवों की संख्या 102 है. प्रतापगढ़ में अरनोद के कुछ किसानों को भी अफीम के पट्टे जारी किए गए हैं. हालांकि इस बार पीपलखूंट के किसी भी किसान को अफीम का पट्टा जारी नहीं किया गया है, जबकि पिछले वर्ष यहां 3 किसानों को अफीम के पट्टे दिए गए थे.

2 खंड में बंटा है जिला

प्रतापगढ़ जिले को अफीम के मामले में दो खंडों में बांटा गया है. इनमें पहला खंड प्रतापगढ़ का है, जबकि दूसरा खंड छोटीसादड़ी है. अगर वर्ष 2019-20 की बात की जाए तो प्रतापगढ़ में इस बार कुल 4293 किसानों को अफीम के पट्टे जारी किए गए थे, जबकि इस बार 4150 किसानों को ही अफीम के पट्टे दिए गए हैं. ऐसे में यहां पर पिछले वर्ष के मुकाबले 143 किसानों के पट्टे कट चुके हैं. कुछ ऐसा ही हाल छोटीसादड़ी भाग का भी है.

हालांकि यहां पर पट्टे कटने वाले किसानों की संख्या प्रतापगढ़ के मुकाबले काफी कम है. छोटीसादड़ी खंड में वर्ष 2019-20 में जहां 3645 किसानों को अफीम के लाइसेंस दिए गए थे, वहीं वर्ष 2020-21 में यहां पर 3619 किसानों को ही लाइसेंस जारी किए गए हैं. ऐसे में यहां पर पिछले वर्ष के मुकाबले कुल 26 किसानों के पट्टे कटे हैं. अगर पूरे जिले की तुलनात्मक स्थिति की बात की जाए तो पिछले वर्ष जहां 7938 किसानों को अफीम के लाइसेंस मिले थे, वहीं इस बार यह संख्या 7769 है. इस वजह से 169 किसानों के कम होने के कारण अफीम के उत्पादन पर भी फर्क पड़ेगा.

पांच आरी वालों को भी मिले पट्टे

जिला अफीम अधिकारी एडवर्ड रोजारियो ने बताया कि वैसे इस बार की नई अफीम नीति में सिर्फ किसानों के पट्टे कटे हैं, बल्कि बुवाई का रकबा भी घटा है. अगर पूरे मामले में कहीं फायदे की बात की जाए तो यह फायदा केवल इतना है कि पहली बार 5 आरी के पट्टे भी दिए गए हैं. प्रतापगढ़ और छोटीसादड़ी दोनों मिलाकर करीब 2600 से ज्यादा किसानों को 5 आरी के पट्टे जारी किए गए हैं. यह पांच आरी वाले सभी किसान वह है, जिन्होंने पिछली बार 4.2% मार्फिन का अफीम दिया था.

यह भी पढ़ें- करौली ट्रैक्टर चालक मौत मामला: कलेक्टर और एसपी से वार्ता विफल, धरने पर बैठे सांसद किरोड़ी लाल मीणा

इस बार सरकार की ओर से न्यूनतम 5 और अधिकतम 12 आरी के पट्टे जारी किए गए हैं. इसमें सबसे ज्यादा दस आरी के करीब तीन हजार पट्टे जारी किए गए हैं. वहीं खंड द्वितीय छोटीसादड़ी के जिला अफीम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि प्रतापगढ़ खंड में सिद्ध पुरा गांव ऐसा है, जहां पर पिछले वर्ष और इस वर्ष दोनों ही साल में सबसे ज्यादा किसानों को अफीम के पट्टे जारी किए गए हैं. सिद्धपुरा में जहां पिछले वर्ष 202 किसानों को अफीम के पट्टे मिले थे, वहीं इस बार यह संख्या 206 है.

प्रतापगढ़. छोटीसादड़ी क्षेत्र में 7 अप्रैल से अफीम की तुलाई का कार्य शुरू होगा. इस बार अफीम की तुलाई और परीक्षण दोनों ही केंद्रों पर ओवेन मशीन से की जाएगी. इस वजह से तुलाई के दौरान प्रत्येक किसान के लिए 2 से 3 घंटे का समय लगेगा. पिछली बार कोरोना की वजह से अफीम की तुलाई अप्रैल-मई की जगह दिसंबर में हुई थी और अफीम का तोल और परीक्षण हाथ से ही किया गया था. पिछली बार कोरोना के कारण किसानों को ज्यादा समय एक जगह एकत्र नहीं रखना था, इस कारण यह प्रक्रिया हाथ से की गई थी. प्रतापगढ़ में तुलाई के लिए धरियावद नाके स्थित तुलसी रिसोर्ट को बुक किया जाएगा, जबकि छोटीसादड़ी में पिछली बार की तरह ही आर्य समाज स्कूल में ही अफीम की तुलाई होगी.

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प्रतापगढ़ में पिछली बार होटल सोहन पैलेस में तुलाई हुई थी. दोनों सेंटर पर प्रतिदिन 200 किसानों को बुलाया जाएगा. पिछली बार की तरह ही इस बार कोरोना गाइडलाइन की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क सैनीटाइजर यह प्रक्रिया जारी रहेगी. इस बार प्रतापगढ़ जिले में पिछले साल के मुकाबले अफीम कृषकों को कम पट्टे जारी किए गए हैं. इसके पीछे बड़ी वजह नई अफीम नीति है. पिछली बार जहां न्यूनतम केवल 4% मार्फिन के नियम पर ही किसानों को पट्टे जारी कर दिए गए थे. वहीं इस बार 4.2% मार्फिन की गाढ्यता का नियम किसानों के लिए बड़ी बाधा बना.

बुवाई के रकबे में ज्यादा फर्क नहीं

प्रतापगढ़ और छोटी सादड़ी खंड में इस बार बुवाई का रकबा पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा कम नहीं हुआ है. प्रतापगढ़ खंड में जहां पिछली बार 382.60 हेक्टेयर में अफीम की बुवाई हुई थीय वहीं इस बार यह रकबा 380 हेक्टेयर है. इसी तरह छोटीसादड़ी खंड में जहां पिछली बार 231.6 हेक्टेयर में अफीम की बुवाई की गई थी, वहीं इस बार यह रकबा 229.64 हेक्टेयर है.

छोटीसादड़ी में जहां 86 गांवों के किसानों को अफीम के पट्टे दिए गए, वहीं प्रतापगढ़ खंड ने इन गांवों की संख्या 102 है. प्रतापगढ़ में अरनोद के कुछ किसानों को भी अफीम के पट्टे जारी किए गए हैं. हालांकि इस बार पीपलखूंट के किसी भी किसान को अफीम का पट्टा जारी नहीं किया गया है, जबकि पिछले वर्ष यहां 3 किसानों को अफीम के पट्टे दिए गए थे.

2 खंड में बंटा है जिला

प्रतापगढ़ जिले को अफीम के मामले में दो खंडों में बांटा गया है. इनमें पहला खंड प्रतापगढ़ का है, जबकि दूसरा खंड छोटीसादड़ी है. अगर वर्ष 2019-20 की बात की जाए तो प्रतापगढ़ में इस बार कुल 4293 किसानों को अफीम के पट्टे जारी किए गए थे, जबकि इस बार 4150 किसानों को ही अफीम के पट्टे दिए गए हैं. ऐसे में यहां पर पिछले वर्ष के मुकाबले 143 किसानों के पट्टे कट चुके हैं. कुछ ऐसा ही हाल छोटीसादड़ी भाग का भी है.

हालांकि यहां पर पट्टे कटने वाले किसानों की संख्या प्रतापगढ़ के मुकाबले काफी कम है. छोटीसादड़ी खंड में वर्ष 2019-20 में जहां 3645 किसानों को अफीम के लाइसेंस दिए गए थे, वहीं वर्ष 2020-21 में यहां पर 3619 किसानों को ही लाइसेंस जारी किए गए हैं. ऐसे में यहां पर पिछले वर्ष के मुकाबले कुल 26 किसानों के पट्टे कटे हैं. अगर पूरे जिले की तुलनात्मक स्थिति की बात की जाए तो पिछले वर्ष जहां 7938 किसानों को अफीम के लाइसेंस मिले थे, वहीं इस बार यह संख्या 7769 है. इस वजह से 169 किसानों के कम होने के कारण अफीम के उत्पादन पर भी फर्क पड़ेगा.

पांच आरी वालों को भी मिले पट्टे

जिला अफीम अधिकारी एडवर्ड रोजारियो ने बताया कि वैसे इस बार की नई अफीम नीति में सिर्फ किसानों के पट्टे कटे हैं, बल्कि बुवाई का रकबा भी घटा है. अगर पूरे मामले में कहीं फायदे की बात की जाए तो यह फायदा केवल इतना है कि पहली बार 5 आरी के पट्टे भी दिए गए हैं. प्रतापगढ़ और छोटीसादड़ी दोनों मिलाकर करीब 2600 से ज्यादा किसानों को 5 आरी के पट्टे जारी किए गए हैं. यह पांच आरी वाले सभी किसान वह है, जिन्होंने पिछली बार 4.2% मार्फिन का अफीम दिया था.

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इस बार सरकार की ओर से न्यूनतम 5 और अधिकतम 12 आरी के पट्टे जारी किए गए हैं. इसमें सबसे ज्यादा दस आरी के करीब तीन हजार पट्टे जारी किए गए हैं. वहीं खंड द्वितीय छोटीसादड़ी के जिला अफीम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि प्रतापगढ़ खंड में सिद्ध पुरा गांव ऐसा है, जहां पर पिछले वर्ष और इस वर्ष दोनों ही साल में सबसे ज्यादा किसानों को अफीम के पट्टे जारी किए गए हैं. सिद्धपुरा में जहां पिछले वर्ष 202 किसानों को अफीम के पट्टे मिले थे, वहीं इस बार यह संख्या 206 है.

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