बाड़मेर. गौ संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 में गहलोत सरकार द्वारा किए गए संशोधन का विरोध मुखर हो रहा है. गौ सेवक समेत गौ संरक्षक संघर्ष समितियां गहलोत सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगी है. सोमवार को गोवंश संरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले गौशाला के पदाधिकारियों ने जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट परिसर के आगे सांकेतिक धरना देकर गहलोत सरकार द्वारा गौ संरक्षण एवं संवर्धन में किए गए संशोधन का विरोध जताया. साथ ही जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.
धरने पर बैठे गौवंश संरक्षण समिति के जिला अध्यक्ष जेठमल जैन ने बताया कि राजस्थान मुद्रांक अधिनियम 1968 की धारा 3 ख के तहत स्टांप विक्रय पर 10% सरचार्ज एवं शराब बिक्री से प्राप्त वेट राशि के सरताज को गौ संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयोग किया जाता रहा था, लेकिन राजस्थान सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन करके स्टांप विक्रय की सरचार्ज और शराब बिक्री सरचार्ज राशि को आपदा प्रबंधन में उपयोग करने का निर्णय लिया है, जिससे गो संरक्षण एवं संवर्धन किया जाने वाला वह समाप्त हो जाएगा और वह सरकार एवं संवर्धन के लिए गौशालाओं को मिलने वाली राहत नहीं मिल पाएगी.
उन्होंने कहा कि राजस्थान गोवंश आरक्षण संघर्ष समिति ने राजस्थान सरकार से मांग की है कि गौ संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम में किए गए संशोधन को निरस्त किया जाए एवं एक वित्तीय वर्ष में 180 दिनों को दी जा रही अनुदान राशि को बढ़ाकर 365 दिन किया जाए. सभी पंजीकृत गौशालाओं को यह अनुदान दिया जाए, इससे साथी गौ संरक्षण संघर्ष समिति ने अनुदान राशि के भुगतान में नियमों का सरलीकरण, गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने, गौशालाओं को बिजली बिल में दी गई छूट को यथावत रखने समेत 12 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने समय रहते हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो प्रदेश भर में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा.